पहले जनजातीय खेल महोत्सव का केआईआईटी में आग़ाज़

केआईआईटी के लिए यह आयोजन बहुत महत्त्वपूर्ण है

पहले जनजातीय खेल महोत्सव का केआईआईटी में आग़ाज़

शुभंकर भीम का अनावरण किया गया

भुवनेश्वर/दक्षिण भारत। केआईआईटी डीयू में शुक्रवार को पहला जनजातीय खेल महोत्सव बड़े उत्साह के साथ शुरू हुआ। बारह जून को समाप्त होने वाले इस भव्य खेल आयोजन में लगभग 5,000 आदिवासी एथलीट और 26 राज्यों के 1,000 अधिकारी भाग ले रहे हैं। पारंपरिक खेलों और जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाला यह अनोखा आयोजन संस्कृति मंत्रालय और ओडिशा सरकार की संयुक्त पहल है।

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उद्घाटन समारोह ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की, संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव उमा नंदुरी और केआईआईटी व केआईएसएस के संस्थापक डॉ. अच्युत सामंत की मौजूदगी में हुआ। 

केआईआईटी के लिए यह आयोजन बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सहयोगी संस्था केआईएसएस आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करती है और इसने अनगिनत आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाया है। पूरे महोत्सव में रोमांचक खेलों के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी। इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर शुभंकर भीम का अनावरण किया गया।

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राज्यपाल ने अपने संबोधन के दौरान सेतु निर्माण में खेल और योग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए खेलों की दिव्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खेल न केवल आध्यात्मिक ज्ञान में योगदान देते हैं, बल्कि मन की शांति भी प्रदान करते हैं।

शिक्षा मंत्री ने कहा, मोदी सरकार ने साल 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इसे पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए खेलों को बढ़ावा देने पर पर्याप्त ध्यान दिया है, जिसमें विद्यार्थी क्रेडिट अंक अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाले 100 एथलीटों में से 85 एथलीटों के साथ भारतीय खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपस्थिति के लिए आदिवासी समुदायों की सराहना की।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ने 5,000 आदिवासी प्रतिभागियों को एकसाथ खेलने का अनूठा अवसर प्रदान करने पर खुशी जताई। 

संस्कृति मंत्रालय में 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' प्रभारी संयुक्त सचिव ने साझा किया कि इस पहल से देशभर में 200,000 से अधिक कार्यक्रम हुए हैं, जिसने विश्व स्तर पर रिकॉर्ड स्थापित किया है।

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उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री की प्रेरणा के तहत इस साल जनवरी में जनजातीय खेल महोत्सव की कल्पना की गई थी, तो केआईआईटी व केआईएसएस इस कार्यक्रम की मेजबानी के लिए स्वाभाविक पसंद थे।

डॉ. सामंत ने अपने भाषण में खेल और संस्कृति, आदिवासी समुदायों और खेलों के महत्त्व, परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण पर प्रकाश डालते हुए इस आयोजन की विशेष तथा अनूठी प्रकृति पर जोर दिया।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन तीन तत्त्वों को खेलों के माध्यम से निर्बाध रूप से लागू किया जा रहा है।

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