मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक की अपील खारिज होने के बाद राहुल के सामने क्या विकल्प?
राहुल गांधी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे
'अदालत ने गांधी की याचिका खारिज करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया'
सूरत/भाषा। गुजरात में सूरत की एक सत्र अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर एक आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा ने, दोषसिद्धि के खिलाफ दायर कांग्रेस नेता की अर्जी आज खारिज कर दी। अगर 52 वर्षीय गांधी की दोषसिद्धि पर रोक संबंधी अर्जी मंजूर हो जाती तो उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो सकता था।यद्यपि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सूरत की अदालत के फैसले को न्यायपालिका की ‘जीत’ करार देते हुए खुशी जाहिर की, लेकिन कांग्रेस ने कहा कि वह कानून के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेगी।
गांधी के वकील किरीट पानवाला ने कहा कि सत्र अदालत के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सत्र अदालत ने निचली अदालत के 23 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख मुकर्रर की है।
गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था। उनके वकील ने गांधी को दो साल की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर मुख्य अपील के साथ दो अर्जियां भी दायर की थीं, जिनमें एक अर्जी जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी अर्जी मुख्य अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए।
गांधी की अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि उनके वकील यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि यदि उन्हें (गांधी को) दोषसिद्धि पर रोक न लगने के कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया जाता है, तो उन्हें ‘अपरिवर्तनीय और अप्रतिसंहरणीय क्षति’ होने की संभावना है।’
राहुल गांधी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे।
गत 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया।
सत्र अदालत ने राहुल को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये थे। उसने पिछले बृहस्पतिवार, 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोषसिद्धि पर रोक के संबंध में गांधी की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सत्र अदालत ने आज (बृहस्पतिवार को) गांधी की अर्जी खारिज कर दी।
निचली अदालत ने कांग्रेस नेता को कर्नाटक के कोलार में साल 2019 के दौरान एक चुनावी रैली में की गई उनकी टिप्पणी ‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’ के लिए दोषी ठहराते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई थी।
गांधी के वकील पानवाला ने कहा कि कांग्रेस नेता अदालत के तीन अप्रैल के आदेश के अनुसार अपनी मुख्य अपील के निस्तारण तक जमानत पर बाहर रहेंगे।
पूर्णेश मोदी के वकील हर्षिल टोलिया ने कहा कि अदालत ने गांधी की याचिका खारिज करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया।
टोलिया ने कहा, ‘अदालत ने अपना आदेश देते समय सभी कानूनी और तथ्यात्मक बिंदुओं पर विचार किया है। इसने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया और कहा कि मोदी समुदाय के सदस्य पूर्णेश मोदी (कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष) गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करने के लिए सक्षम हैं।’
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जैसा कि शीर्ष अदालत ने कई फैसलों में कहा है, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 389 (1) के तहत दोषसिद्धि को निलंबित/रोकने के लिए दी गई शक्ति को ‘‘सावधानी और समझदारी के साथ’ इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘अगर इस तरह की शक्ति का आकस्मिक और यांत्रिक तरीके से प्रयोग किया जाता है, तो इसका न्याय वितरण प्रणाली को लेकर जनता की धारणा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और इस तरह के आदेश से न्यायपालिका में जनता का विश्वास हिल जाएगा।’
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज दोषसिद्धि को निलंबित करने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं बनाया है।
कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात की एक सत्र अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद कहा कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग जारी रखेगी।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, कानून के तहत जो भी विकल्प हमारे लिए उपलब्ध होंगे, हम उन सभी विकल्पों का लाभ उठाना जारी रखेंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, अदालत का फैसला गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी के अहंकार पर करारा प्रहार है।
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अदालत का फैसला यह भी साबित करता है कि कानून सभी के लिए बराबर है और वह किसी भी प्रकार के दवाब के आगे झुकता नहीं है।
पात्रा ने कहा, आज के फैसले से एक बात स्पष्ट है कि इस देश में संविधान का राज है, परिवार का राज नहीं है। और किसी भी परिवार के लिए अलग कानून नहीं हो सकता।
पात्रा ने कहा, यह भारत के आम लोगों और पिछड़े वर्गों की जीत है। यह न्यायपालिका की भी एक बड़ी जीत है।
राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए पात्रा ने कहा, न्यायपालिका ने आज कहा कि आप चाहे कितनी भी दबाव की राजनीति करें, हम झुकेंगे नहीं।