दिव्यांगों के प्रति करूणा से ज्यादा कृतज्ञता का भाव होना चाहिए : आनंदीबेन

दिव्यांगों के प्रति करूणा से ज्यादा कृतज्ञता का भाव होना चाहिए : आनंदीबेन

लखनऊ/वार्ता। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि दिव्यांगों के अन्दर प्रकृति प्रदत्त एक विशिष्ट प्रतिभा और रचनात्मकता होती है। पटेल ने गुरुवार को यहां डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास ऐसे दिव्यांग समूह जो अपनी नैसर्गिक प्रतिभा और दिव्य दृष्टि के बावजूद समाज के हासिये पर छूट गया था, को बाधा रहित, अनुकूल एवं सुगम परिवेश प्रदान करना होना चाहिए। उन्हें शिक्षण-प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराये जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे भीतर उनके प्रति करूणा से ज्यादा कृतज्ञता का भाव होना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि वंचित और अक्षम लोगों को नजरंदाज करके आर्थिक विकास के चाहे जितने रास्ते खुलते हों, वे किसी राष्ट्र के समग्र विकास के रास्ते कतई नहीं हो सकेंगे, क्योंकि सभ्यता और राष्ट्र के उत्थान एवं उन्नयन का रास्ता सही मायने में वंचित और उपेक्षित समुदायों के बीच से होकर ही गुजरता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ शिक्षा ही नहीं, जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सबके लिए समान अवसरों की उपलब्धता स्वतंत्रता संघर्ष का एक ‘बड़ा विजन’ रहा है। पटेल ने विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय दिव्यांग समुदाय को गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास के माध्यम से समाज और विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का अनुकरणीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और सामाजिक विकास की किसी भी अवधारणा में जो अब तक उपेक्षित थे, हासिये पर पड़े रह गये थे, वही दिव्यांग और वंचित समूह आज इस विश्वविद्यालय के केन्द्र में हैं। समावेशी शिक्षा के प्रयोग से दिव्यांग समुदाय लाभान्वित हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय निःशक्तता के अलग-अलग पक्षों पर शोध करते हुए अपने निष्कर्षों से सरकार को अवगत करायेे, जिससे दिव्यांगों के विकास, सशक्तीकरण एवं पुनर्वास संबंधी योजनाओं को ठोस, प्रभावी और पारदर्शी ढंग से क्रियान्वित किया जा सके। इस अवसर पर उन्होंने 1001 उपाधि एवं पदक प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आप सभी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपने उत्कृष्ट कार्यों द्वारा राष्ट्र-निर्माण एवं मानवता के हित में योगदान दें।

उन्होंने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि विश्व के मानचित्र पर भारत को एक महत्वपूर्ण, प्रभावशाली एवं श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने में स्वयं को तथा अपने संसाधनों को अर्पित करें।

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