
अनुच्छेद-370 विशेष दर्जा नहीं, विशेष भेदभाव था: डोभाल
अनुच्छेद-370 विशेष दर्जा नहीं, विशेष भेदभाव था: डोभाल
नई दिल्ली/भाषा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शनिवार को कहा कि वे पूरी तरह आश्वस्त हैं कि अधिकांश कश्मीरी अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के समर्थन में हैं और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि कश्मीर में पाबंदियों का मकसद पाकिस्तान को आतंकवाद के जरिए उसकी गलत मंशाओं को अंजाम देने से रोकना है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 एक विशेष दर्जा नहीं था। यह एक विशेष भेदभाव था। इसे निरस्त किए जाने से हम कश्मीरी लोगों को अन्य भारतीयों की बराबरी पर लाए हैं। चयनित पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में डोभाल ने कहा कि वैसे भी बाद में प्रतिबंधों में ढील दी गई और कश्मीर, जम्मू तथा लद्दाख में 199 पुलिस जिलों में से केवल 10 में निषेधाज्ञा लागू है जबकि सभी क्षेत्रों में लैंडलाइन टेलीफोन सेवा पूरी तरह से बहाल कर दी गई है।
नेताओं की नजरबंदी पर उन्होंने कहा कि ऐहतियातन ऐसा किया गया और कानून के तहत भी इसकी अनुमति है, जिसका मतलब है कि सरकार अदालतों के प्रति जवाबदेह है और अगर कुछ भी न्यायेतर होता है तो उसे भारी जुर्माना भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा, मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि अधिकांश कश्मीरियों ने अनुच्छेद-370 हटाने का समर्थन किया है। उन्होंने इस कदम में बेहतर अवसर, बेहतर भविष्य और युवाओं के लिए अधिक नौकरियां देखी है।
डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर में संकट पैदा करने पर तुला हुआ है और वह घाटी में अशांति की स्थिति देखना चाहता है ताकि उसके भारत विरोधी दुष्प्रचार में उसे मदद मिले। अपने इस उद्देश्य को पाने के लिए पाकिस्तान ने अशांति का माहौल पैदा करने के वास्ते कई आतंकवादियों को कश्मीर भेजा है। पड़ोसी मुल्क यह चाहता है कि सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो।
डोभाल ने कहा, यदि कोई जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने में दिलचस्पी रखता है तो वह भारत है। हम लोगों को पाकिस्तान की साजिश और सीमा पार से आने वाली उसकी गोलियों का शिकार नहीं बनने देंगे। हम लोगों की सुरक्षा के लिए सबकुछ करेंगे। उन्होंने कहा कि खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 230 आतंकवादियों के होने की सूचना है और इनमें से कुछ यहां अशांति पैदा करने के लिए सीमा पार से घुस आए हैं।
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