अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाएं

किसान आत्मनिर्भर बनेगा तो भारत आत्मनिर्भर होगा

अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाएं

जब प्रकृति हम पर इतनी मेहरबान है तो उसके वरदान का लाभ उठाना चाहिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएआरआई में आयोजित कृषि कार्यक्रम में किसानों के साथ संवाद करते हुए सौर ऊर्जा और भूजल पुनर्भरण के बारे में जो सुझाव दिए, उनसे भविष्य में बहुत बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। उन पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने खेत की मेड़ पर सोलर पैनल लगाने का अनूठा विचार पेश किया है। प्राय: गांवों में मेड़ संबंधी विवाद बड़े झगड़े का रूप ले लेते हैं। पहले, इस स्थिति को टालने के लिए किसान मिट्टी की ऊंची मेड़ लगाते थे, जिसमें काफी समय लगता था और खूब मेहनत करनी पड़ती थी। इसमें जमीन का काफी हिस्सा दब जाता था, जो किसी काम नहीं आता था। उसके बाद तारबंदी का दौर आया, जो अब तक जारी है। इसके तहत किसान मेड़ की जगह कंटीले तार लगा देते हैं। इसमें भी काफी जगह दब जाती है। इसका एक फायदा यह होता है कि खेतों में आवारा पशु आसानी से नहीं घुस पाते, लेकिन कई बार हादसे हो जाते हैं। अगर किसान इस जगह सोलर पैनल लगवाने को प्राथमिकता दें तो इससे मेड़ संबंधी विवादों में कमी आएगी। साथ ही, किसानों की आमदनी बढ़ेगी। भारत में अन्न और ऊर्जा, दोनों की मांग बढ़ रही है। ऐसे में अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का विचार क्रांतिकारी साबित हो सकता है। हमारे देश में साल के ज्यादातर महीनों में अच्छी धूप पड़ती है। जब प्रकृति हम पर इतनी मेहरबान है तो उसके वरदान का लाभ उठाना चाहिए। सोचिए, अगर भारत में खेतों की मेड़ों पर सोलर पैनल लगे होते तो अब तक कितनी बिजली बनती और देश ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया के अन्य देशों से कितना आगे होता!

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खेत की मेड़ पर ये पैनल लगवाने से एक ओर जहां कृषि योग्य भूमि ज्यादा बचेगी, वहीं किसानों की क्रय क्षमता बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी। इससे रोजगार के अनेक अवसरों का सृजन होगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। हालांकि शुरुआती निवेश एक बड़ी चुनौती है। अगर किसानों को ज्यादा सब्सिडी मिले और सरकार उन्हें प्रोत्साहित करे तो अगले एक दशक में ही ऊर्जा परिदृश्य पूरी तरह बदल सकता है। यह अनूठा विचार युवाओं को खेती से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्राय: किसान अपने बच्चों को इसलिए खेती से दूर रखना चाहते हैं, क्योंकि इसमें आमदनी को लेकर निश्चितता कम है। अगर जमीन अच्छी है, लेकिन खाद-बीज की गुणवत्ता अच्छी नहीं है तो पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। अगर सबकुछ अच्छा है, लेकिन फसल कटाई के समय बेमौसम बारिश हो गई तो भारी नुकसान हो जाएगा। अगर किसान इससे भी सुरक्षित रहा तो उपज की वाजिब कीमत मिलने में दिक्कत आती है। पर्याप्त संख्या में सोलर पैनल लगवाने से किसान के लिए खेती फायदे का सौदा बन सकती है। हर महीने बैंक खाते में रुपए आएंगे तो उसे यह उम्मीद रहेगी कि किसी भी स्थिति में मेरा हाथ खाली नहीं रहेगा। अगर उपज अच्छी हो, उसकी वाजिब कीमत मिले और सोलर पैनलों से अच्छी कमाई हो जाए तो किसान समृद्ध हो सकता है। इसके साथ ही भूजल पुनर्भरण की ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि भविष्य में सिंचाई के लिए पानी की कमी न हो। आज देश के कई इलाकों में भूजल का स्तर बहुत नीचे चला गया है। इससे खेती चौपट हो रही है। खेती के लिए धरती से जितना पानी लें, उतना पुनर्भरण कर दें तो भूजल का संतुलन बना रहेगा। इससे किसान आत्मनिर्भर बनेगा और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।

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