'छठ महापर्व', 'गार्बेज कैफे', 'वंदे मातरम्', 'कोमरम भीम' - 'मन की बात' में यह बोले मोदी

संस्कृत को बढ़ावा देने का किया आह्वान

'छठ महापर्व', 'गार्बेज कैफे', 'वंदे मातरम्', 'कोमरम भीम' - 'मन की बात' में यह बोले मोदी

Photo: @NarendraModi YouTube Channel

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतिबिंब है। छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है। यह दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है। 

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उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में शहर से प्लास्टिक कचरा साफ करने के लिए एक अनोखी पहल की गई है। यहां गार्बेज कैफे चलाए जा रहे हैं। ये ऐसे कैफे हैं, जहां प्लास्टिक कचरा लेकर जाने पर भरपेट खाना खिलाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति एक किलो प्लास्टिक लेकर जाए तो उसे दोपहर या रात का खाना मिलता है और कोई आधा किलो प्लास्टिक ले जाए तो नाश्ता मिल जाता है। ये कैफे अंबिकापुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चलाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के वन विभाग ने मैंग्रोव के महत्त्व को समझते हुए खास मुहिम चलाई हुई है। पांच साल पहले वन विभाग की टीमों ने अहमदाबाद के नजदीक धोलेरा में मैंग्रोव लगाने का काम शुरू किया था। आज धोलेरा तट पर साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में मैंग्रोव फैल चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंग्रोव का असर आज पूरे क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। वहां के इको सिस्टम में डॉल्फिन्स की संख्या बढ़ गई है। केकड़े और दूसरे जलीय जीव भी पहले से ज्यादा हो गए हैं। यही नहीं, अब यहां प्रवासी पक्षी भी काफी संख्या में आ रहे हैं। इससे वहां के पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव तो पड़ा ही है, धोलेरा के मछली पालकों को भी फायदा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि करीब पांच वर्ष पहले मैंने इस कार्यक्रम में भारतीय नस्ल के 'श्वान' यानी डॉग्स की चर्चा की थी। मैंने देशवासियों के साथ ही अपने सुरक्षा बलों से आग्रह किया था कि वे भारतीय नस्ल के डॉग्स को अपनाएं, क्योंकि वे हमारे परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप ज्यादा आसानी से ढल जाते हैं। बीएसएफ और सीआरपीएफ ने अपने दस्तों में भारतीय नस्ल के डॉग्स की संख्या बढ़ाई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल आधुनिक काल में राष्ट्र की सबसे महान विभूतियों में से एक रहे हैं। उनके विराट व्यक्तित्व में अनेक गुण एक साथ समाहित थे। मेरा आप सबसे आग्रह है कि 31 अक्टूबर को सरदार साहब की जयंती पर देशभर में होने वाली रन फॉर यूनिटी में आप भी जरूर शामिल हों।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 'वंदे मातरम्' इस एक शब्द में कितने ही भाव हैं, कितनी ऊर्जाएं हैं। सहज भाव में यह हमें माँ भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है। यही हमें मां भारती की संतानों के रूप में अपने दायित्वों का बोध कराता है। अगर कठिनाई का समय होता है तो 'वंदे मातरम्' का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है। 7 नवंबर को हम 'वंदे मातरम्' के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं। 150 वर्ष पूर्व 'वंदे मातरम्' की रचना हुई थी और सन् 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे गाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक युवा कॉन्टेंट क्रिएटर हैं– भाई यश सालुंके। यश की खास बात यह है कि वे कॉन्टेंट क्रिएटर भी हैं और क्रिकेटर भी हैं। संस्कृत में बात करते हुए क्रिकेट खेलने की उनकी रील लोगों ने खूब पसंद की है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से गुलामी के कालखंड में और आजादी के बाद भी संस्कृत लगातार उपेक्षा का शिकार हुई। इस वजह से युवा पीढ़ियों में संस्कृत के प्रति आकर्षण भी कम होता चला गया। अब समय बदल रहा है, तो संस्कृत का भी समय बदल रहा है। संस्कृति और सोशल मीडिया की दुनिया ने संस्कृत को नई प्राणवायु दे दी है। इन दिनों कई युवा संस्कृत को लेकर बहुत रोचक काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कमला और जाह्नवी, इन दो बहनों का काम भी शानदार है। ये अध्यात्म, दर्शन और संगीत पर कॉन्टेंट बनाती हैं। इंस्टाग्राम पर एक और युवा का चैनल है 'संस्कृत छात्रोहम्'। इस चैनल को चलाने वाले युवा-साथी संस्कृत से जुड़ी जानकारियां तो देते ही हैं, वो संस्कृत में हास-परिहास के वीडियो भी बनाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप में से कई साथियों ने समष्टि के वीडियो Videos भी देखे होंगे। समष्टि संस्कृत में अपने गानों को अलग-अलग तरह से प्रस्तुत करती हैं। एक और युवा हैं 'भावेश भीमनाथनी'। भावेश संस्कृत श्लोकों, आध्यात्मिक दर्शन और सिद्धांतों के बारे में बात करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोमरम भीम ... अभी 22 अक्टूबर को ही उनकी जयंती मनाई गई है। कोमरम भीम की आयु बहुत लंबी नहीं रही, वे महज 40 वर्ष ही जीवित रहे, लेकिन अपने जीवन-काल में उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। सन् 1940 में निज़ाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक से अधिक जानने का प्रयास करें। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले महीने की 15 तारीख को हम 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाएंगे। यह भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का सुअवसर है। मैं भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। देश की आज़ादी के लिए, आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए, उन्होंने जो काम किया, वह अतुलनीय है।

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