हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा: मोदी
प्रधानमंत्री उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोह में शामिल हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोह में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द- 'वी द पीपल' केवल शब्द नहीं हैं ... यह एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए यह देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रो पीपल की ताकत से आज देश का सशक्तीकरण हो रहा। सामान्य मानव के लिए कानूनों को सरल बनाया जा रहा है। आजादी का यह अमृत काल देश के लिए 'कर्तव्य काल' है। व्यक्ति हों या संस्थाएं ... हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की लोकतंत्र की जननी के रूप में जो पहचान है, हमें उसको और भी अधिक सशक्त करना है। हमारे संविधान की स्पिरिट 'यूथ सेंट्रिक' है। आज संविधान दिवस पर मैं देश की न्यायपालिका से एक आग्रह भी करूंगा कि युवाओं में संविधान को लेकर समझ बढ़े, इसके लिए डिबेट और डिस्कशन को बढ़ाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 26 नवंबर वह दिन भी है, जब ठीक 14 साल पहले निर्दोष लोगों पर आतंकवाद की सबसे अमानवीय घटना को अंजाम दिया गया था। मैं मुंबई हमले के सभी पीड़ितों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को लेकर दुनिया को जो आशंकाएं थीं, वे उम्मीदों में बदल गईं। इस तरह भारत आगे बढ़ रहा है। इस तरह भारत अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहा है। इन सबके पीछे सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।