नई दिल्ली/भाषालोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने के विषय पर चर्चा के लिए निर्वाचन आयोग और विधि आयोग की अगले हफ्ते एक महत्वपूर्ण बैठक होने की संभावना है। निर्वाचन आयोग ने विधि आयोग के प्रमुख-पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीएस चौहान-और अन्य शीर्ष अधिकारियों को १६ मई को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। विधि आयोग के एक अधिकारी ने बताया, हां, हम साथ-साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग के साथ चर्चा करेंगे क्योंकि उसे चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले विधि आयोग ने साथ-साथ चुनाव कराने पर एक कार्य पत्र (वर्किंग पेपर) जारी किया था। विधि आयोग ने कहा है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ चुनाव दो चरणों में कराए जा सकते हैं, जो २०१९ से शुरू होगा। इसके लिए संविधान के कम से कम दो प्रावधानों में संशोधन करना होगा और राज्यों के बहुमत से इसका अनुमोदन कराना होगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के कुछ प्रावधानों का भी संसद में साधारण बहुमत से संशोधन करना होगा। कार्य पत्र के मुताबिक दूसरे चरण में साथ-साथ चुनाव २०२४ में कराया जा सकता है। दस्तावेज ने लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल से संबद्ध संविधान के अनुच्छेद ८३ (२) और १७२ (१) तथा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। यह सुझाव दिया गया है कि यदि सरकार बीच में गिर जाती है तो कार्यकाल की शेष अवधि के लिए नई सरकार का गठन किया जाएगा, ना कि पांच साल के नये कार्यकाल के लिए।जिन राज्यों को प्रथम चरण में शामिल करने की सिफारिश की गई है उनमें आंध्र प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के नाम शामिल हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब को दूसरे चरण में शामिल किया गया है। इन राज्यों में लोकसभा के साथ-साथ चुनाव कराने के लिए विधानसभाओं का कार्यकाल ब़ढाना होगा। विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले संविधान विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के विचार मांगे हैं। हालांकि, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने हाल ही में कहा था कि साथ – साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी कानूनी ढांचे को तैयार करने में वक्त लगेगा। लोकसभा और विधानसभाओं के साथ – साथ चुनाव कराने के मुद्दे की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जोरदार हिमायत किए जाने के बाद कानून मंत्रालय ने हाल ही में कानूनी और अलग – अलग पहलुओं से इस मुद्दे पर विचार करने का सुझाव दिया था। कानूनी पहलू में संविधान संशोधन शामिल है जबकि दूसरा पहलू साजोसामान, बुनियादी ढांचा और वित्त का है। साथ – साथ चुनाव कराने के संबंध में दिसंबर २०१६ में कानून पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिश के बाद कानून मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग का विचार मांगा था। आयोग ने इस विचार का समर्थन किया था। साथ ही, निर्वाचन आयोग ने सरकार और समिति से यह भी कहा था कि साथ – साथ चुनाव कराने के लिए काफी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) और मतदाता सत्यापन पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनें खरीदने की जरूरत प़डेगी। इसके लिए कुल ९,२८४.१५ करो़ड रूपये की जरूरत प़डने की उम्मीद है।