संसदीय दल की बैठक में मोदी ने दी नसीहत- बड़बोले बयानों से बचें

संसदीय दल की बैठक में मोदी ने दी नसीहत- बड़बोले बयानों से बचें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संसद के सेंट्रल हॉल में राजग के संसदीय दल की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नवनिर्वाचित सांसदों को नसीहत दी कि बड़बोले बयानों से बचें। उन्होंने कहा कि ‘छपास’ और ‘दिखास’ से बचना चाहिए। इससे अगर बचकर चलते हैं तो बहुत कुछ बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी बदलाव के साक्षी है। आप सभी अभिनंदन के अधिकारी है, विशेष रूप से जो पहली बार चुनकर आए हैं।

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मोदी ने कहा कि हम आज नए भारत के हमारे संकल्प को एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाने के लिए यहां से एक नई यात्रा को आरंभ करने वाले हैं। मैं हृदय से आप सबका आभार व्यक्त करता हूं। भाजपा ने संसदीय दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से मुझे चुना और राजग के सभी दलों ने इसका समर्थन किया। इसके लिए मैं आभारी हूं।

भारत के नागरिक का विवेक
मोदी ने कहा कि यह चुनाव कितना बड़ा और व्यापक होता है, इसकी व्यवस्थाएं कितनी होती हैं, यह विश्व के लिए बहुत बड़ा अजूबा है। यह काम चुनाव आयोग, राज्यों के चुनाव आयोग, सरकारी मुलाजिम, सुरक्षा बल इन सब की एक कठोर परिश्रम का एक कालखंड होता है। भारत का लोकतंत्र, भारत का मतदाता, भारत का नागरिक उसका जो नीर-क्षीर विवेक है, शायद किसी मापदंड से उसे मापा नहीं जा सकता है। सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है, न पचा पाता है

मोदी ने कहा कि इस देश की विशेषता है कि बड़े से बड़े सत्ता सामर्थ्य के सामने भी सेवाभाव को वो सिर झुकाकर के स्वीकार करता है। हम चाहे भाजपा या राजग के प्रतिनिधि बनकर आए हों, जनता ने हमें स्वीकार किया है सेवाभाव के कारण। रामकृष्ण परमहंस का एक ही संदेश रहता था कि जीव में ही शिव है। यह सेवा भाव हमारे लिए है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए इससे बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता है।

कंधे से कंधा मिलाकर चलना है
मोदी ने कहा कि आज राजग के भी सभी वरिष्ठ साथियों ने आशीर्वाद दिए हैं और आप सबने मुझे नेता के रूप में चुना है। मैं इसे एक व्यवस्था का हिस्सा मानता हूं। मैं भी बिलकुल आप में से एक हूं, आपके बराबर हूं। हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। राजग की यही तो ताकत है, विशेषता है।

मोदी ने कहा कि सुचारु रूप से भारत के लोकतंत्र के इस उत्सव को विश्व के सामने और अधिक प्रतिष्ठित बनाने के लिए योगदान देने वाले उन सभी का हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद और अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को भी बहुत बढ़ा देता है। जिम्मेदारियों को हम सहर्ष स्वीकार करने के लिए निकले हुए लोग हैं। उसके लिए नई ऊर्जा, नई उमंग के साथ हमें आगे बढ़ना है।

2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ा
मोदी ने कहा कि आमतौर पर कहा जाता है कि चुनाव बांट देता है, दूरियां पैदा करता है, दीवार बना देता है, लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। इस चुनाव ने दिलों को जोड़ने काम किया है। यह चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया है। समता भी, ममता भी, समभाव भी, ममभाव भी के वातावरण ने इस चुनाव को नई ऊंचाई दी है।

मोदी ने कहा कि यह देश परिश्रम की पूजा करता है। यह देश ईमान को सर पर बिठाता है। यही इस देश की पवित्रता है। जनप्रतिनिधि के लिए कोई भेदभाव की सीमा रेखा नहीं होती। जो हमारे साथ थे, उनके लिए भी हैं और जो भविष्य में हमारे साथ चलने वाले हैं, उनके लिए भी हैं। जनप्रतिनिधियों से मेरा आग्रह रहेगा है कि मानवीय संवेदनाओं के साथ अब हमारा कोई पराया नहीं रह सकता है। इसकी ताकत बहुत बड़ी होती है। दिलों को जीतने की कोशिश करेंगे।

ट्रंप का भी जिक्र
मोदी ने कहा कि 2014 में भाजपा को जितने वोट मिले और 2019 में जो वोट मिले, उनमें जो वृद्धि हुई है, यह वृद्धि करीब-करीब 25 प्रतिशत है, लेकिन ग्लोबल परिदृश्य में देखें तो अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को जितने वोट मिले थे, उतना हमारा इंक्रीमेंट है। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन के कई पड़ाव रहे, इसलिए मैं इन चीजों को भली-भांति समझता हूं, मैंने इतने चुनाव देखे, हार-जीत सब देखे, लेकिन मैं कह सकता हूं कि मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थयात्रा थी।

मोदी ने कहा कि इस बार माताओं-बहनों ने कमाल कर दिया है। भारत की आजादी के बाद पार्लियामेंट में इतनी बड़ी तादाद में महिला सांसद बैठने की ये पहली घटना होगी। यह अपने आप में बहुत बड़ा काम हमारी मातृ शक्ति द्वारा हुआ है। उन्होंने कहा कि राजग के पास दो महत्वपूर्ण चीजें हैं, जो हमारी अमानत हैं। एक है एनर्जी और दूसरा है सिनर्जी। ये एनर्जी और सिनर्जी एक ऐसा केमिकल है, जिसको लेकर हम सशक्त और सामर्थ्यवान हुए हैं, जिसको लेकर हमें आगे चलना है।

जनता ने दिया बड़ा आदेश
मोदी ने कहा कि हिन्दुस्तान के मतदाता में जो नीर-क्षीर विवेक है, उसकी ताकत देखिए। परिश्रम की अगर पराकाष्ठा है और ईमानदारी पर रत्ती भर भी संशय न हो तो देश उसके साथ चल पड़ता है। जनता ने हमें इतना बड़ा आदेश दिया है। स्वाभाविक है कि सीना चौड़ा हो जाता है, माथा ऊंचा हो जाता है। जनप्रतिनिधि के लिए ये दायित्व होता है, उसके लिए कोई भेदरेखा नहीं हो सकती है।

मोदी ने कहा कि हमारा मोह हमें संकट में डालता है। इसलिए हमारे नए और पुराने साथी इन चीजों से बचें क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा। हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारियां है। हमें इन्हें निभाना है। वाणी से, बर्ताव से, आचार से, विचार से हमें अपने आपको बदलना होगा। उन्होंने कहा कि हम न हमारी हैसियत से जीतकर आते हैं, न कोई वर्ग हमें जिताता है, न मोदी हमें जिताता है। हमें सिर्फ देश की जनता जिताती है। हम जो कुछ भी हैं मोदी के कारण नहीं, जनता जनार्दन के कारण हैं। हम यहां अपनी योग्यता के कारण नहीं हैं, जनता जनार्दन के कारण हैं।

देश को वीआईपी कल्चर से नफरत
मोदी ने चुटकी लेते हुए कहा कि इस देश में बहुत ऐसे नरेंद्र मोदी पैदा हो गए हैं, जिन्होंने मंत्रिमंडल बना दिया है। जो भी जीतकर आए हैं, सब मेरे हैं। सरकार और कोई बनाने वाला नहीं है, जिसकी जिम्मेदारी है वही बनाने वाले हैं। अखबार के पन्नों से न मंत्री बनते हैं, न मंत्री पद जाते हैं।

मोदी ने कहा कि वीआईपी कल्चर से देश को बड़ी नफरत है। हम भी नागरिक हैं तो कतार में क्यों खड़े नहीं रह सकते? मैं चाहता हूं कि हमें जनता को ध्यान में रखकर खुद को बदलना चाहिए। लाल बत्ती हटाने से कोई आर्थिक फायदा नहीं हुए, जनता के बीच अच्छा मैसेज गया है।

देश के गरीबों ने बनाई सरकार
मोदी ने कहा कि 2014 से 2019 तक हमने गरीबों के लिए सरकार चलाई और आज मैं बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि ये सरकार देश के गरीबों ने बनाई है। 2014 में मैंने कहा था कि मेरी सरकार देश के दलितों, गरीबों, पीड़ितों, वंचितों, आदिवासियों को समर्पित है। आज फिर मैं कहना चाहता हूं कि पांच साल में हमने उस बात से अपने को ओझल नहीं होने दिया।

मोदी ने कहा कि देश में गरीब एक राजनीतिक संवाद-विवाद का विषय रहा, एक फैशन का हिस्सा बन गया, भ्रमजाल में रहा। पांच साल के कार्यकाल में हम कह सकते हैं कि गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं।

विश्वास जीतना है
मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से देश की माइनॉरिटी को उस छलावे में ऐसा भ्रमित और भयभीत रख गया है। उससे अच्छा होता कि माइनॉरिटी की शिक्षा, स्वास्थ्य की चिंता की जाती। 2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेदना है। हमें विश्वास जीतना है।

मोदी ने कहा कि संविधान को साक्षी मानकर हम संकल्प लें कि देश के सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हम सबको मिलकर 21वीं सदी में हिंदुस्तान को ऊंचाइयों पर ले जाना है। सबका साथ, सबका विकास और अब सबका विश्वास ये हमारा मंत्र है।

मोदी ने कहा कि मैं भारत का जो भावी चित्र देख रहा हूं। इन शक्तियों को जोड़ने के पीछे मेरी सीधी-सीधी समझ है। रीजनल एस्पिरेशन और नेशनल एंबिशन की दो पटरियों पर देश विकास की गति को पकड़ता है। नेशनल एंबीशन यानि एनए और रीजनल एस्पिरेशन यानि आरए अर्थात् एनएआरए (नारा) इसी को लेकर हमें आगे बढ़ना है।

लाखों कार्यकर्ताओं का परिश्रम
मोदी ने कहा कि हम याद रखें कि लाखों कार्यकर्ताओं की वजह से हमें यह अवसर मिला है, इसलिए हमारे भीतर का कार्यकर्ता जिंदा रहना चाहिए। थोड़ा सा भी अहंकार अपने आस-पास के लोगों को दूर कर देता है। अहंकार को जितना हम दूर कर सकते हैं, करना चाहिए।

मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी का सरल रास्ता है कि आप कोई भी निर्णय करें और आप उलझन में हों तो पल भर में आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को याद कर सोचें कि आप जो कर रहे हैं, वह उसका भला करेगा या नहीं।

उन्होंने कहा कि आप सबने मुझे दायित्व दिया है, लेकिन ये कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है, ये हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। चोट झेलने की जिम्मेदारी मेरी है, सफलता का हक आपका है। भारत का संविधान हमारे लिए सर्वोपरि है। बता दें कि मोदी ने संविधान को शीश झुकाकर नमन किया था।

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