इजरायली दूतावास के पास धमाके से उपजे सवाल

इजरायली दूतावास के पास धमाके से उपजे सवाल

इजरायली दूतावास के पास धमाके से उपजे सवाल

दक्षिण भारत राष्ट्रमत में प्रकाशित संपादकीय

दिल्ली में शुक्रवार शाम अब्दुल कलाम रोड पर इजरायली दूतावास से कुछ दूरी पर धमाका होना कई सवाल खड़े करता है। किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा से भारतविरोधी ताकतों में खुशी की लहर है। पाकिस्तानी टीवी चैनलों की बहस और सोशल मीडिया पर वहां के लोगों की प्रतिक्रिया से इसे सहज ही समझा जा सकता है। वहीं, शुक्रवार को जब धमाका हुआ तो विजय चौक पर गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के लिए बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन हो रहा था। वहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे।

इसी दिन भारत और इजरायल अपने राजनयिक संबंधों के 29 साल पूरे होने का जश्न मना रहे थे। इजरायली दूतावास ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से यह जानकारी दी थी। ऐसे में यह घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाती है। चूंकि भारत की तरह ही इजरायल भी आतंकवाद से पीड़ित रहा है। भारत के साथ उसके मधुर संबंध हैं। आतंकी तत्व उसे नष्ट करने की धमकी देते रहते हैं परंतु इजरायल अपने शौर्य, पराक्रम व परिश्रम से कायम है और प्रगति भी कर रहा है। वह आतंकवाद के मामले में शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाता है, इसलिए आतंकी उससे खौफ खाते हैं। यह धमाका स्वाभाविक रूप से सुरक्षा एजेंसियों के लिए जांच का विषय है। कहीं किसान आंदोलन की आड़ में राष्ट्र एवं शांतिविरोधी तत्व राजधानी में जड़ें जमाकर देश की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश तो नहीं कर रहे? कहीं आतंकी तत्व इजरायली दूतावास को निशाना बनाने के लिए उपयुक्त अवसर की तलाश तो नहीं कर रहे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद आतंकियों के खिलाफ देश का रुख और सख्त हुआ है। उरी और पुलवामा जैसे हमलों के जवाब में पाकिस्तान में घुसकर प्रहार किया गया, तो पूरा देश इस फैसले के पक्ष में खड़ा था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के प्रावधान निष्प्रभावी किए गए हों या आतंकियों का संहार कर उनके संगठनों की कमर तोड़ना; सरकार, खुफिया एजेंसियों और सशस्त्र बलों ने अच्छा काम किया है।

इससे बौखलाया पाक निश्चित रूप से मौका ढूंढ़ रहा होगा। इजरायल का झंडा तो उसे फूटी आंख नहीं सुहाता और न वह उसे मान्यता देता है। खैर, पाक के मान्यता देने या न देने से इजरायल को कोई फर्क नहीं पड़ता। दूतावास के पास हुए इस धमाके में सिर्फ कुछ कारों को नुकसान हुआ। इसे मामूली विस्फोट बताया गया है। विभिन्न रिपोर्टों में इसके आईईडी होने को लेकर संदेह जताया जा रहा है। यह भी संभव है कि इस घटना को अंजाम देने वाले एजेंसियों को चुनौती देने के साथ सनसनी फैलाने का इरादा रखते हों।

इन दिनों जब किसान आंदोलन के कारण पुलिस बल वहां शांति व्यवस्था बनाए रखने में व्यस्त हैं तो राष्ट्रविरोधी तत्वों को यह समय ‘अनुकूल’ लग सकता है। इसलिए सुरक्षा एजेंसियों के अलावा आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे ऐसे तत्वों पर नजर रखें और पुलिस को सूचित करें। एक चुनौती फेक न्यूज और भड़काऊ वीडियो भी हैं। खासतौर से वाॅट्सऐप पर ऐसी सामग्री खूब शेयर की जा रही है। चूंकि सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान ऐसे कई सोशल मीडिया अकाउंट पकड़ में आए थे जो लोगों को उकसाने के लिए भड़काऊ सामग्री पोस्ट कर रहे थे। बाद में उनका पाकिस्तान से कनेक्शन निकला।

अब किसान आंदोलन में पाकिस्तान की ‘रुचि’ देखकर इस बात से बिल्कुल इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह ‘मौके’ का फायदा उठाने की ताक में है। वह खालिस्तान का पहले ही समर्थन करता रहा है। लिहाजा सोशल मीडिया पर असत्य, भ्रामक और भड़काऊ सामग्री को आगे बढ़ाने से बचना चाहिए। बहुत संभव है कि जिसे हम सच्ची घटना मान रहे हों, उसकी पटकथा कराची या रावलपिंडी से लिखी गई हो! ऐसी सामग्री को रिपोर्ट करना चाहिए।

उक्त धमाके को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बहुत गंभीरता से लिया है। मामले की जांच में एनआईए समेत संबंधित एजेंसियां जुटी हुई हैं। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके पीछे जो लोग रहे हैं, वे बेनकाब किए जाएंगे। धमाके को सिर्फ इस आधार पर कमतर नहीं आंकना चाहिए कि इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। जो आज छोटा धमाका कर रहे हैं, दंड नहीं मिलने से कल वे बड़ा धमाका करने का दुस्साहस करेंगे। ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि उनके और उनके आकाओं के हौसले पस्त हों। साथ ही उन विदेशी ताकतों का पर्दाफाश हो जिन्हें यह समय एक मौके की तरह लग रहा है।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

ओडिशा में बोले शाह- नवीन बाबू का मानना है कि यहां आयुष्मान योजना लागू हुई तो मोदी लोकप्रिय हो जाएंगे ओडिशा में बोले शाह- नवीन बाबू का मानना है कि यहां आयुष्मान योजना लागू हुई तो मोदी लोकप्रिय हो जाएंगे
शाह ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा खनिज संपदा ओडिशा में है और सबसे ज्यादा गरीबी भी यहीं है...
बेंगलूरु: महिलाओं के स्वास्थ्य और कैंसर संबंधी जागरूकता के लिए जानकारी दी
पिछले 10 वर्षों में हम अभूतपूर्व परिवर्तन लेकर आए, कांग्रेस-टीआरएस भ्रष्टाचार में व्यस्त रहीं: शाह
हथियारों के दलाल नहीं चाहते कि सेना आत्मनिर्भर बने, वे मोदी के खिलाफ एकजुट हो गए: प्रधानमंत्री
फर्जी सीबीआई अधिकारी बताकर एमएनसी की सेवानिवृत्त निदेशक से ठग लिए 25 करोड़ रुपए!
भाजपा के लिए देश से बड़ा कुछ नहीं, कांग्रेस के लिए अपना परिवार ही सबकुछ है: मोदी
पाकिस्तानी कारोबारी बोले- मुल्क में व्यापार करना हुआ 'लगभग असंभव', भारत से वार्ता करें शहबाज़