रेलवे सुरक्षा बल ने आतंकी वित्त पोषण से जुड़े टिकट गिरोह का भंडाफोड़ किया

रेलवे सुरक्षा बल ने आतंकी वित्त पोषण से जुड़े टिकट गिरोह का भंडाफोड़ किया

भारतीय रेल.. सांकेतिक चित्र

नई दिल्ली/भाषा। रेलवे में अवैध टिकट रैकेट को लेकर हाल में की गई सबसे बड़ी कार्रवाई में आरपीएफ ने झारखंड से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। ई-टिकट गिरोह में शामिल यह व्यक्ति मदरसे से पढ़ा हुआ है और खुद ही उसने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करना सीखा है। उसके तार आतंकी वित्त पोषण से भी जुड़े होने का संदेह है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि गिरोह के तार पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुबई से जुड़े होने का संदेह है।आरपीएफ अधिकारी ने बताया कि गुलाम मुस्तफा (28) को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया ।उसके पास काम करने वाले प्रोग्रामर की एक टीम थी। उसने 2015 में बेंगलूरु में टिकट काउंटर शुरू किया और फिर ई-टिकट और अवैध सॉफ्टवेयर का काम करने लगा।

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि गुलाम मुस्तफा के पास आईआरसीटीसी के 563 निजी आईडी मिले और उसके पास स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) की 2,400 शाखाओं और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की 600 शाखाओं की सूची भी मिली, जहां उसके खाते होने के संदेह हैं।

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, पिछले दस दिनों से आईबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी, एनआईए और कर्नाटक पुलिस ने मुस्तफा से पूछताछ की है। उन्होंने कहा, इस मामले में धनशोधन और आतंकवादी वित्त पोषण का भी संदेह है। उन्होंने कहा कि मुस्तफा ने डार्कनेट तक पहुंच के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया और लिनक्स आधारित हैकिंग प्रणाली उसके लैपटॉप में पाई गई।

कुमार ने कहा कि देश और विदेशों में शाखाओं वाली एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी पर भी नजर रखी जा रही है जिसके तार गिरोह से जुड़े हैं। उन्होंने कंपनी का नाम बताने से इंकार कर दिया। बहरहाल उन्होंने कहा कि कंपनी सिंगापुर में धनशोधन के एक मामले में लिप्त है।

कुमार ने कहा,‘मुस्तफा के फोन में कई पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, पश्चिम एशिया, इंडोनेशिया और नेपाली नागरिकों के नंबर मिले हैं, साथ ही छह आभासी नंबर भी मिले हैं। फर्जी आधार कार्ड बनाने का एप्लीकेशन भी मिला है। डीजी ने कहा कि मुस्तफा के लैपटॉप से पता चला कि वह पाकिस्तान के एक धार्मिक समूह का अनुयायी है। उन्होंने कहा कि मुस्तफा के डिजिटल फुटप्रिंट सरकारी वेबसाइट पर मिले।

कुमार ने गिरोह का सरगना हामिद अशरफ को बताया जिस पर प्रति महीने दस से 15 करोड़ रुपए बनाने का संदेह है। अशरफ सॉफ्टवेयर डेवलपर भी है जो 2019 में गोंडा के एक स्कूल में हुए बम कांड में संलिप्त था और संदेह है कि वह दुबई भाग गया है।

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