ले. जनरल सगत सिंह: जिन्होंने 1967 में सिखाया था चीन को कड़ा सबक

ले. जनरल सगत सिंह: जिन्होंने 1967 में सिखाया था चीन को कड़ा सबक

ले. जनरल सगत सिंह: जिन्होंने 1967 में सिखाया था चीन को कड़ा सबक

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। गलवान घाटी में चीन के विश्वासघात के कारण शहीद हुए भारतीय सेना के 20 जांबाजों को पूरा देश नमन कर रहा है। साथ ही इस पड़ोसी मुल्क को सबक सिखाने के लिए लोगों ने सरकार से मांग की है कि वह सख्त कदम उठाए।

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क्या आप जानते हैं कि भारतीय सेना के एक महावीर ने वर्षों पहले चीन पर ऐसा प्रहार किया था, जिससे इस पड़ोसी मुल्क को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और आज तक वह उस संघर्ष का कभी जिक्र नहीं करता? इस जांबाज योद्धा का नाम है लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह, जिन्होंने अपनी कुशल रणनीति से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह का जन्म राजस्थान के चूरू जिले के कुसुमदेसर गांव में 14 जुलाई 1919 को हुआ था। वे तीन भाइयों और छह बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने 1936 में बीकानेर के वाल्टर नोबल्स हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

बीकानेर के डूंगर कॉलेज से 1938 में इंटरमीडिएट परीक्षा के बाद बीकानेर गंगा रिसाला में भर्ती हुए। उसके बाद नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत हुए और फिर बीकानेर गंगा रिसाला में ही लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन लिया।

सगत सिंह अपने सैन्य जीवन के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल के प्रतिष्ठित पद तक पहुंचे और कई चुनौतीपूर्ण सैन्य अभियानों में भाग लिया। सगत सिंह ने अपनी सैन्य रणनीति से पाकिस्तान के अलावा चीन को भी कठोर दंड दिया।

दरअसल 1967 में चीन की ओर से सरहद पर एक और नापाक हरकत हुई थी। भारत नाथू ला से सेबू ला तक अपने इलाके में शांतिपूर्ण ढंग से बाड़ लगा रहा था। अचानक चीनी फौज के जवानों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इससे हमारे कई जवान शहीद और घायल हो गए।

लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह ने जब चीन की यह हरकत देखी तो उनका खून खौल उठा। उन्होंने अपने जवानों से कहा कि चीनियों पर तोपखाने से हमला करें। इसके बाद भारत की तोपें चीनियों पर गोले बरसाने लगीं तो दुश्मन के होश उड़ गए। दरअसल चीन सोच रहा था कि भारत संघर्ष को टालने की कोशिश करेगा और बड़ा हमला करने से बचेगा।

उसने सपने में भी ऐसे कठोर जवाब की कल्पना नहीं की थी। उस संघर्ष में चीन के 300 से ज्यादा जवान मारे गए थे, जो इस पड़ोसी मुल्क के लिए बहुत भारी नुकसान था। वहीं, चीनी गोलीबारी में हमारे 65 योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे लेकिन उस दिन चीन की यह धारणा टूट गई कि वह ‘कुछ भी’ कर सकता है और भारत सिर्फ सहन करता रहेगा। आज जरूरत है कि चीन को फिर ले. जनरल सगत सिंह की शैली में जवाब दिया जाए, क्योंकि शांति और शराफत की भाषा यह धोखेबाज पड़ोसी नहीं समझता।

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