विवादों का पटाक्षेप
अग्निपथ से आने वाले अग्निवीरों के प्रदर्शन का अध्ययन किया जाए

भविष्य के लिए तकनीकी क्षेत्र में आधुनिकीकरण की अधिक संभावनाएं होंगी
अग्निपथ योजना को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के बाद अब इस पर विवादों का पटाक्षेप हो जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने रक्षा बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की इस योजना को सही ठहराने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर मुहर लगाते हुए इसे चुनौती देने वाली दो याचिकाएं खारिज कर दीं।
यह योजना शुरू हो गई है। रक्षा बल इस दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। अब कोशिश यह होनी चाहिए कि अग्निपथ से आने वाले अग्निवीरों के प्रदर्शन का अध्ययन किया जाए और जहां जरूरी हो, इस योजना में समयानुसार सुधार होना चाहिए।जिस तरह अन्य क्षेत्रों में सुधार जरूरी हैं, उसी प्रकार रक्षा बलों में भी सुधार होते रहने चाहिएं। फिर चाहे वह संगठनात्मक ढांचा हो या तकनीक, हर बिंदु में सुधार मायने रखता है। यह देश की रक्षा का विषय है। आज देश के सामने आंतरिक और बाह्य, दोनों तरह की चुनौतियां कहीं ज़्यादा हैं। निस्संदेह आज़ादी के बाद देश ने बहुत आर्थिक और तकनीकी विकास किया है। इस अवधि में रक्षा बल भी बहुत शक्तिशाली हुए हैं, लेकिन चुनौतियां भी उतनी ही तेजी से बढ़ी हैं। आतंकवाद, घुसपैठ जैसे बड़े ख़तरों से निपटने के लिए ऐसे रक्षा बलों की जरूरत है, जो खतरे को भांपते हुए तुरंत कार्रवाई करें।
इस क्षेत्र में भविष्य में मानव बल के साथ तकनीकी बल का महत्त्व और बढ़ जाएगा, जिसके लिए भारत को तैयार रहना चाहिए। निस्संदेह रक्षा बलों में लाखों लोग सेवा देते हैं। ये रोज़गार का बड़ा जरिया हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि रोज़गार देना रक्षा बलों का मूल उद्देश्य नहीं है। इनका काम देश की रक्षा करना है। यहां बदलते परिदृश्य के बीच कोई बदलाव करना जरूरी हो तो यह देखना चाहिए कि इससे देश की रक्षा व्यवस्था कितनी मजबूत होगी। यहां रोजगार और सुविधाओं की बात उसके बाद होनी चाहिए।
निस्संदेह युवाओं के लिए रोज़गार बहुत ज़रूरी है। इसके लिए सरकारों को अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अधिकाधिक अवसरों का सृजन करना चाहिए। प्रायः हमारे देश में रोजगार का अर्थ ‘सरकारी नौकरी’ समझा जाता है। सरकारें निजी क्षेत्र में रोजगार को भी प्रोत्साहित करें। युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर देने होंगे।
यह भी देखने में आता है कि देश के रक्षा बजट का बहुत बड़ा हिस्सा वेतन आदि में खर्च हो जाता है। नई तकनीक, हथियारों, शोध आदि के हिस्से में कम ही राशि आती है। आज जिस तरह तकनीक का प्रसार हो रहा है, उसके मद्देनजर रक्षा बलों को आधुनिक बनाने की जरूरत है। आज युद्ध विज्ञान से संबंधित तकनीक इतनी घातक हो गई है कि इससे लैस दो (या ज़्यादा) देश बड़े युद्ध का नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकते।
रूस और यूक्रेन का युद्ध इतना लंबा इस वजह से खिंच गया, क्योंकि यूक्रेन सैन्य बल की दृष्टि से शक्तिशाली नहीं है। अगर रूस के सामने अमेरिका होता तो दोनों ही देश सीधे सैन्य टकराव से परहेज करते। भारत के सन्दर्भ में देखें तो पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद और छोटी-बड़ी झड़पों का खतरा रहेगा। भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा चीन है, जो अपनी सेना और खुफिया एजेंसियों का तकनीक के जरिए तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है।
भारत की सैन्य तैयारियां इन दोनों देशों को ध्यान में रखते हुए होनी चाहिएं। अग्निपथ योजना से हमारी सेना और ‘जवान’ होगी। इससे औसत आयु करीब 26 साल हो जाएगी। वहीं, रक्षा बल त्वरित कार्रवाई में अधिक सक्षम होंगे। साथ ही भविष्य के लिए तकनीकी क्षेत्र में आधुनिकीकरण की अधिक संभावनाएं होंगी।
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