सबक लें, जागरूक रहें

लोगों को यह बात समझानी होगी कि हादसे कभी भी और किसी के साथ भी हो सकते हैं

सबक लें, जागरूक रहें

गृह-प्रवेश और उद्घाटन जैसे शुभ अवसरों पर अग्निशामक यंत्र भी स्थापित करें

गुजरात के राजकोट शहर में एक ‘गेम जोन’ में भीषण आग लगने से कई लोगों की मौत होना अत्यंत दु:खद है। इस घटना के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में आग लग गई। राष्ट्रीय राजधानी की एक रिहायशी इमारत में भी ऐसा ही हादसा हो गया। सोशल मीडिया ऐसे वीडियो से भरा पड़ा है, जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। नवजात से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक ... देश में हर साल आग लगने की ऐसी घटनाओं में बहुत लोग जान गंवा रहे हैं। हादसों पर मीडिया सवाल उठाता है तो प्रशासन कुछ सक्रियता दिखा देता है। सरकारों की ओर से मुआवजे की घोषणा कर दी जाती है। हादसा बड़ा हुआ तो जांच कमेटियां बना दी जाती हैं। कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया जाता है। एफआईआर दर्ज करा दी जाती है। कई मामलों में यह बात सामने आती है कि दमकल उस जगह तक नहीं पहुंच सकी, क्योंकि आगे बढ़ने के लिए रास्ता नहीं बचा था। बेतरतीब बसावट और अतिक्रमण लोगों की जान पर भारी पड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार के दैत्य को समय रहते कुछ नियंत्रित कर लेते तो हालात इतने नहीं बिगड़ते। मोबाइल फोन और तकनीकी यंत्रों के उपयोग के दौरान कब कौनसा बटन दबाएं, यह तो सब सीख गए, लेकिन आग, बाढ़, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का कैसे सामना करें, यह कितने लोगों ने सीखा? करोड़ों रुपए खर्च कर घर बनाते हैं, उसे बेशकीमती चीजों से सजाते हैं, लेकिन डेढ़-दो हजार रुपए का अग्निशामक यंत्र कितने घरों में है? जब कभी अग्निकांड से संबंधित खबरें या वीडियो अखबारों या सोशल मीडिया के जरिए सामने आते हैं और परिवार का कोई सदस्य अग्निशामक यंत्र खरीदने का सुझाव देता है तो उसे यह कहने वाले जरूर मिल जाते हैं- 'हमें इसकी क्या जरूरत है? हमारे यहां तो कभी हादसा नहीं हुआ!'

क्या हादसे तिथि और वार बताकर आते हैं? अगर सच में ऐसा होता तो यह दुनिया बहुत सुरक्षित हो जाती, लेकिन ऐसा नहीं है। सब जानते हैं कि रसोई गैस अत्यंत ज्वलनशील होती है। इसका उपयोग करने के बाद सिलेंडर का रेगुलेटर बंद कर देना चाहिए। वहीं, ऐसे कई घर हैं, जहां रात को कामकाज के बाद रेगुलेटर बंद नहीं किया जाता। दलील दी जाती है कि 'अगले दिन फिर चालू करना होगा, तो बंद क्यों करें? हमारे यहां तो कभी हादसा नहीं हुआ!' जब कभी घरों, इमारतों, भोजनालयों, अस्पतालों आदि में आग लग जाती है और घटना की जांच होती है तो पता चलता है कि और चीजों का तो काफी अच्छा इंतजाम कर रखा था, लेकिन इस बिंदु की उपेक्षा की गई थी कि यहां कभी आग लग सकती है। प्रशासन की चौतरफा आलोचना के बाद संबंधित लोगों के साथ सख्ती बरती जाती है, जुर्माना लगाया जाता है। बेशक कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उसके साथ-साथ यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लोग अपने स्तर पर सुरक्षा के आधारभूत उपाय करने में सक्षम हों। जहां जरूरी हो, बिजली के पुराने तार और उपकरण बदलें। हर घर, हर संस्थान, हर प्रतिष्ठान में अग्निशामक यंत्र रखना अनिवार्य होना चाहिए। इसकी समयानुसार जांच होनी चाहिए और जहां अग्निशामक यंत्र न हो, मौके पर ही शुल्क वसूलकर वह उपलब्ध करा देना चाहिए। लोगों को यह बात समझानी होगी कि हादसे कभी भी और किसी के साथ भी हो सकते हैं। अगर आप और आपका कोई अपना अब तक इसकी चपेट में नहीं आए हैं तो इसे सौभाग्य समझें। इसके साथ ही सावधानी बरतें। आग लगने के बाद जान-माल का नुकसान उठाने से कहीं ज्यादा बेहतर है कि समय रहते जागरूक हो जाएं, अपना और अपनों का ख़याल रखें। गृह-प्रवेश और उद्घाटन जैसे शुभ अवसरों पर अग्निशामक यंत्र भी स्थापित करें।

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