विषवृक्ष

अब इमरान अपना असल रंग दिखा रहे हैं

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अगर इमरान के ये ही तेवर बरकरार रहे तो सरकार पीटीआई को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर सकती है

पाकिस्तान में सैन्य नेतृत्व ने सपने में भी यह कल्पना नहीं की होगी कि जिस व्यक्ति (इमरान ख़ान) को वे सत्ता में लेकर आए, वह एक दिन उनके लिए इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी कर देगा। रावलपिंडी के जनरल उस घड़ी को कोस रहे होंगे, जब उनके पूर्ववर्ती अधिकारियों को इमरान में भविष्य का ऐसा 'नेता' नज़र आया, जो उनकी 'जी हुजूरी' के लिए निर्धारित मापदंडों पर खरा उतर सकता था। 

अब इमरान अपना असल रंग दिखा रहे हैं। उनके समर्थकों ने लाहौर में ज़मान पार्क स्थित आवास के बाहर जो उपद्रव मचाया, उससे सरकार और सुरक्षा बलों के माथे पर पसीना आ गया है। इमरान ख़ान पाक फ़ौज के हाथों से इतने बाहर 'निकल' गए हैं कि अब उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को प्रतिबंधित संगठन घोषित करने पर बात चल रही है। 

पाक गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर इमरान के ये ही तेवर बरकरार रहे तो सरकार पीटीआई को प्रतिबंधित संगठन घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। वह इसके लिए विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने की योजना बना रही है। इमरान के समर्थकों ने जिस तरह उत्पात मचाया, उसने पूर्व में टीएलपी के उग्र प्रदर्शन की यादें ताजा कर दीं। बल्कि यह कहना उचित होगा कि पीटीआई कार्यकर्ता जिस उग्रता के साथ सुरक्षा बलों से भिड़े, टीएलपी वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई। 

पाक गृह मंत्री यह दावा कर रहे हैं कि इमरान के लाहौर स्थित आवास से हथियार और पेट्रोल बम बरामद किए गए हैं। आईजी डॉ. उस्मान अनवर ने प्रेसवार्ता में पेट्रोल बम सहित विस्फोटक सामग्री का प्रदर्शन किया था। वास्तव में इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान में एक 'पंथ' का रूप ले चुकी है। उनके प्रति कई लोग अंधश्रद्धा रखते हैं। अगर इमरान उनसे कहें तो वे अंजाम की परवाह किए बिना सरकार और सुरक्षा बलों से भिड़ने के लिए तैयार रहते हैं।

इमरान उनके लिए इतने महत्त्वपूर्ण क्यों हैं? इसका उत्तर उनके पास भी नहीं होगा। साल 2018 में जब इमरान ख़ान प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने लोगों को बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए; रोजगार, खुशहाली और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे किए थे, जो पूरे नहीं हुए। पीटीआई के शासन में पाक की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी थी, लेकिन फौज ने जिस तरह इमरान को सत्ता से बेदखल किया, उससे उन्हें सहानुभूति मिल रही है। 

पाकिस्तान में एक बड़ा तबका ऐसा है, जिसे अब भी यह भ्रम है कि अगर इमरान ख़ान की सरकार आ गई तो हालात एकदम बेहतर हो जाएंगे। कैसे हो जाएंगे? इसका कोई अंदाजा न तो जनता को है और न इमरान के पास ऐसा कोई खाका है, जो पाक को कंगाली से बाहर निकाल सके। ज़मान पार्क गतिरोध के तौर पर इमरान ने न्यायपालिका, सरकार और फौज - तीनों को ललकारा है। उनके समर्थकों ने पेट्रोल बमों का इंतजाम कर जिस तरह की मोर्चाबंदी कर रख थी, उससे पता चलता है कि वे सुरक्षा बलों के साथ बड़ी भिड़ंत की तैयारी कर चुके थे। अगर मामला लंबा खिंचता तो बड़े पैमाने पर खून-खराबा हो सकता था। 

इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि पीटीआई के लिए पाक के वरिष्ठ नेता 'आतंकवादी' शब्द का उपयोग कर रहे हैं। सनाउल्लाह ने कहा, ‘ज़मान पार्क में आतंकवादी छुपे थे। इमरान खान के आवास से हथियार, पेट्रोल बम आदि बरामद किए गए हैं, जो एक आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए पीटीआई के खिलाफ मामला दर्ज करने के वास्ते पर्याप्त सबूत है।’ पीएमएल-एन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मरियम नवाज कहती हैं, 'नेता जेल जाने और जवाबदेही से नहीं घबराते। केवल चोर और आतंकवादी घबराते हैं। गिरफ्तारी से डर दिखाता है कि इमरान के खिलाफ मामले सही हैं।’ 

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपनी भतीजी के इस दावे से सहमत हैं कि इमरान की पार्टी ‘आतंकवादी संगठन’ है। जो देश दुनियाभर में 'आतंकवाद' फैलाता है, अगर वहां प्रमुख राजनीतिक दल आतंकवादी संगठन की तरह व्यवहार करने लग जाए तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। आज पाकिस्तान वही काट रहा है, जो उसने अतीत में बोया था। इस 'विषवृक्ष' के फल भविष्य में और विषैले होंगे, जिनका सेवन पाकिस्तान को ही करना होगा।

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