उच्चतम न्यायालय ने महामारी अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इन्कार

उच्चतम न्यायालय ने महामारी अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इन्कार
नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने महामारी अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इन्कार कर दिया और याचिकाकर्ता से पूछा कि इस विषय को लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों को महामारी अधिनियम जैसे केंद्रीय कानूनों को रद्द करने का अधिकार है अत: याचिकाकर्ता को पहले वहां जाना चाहिए।न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता एचएन मिराशी से कहा, ‘श्रीमान मिराशी आपने यह किस तरह की याचिका दायर की है? महामारी अधिनियम को क्या आप बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दे सकते थे? उच्च न्यायालय को केंद्रीय अधिनियम को रद्द करने का अधिकार है।’
उन्होंने कहा, ‘आप इस याचिका को यहां से वापस लें और उच्च न्यायालय में दायर करें।’ न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी इस पीठ का हिस्सा थीं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि उच्च न्यायालय को केंद्र के अधिनियम को रद्द करने का अधिकार नहीं है। पीठ ने कहा, ‘उच्च न्यायलय को ऐसा करने का पूरा अधिकार है।’
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