आलोचक सबसे बड़ा हितैषी होता है: कमलमुनि
'जो व्यक्ति कुछ नहीं करता, वही आलोचना करता है'
'किसी की पीठ पीछे आलोचना करना गलत है'
चेन्नई/दक्षिण भारत। शहर के साहुकारपेट स्थित जैन स्थानक भवन में चातुर्मासार्थ विराजित राष्ट्रसंत कमलमुनिजी कमलेश ने अपने प्रवचन में कहा कि जब कोई व्यक्ति अपने बलबूते पर सफलता के शिखर पर पहुंचता है तो कई लोग उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। वे अपनी कमजोरी छुपाने के लिए बौखलाहट से अपनी भड़ास निकालने के लिए उसकी आलोचना करते हैं।
इससे बड़ा अधर्म और पाप और कुछ नहीं हो सकता। हमें गुरु और भगवान मिलें या ना मिलें, परंतु आलोचक जरूर मिलना चाहिए जो कर्मों की निर्जरा में सहयोगी बनकर परमात्मा के रूप में बनने के लिए हमें सहयोग प्रदान करता है।उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति कुछ नहीं करता, वही आलोचना करता है। वह व्यक्ति मुर्दे के समान है, नहीं करने वाले की बजाय गलती करके करने वाला लाख गुना अच्छा है। उसके हौसले का अभिनंदन होना चाहिए। मुनि कमलेशजी ने कहा कि दूसरों की आलोचना करके उसके कचरे को
अपनी आत्मा में स्थान देकर कूड़ापात्र नहीं बनना चाहिए। ऐसे करके हमारे हृदय में धर्म और परमात्मा का निवास नहीं हो सकता।
राष्ट्रसंत ने कहा कि भगवान महावीर ने कहा है कि किसी की पीठ के पीछे आलोचना करना गलत है। यह निंदनीय और घृणित है। विश्व के सभी धर्मों ने आलोचना करने वाले को धार्मिकता में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी है।
जैन संत ने कहा कि आलोचना करने वाले व्यक्ति का वह स्वभाव बन जाता है। यदि वह प्रभु के चरणों में भी जाता है तो भी पाप कमा कर ही आएगा, परंतु यदि उतना ही समय और बुद्धि अपनी कमियों को दूर करने में लगाये तो वह चलता फिरता तीर्थ बन जाए।
राष्ट्रसंत ने कहा कि आलोचक हमारे सबसे बड़े भगवान और तीर्थ हैं जो अपनी कमियों को दूर करने में सहयोगी बनते हैं, क्योंकि खुद की कमियां खुद को नजर नहीं आती हैं। आलोचक हमारा सबसे सच्चा हितैषी और सच्चा मित्र होता है।
संघ के मंत्री डॉ संजय पींचा ने मंच संचालन करते हुए आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।


