नवलगढ़: मुद्दों के साथ सामाजिक समीकरण हावी, इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला
नवलगढ़: मुद्दों के साथ सामाजिक समीकरण हावी, इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला
नवलगढ़। हमेशा की तरह इस बार भी राजस्थान विधानसभा चुनावों में झुंझुनूं जिले की नवलगढ़ सीट पर मुकाबला जोरदार है। प्रदेश में चाहे किसी की भी सरकार बनी हो, भाजपा यहां से कभी नहीं जीत पाई। जिले की अन्य सीटों पर कई बार कमल खिल चुका है, लेकिन नवलगढ़ में उसे कभी कामयाबी नहीं मिली। यहां स्थानीय मुद्दों और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा ने कई बार प्रत्याशी उतारे और उन्हें अच्छी संख्या में वोट मिले, पर वह आंकड़ा भाजपा को विजय तक नहीं ला पाया।
इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है। मौजूदा विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दे दिया है। वहीं पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से मैदान में हैं। भाजपा ने यहां से उप जिला प्रमुख बनवारी लाल सैनी को खड़ा किया था। हालांकि बाद में रवि सैनी को टिकट दिया गया। इस बार भाजपा यह सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है।डॉ. राजकुमार शर्मा ने 2008 में यहां से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को हराया था। उसके बाद वे कांग्रेस में चले गए और प्रदेश सरकार में मंत्री बने। वर्ष 2013 में डॉ. शर्मा का टिकट काट दिया और वे निर्दलीय खड़े हुए। उनके सामने एक बार फिर कांग्रेस से प्रतिभा सिंह उम्मीदवार थीं। इस बार भी राजकुमार शर्मा जीत गए।
अगर सामाजिक समीकरणों की बात करें तो राजकुमार शर्मा की जीत में ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत, दलित और पिछड़ा वर्ग के साथ ही मुस्लिम मतदाता अहम किरदार निभाता है। राजकुमार शर्मा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और आम लोगों के साथ उनका जुड़ाव रहा है। वहीं प्रतिभा सिंह की ओर मुख्यत: कांग्रेस का परंपरागत वोट रहा है लेकिन राजकुमार शर्मा पिछले दो चुनावों में इसमें विभाजन करने में सफल रहे हैं। इसके अलावा प्रतिभा सिंह के साथ जाट वोट जुड़ा रहा है।
बगड़ निवासी बनवारी लाल सैनी पिछले चार दशक से राजनीति में हैं। वे 1978 में जय पहाड़ी के सरपंच बने थे। इसके अलावा दो बार जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं। अभी वे उप जिला प्रमुख हैं। वर्ष 1999 में वे भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके अलावा सैनी भाजपा में विभिन्न पदों पर रहे हैं। चर्चा है कि वे झुंझुनूं से टिकट चाहते थे लेकिन भाजपा ने उन्हें नवलगढ़ से टिकट दे दिया। इसके बाद पार्टी में मंथन चला और रवि सैनी यहां से प्रत्याशी बनाए गए।
रवि सैनी की मौजूदगी से नवलगढ़ में मुकाबला और कड़ा हो गया है। चूंकि नवलगढ़ क्षेत्र में सैनी मतदाताओं की संख्या भी खूब है। अगर वे इन्हें साथ लाकर भाजपा का परंपरागत वोट खुद के साथ जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं तो यहां के सियासी समीकरण बदल सकते हैं।