आतंकवाद पर प्रहार

शी जिनपिंग और शहबाज शरीफ भलीभांति समझ गए होंगे कि भारत का संकेत किसकी ओर था

आतंकवाद पर प्रहार

कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर टूट गई है, लेकिन उसका पूरी तरह खात्मा नहीं हुआ है

कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण पढ़ते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद पर जिस तरह प्रहार किया, उसकी गूंज इस्लामाबाद से लेकर बीजिंग तक खूब सुनाई देगी। बेशक अब समय आ गया है कि आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को अलग-थलग किया जाए, उन्हें बेनकाब किया जाए। सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भलीभांति समझ गए होंगे कि भारत का संकेत किसकी ओर था! भारतीय प्रधानमंत्री के इन शब्दों को कोई नहीं नकार सकता कि 'हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं। यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता।’ पिछले एक दशक में आतंकवाद के प्रति भारत के रुख में खूब सख्ती आई है। एलओसी पर आतंकवादियों के खात्मे का सवाल हो या देश के किसी भी इलाके में उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने का मिशन, भारतीय सुरक्षा बलों व खुफिया एजेंसियों ने देश को अधिक सुरक्षित बनाया है। एक-डेढ़ दशक पहले तक टीवी चैनलों और अख़बारों में ऐसी 'चेतावनी' देखने/पढ़ने को मिलती थी, जिसमें लावारिस वस्तु को न छूने जैसी हिदायत दी जाती थी। आतंकवादी कुछ महीनों के अंतराल पर ऐसे बम धमाके करते रहते थे, जिनमें कई लोग जान गंवाते थे। अब ज्यादातर आतंकवादी एलओसी पर ही ढेर कर दिए जाते हैं। ज्यादा उन्नत तकनीक से उनके नेटवर्क का पता लगाने में आसानी हो गई है।

Dakshin Bharat at Google News
हालांकि अब भी आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की दिशा में बहुत काम करने की जरूरत है। कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर टूट गई है, लेकिन उसका पूरी तरह खात्मा नहीं हुआ है। सरहद पार बैठे आतंकवादियों के आका जानते हैं कि वे कश्मीर में ज्यादा समय तक दहशत का खेल नहीं खेल पाएंगे, लिहाजा वे भारत के दूसरे इलाकों में जड़ें जमाने की कोशिशें करेंगे। सुरक्षा बल इस चुनौती का सामना करने के लिए पहले ही से तैयार हैं। वास्तव में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लंबी चलेगी। भारत को हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन और पाकिस्तान को घेरना होगा, उन पर दबाव बनाना होगा। प्राय: यह प्रश्न पूछा जाता है कि ऐसे मंचों पर बोलने से क्या होगा, क्योंकि इससे रावलपिंडी व इस्लामाबाद आतंकवाद को बढ़ावा देना तो बंद नहीं करेंगे? भारत कई वर्षों से ऐसे मंचों पर पाक प्रायोजित आतंकवाद का मामला उठा रहा है। शुरुआत में इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता था, लेकिन समय के साथ अन्य देशों को बात समझ में आने लगी, खासकर 9/11 की घटना और 2 मई, 2011 को लादेन के खात्मे के बाद दुनिया इस बात को समझ चुकी है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की शरणस्थली है। पाकिस्तान के प्रति एफएटीएफ का रुख भी सख्त हुआ है। उसने उसे ग्रे लिस्ट में भी डाला था, जिसकी इस्लामाबाद ने बड़ी कीमत चुकाई। भारत को पाकिस्तान के खिलाफ और मजबूत सबूत जुटाकर इस लड़ाई को तेज करना होगा। अगर अगली बार पाक ब्लैक लिस्ट में चला जाए तो 'सोने पे सुहागा', वह ग्रे लिस्ट में जाए तो भी बेहतर है। पाकिस्तान में लोग निवेश करने से कतराने लगे हैं। बैंकों से भरोसा उठता जा रहा है। कई कंपनियां लगातार घाटे में चलने के कारण कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। रावलपिंडी व इस्लामाबाद को पता चल रहा है कि आतंकवाद को परवान चढ़ाना अब बहुत महंगा पड़ेगा। भारत को कई मोर्चों पर इस लड़ाई को जारी रखना होगा, जिसमें एलओसी के पार सैन्य कार्रवाई भी एक प्रमुख विकल्प है। जब तक (पाकिस्तानी) पंजाब से आने वाले सैन्य अधिकारियों व जवानों तक आंच नहीं पहुंचेगी, कश्मीर में पूरी तरह शांति नहीं होगी।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी
Photo: NIA
हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के हर्मीस-900 ड्रोन को मार गिराने का दावा किया
ये पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोले- 'यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ बनने के लिए भारत के पास है विश्वसनीयता'
जब तक आतंकी हमले बंद न करे पाक, न हो उसके साथ कोई बातचीत: फारूक अब्दुल्ला
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को कक्षा 8 से 10 की अर्धवार्षिक परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से रोका
निर्दोष नागरिकों की हत्या करना और हिंसा फैलाना अपराध हैं: प्रियंका वाड्रा
डिजिटल मंच और राष्ट्रीय सुरक्षा