प्रियंका मोहिते: दुनिया की 5 ऊंची चोटियों को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही
दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर कदम रखने वाली महाराष्ट्र की सबसे छोटी और देश की तीसरी सबसे छोटी पर्वतारोही
नई दिल्ली/भाषा। शुक्रवार सुबह बहुत-से लोगों ने अखबारों में एक कॉलम की छोटी-सी खबर छपी देखी होगी, जिसमें 25 साल की प्रियंका मोहिते की एक बड़ी-सी उपलब्धि का जिक्र है, जिन्होंने आसमान से बातें करती दुनिया की पांच ऊंची चोटियों को फतह करने का एक बड़ा कारनामा अंजाम दिया है। वह आठ हजार मीटर से अधिक ऊंची इन पांच चोटियों पर तिरंगा फहराने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही हैं।
वर्ष 2020 में तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर पुरस्कार से सम्मानित प्रियंका का जन्म 30 नवंबर, 1992 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। वह दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) पर कदम रखने वाली महाराष्ट्र की सबसे छोटी और देश की तीसरी सबसे छोटी पर्वतारोही हैं। उन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट के शिखर को छुआ था। वह तंजानिया में स्थित अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट किलीमंजारो (5,895 मीटर) को 2016 में फतह कर चुकी हैं। हालांकि, इस चोटी तक पहुंचने में उन्हें तीसरे प्रयास में सफलता मिली।इसके दो बरस बाद 2018 में प्रियंका ने माउंट ल्होस्ते (8,516 मीटर) पर सफल चढ़ाई की। 2019 में वह दुनिया की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू (8,485 मीटर) को फतह करने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही बनीं। अप्रैल 2021 में प्रियंका ने दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट अन्नपूर्णा (8,091 मीटर) पर कदम रखा। यह आठ हजार से ऊंची पांच पर्वत चोटियों तक पहुंचने के उनके अभियान का चौथा पड़ाव था।
प्रियंका के भाई आकाश मोहिते ने उनके अभियान की पांचवीं मंजिल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बृहस्पतिवार शाम 4.52 बजे प्रियंका ने दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा (8,586 मीटर) पर कदम रखा। इसके साथ ही वह आठ हजार से अधिक ऊंचाई वाली पांच चोटियों को फतह करने में सफल हो गईं।
बचपन से ही सहयाद्रि पर्वत शृंखला के पहाड़ों पर चढ़ते-चढ़ते प्रियंका ने अपने इस साहसिक, लेकिन खतरनाक शौक में ही करियर बनाने का फैसला किया और 2012 में सतारा में बीएससी की पढ़ाई करने के साथ ही पर्वतारोहण में भी प्रशिक्षण पूरा कर लिया।
प्रशिक्षण पूरा होते ही प्रियंका ने 2012 में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित पर्वत बंदरपूंछ के शिखर पर कदम रखकर अपने प्रशिक्षण को परख लिया। इसी बीच, उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने का मौका मिला, जब उन्हें पता चला कि दार्जिलिंग के हिमालयन माउंटनियरिंग स्कूल के प्रिंसिपल कम उम्र के पर्वतारोहियों के साथ एवरेस्ट पर अपना एक दल भेजने वाले हैं।
प्रियंका पर्वतारोहण का उच्च प्रशिक्षण पूरा कर चुकी थीं और अपने अगले अभियान को लेकर उत्साहित थीं। लिहाजा उन्होंने इस दल का हिस्सा बनने के लिए आवेदन कर दिया। उनका चयन हो गया और इस तरह एक छोटी-सी लड़की दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर जा पहुंची।
प्रियंका को आसमान से बातें करती ऊंची पर्वत शृंखलाओं को फतह करने के बजाय दुर्गम और कठिन पर्वतों पर परचम फहराने में ज्यादा मजा आता है। हालांकि, उनका मानना है कि धरती पर शान से खड़े इन पर्वतों पर चढ़ने के दौरान आप खुद अपने मार्गदर्शक होते हैं।
वह कहती हैं, कई बार ऐसे हालात होते हैं, जिनके बारे में पर्वतारोहण की किसी किताब में कुछ नहीं लिखा होता। उस समय भी प्रकृति किसी मां की तरह आपकी हिफाजत करती है। बकौल प्रियंका, यह भी सच है कि दुनिया के हर पर्वत पर चढ़ते हुए आपको सिर झुकाकर ही एक-एक कदम उठाना होता है और हर कदम पर आप कुदरत की बेपनाह ताकत को सलाम करते हैं।