विवादों का विश्वकप: घूसखोरी समेत हज़ारों प्रवासी मज़दूरों की मौतों का मुद्दा गरमाया
कतर ने जाकिर नाइक को भी फीफा विश्वकप में उपदेश देने के लिए आमंत्रित किया
विश्वकप आयोजन की चमक-दमक के बीच सोशल मीडिया पर कुछ आंकड़े भी चर्चा में हैं
दोहा/दक्षिण भारत। कतर में फीफा विश्वकप अपने आग़ाज़ के साथ ही विवादों में घिरता जा रहा है। आयोजकों पर घूसखोरी, कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों के उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं।
सऊदी अरब में ब्रिटिश केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक और रणनीतिक राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अमजद ताहा ने दावा किया है कि कतर ने इक्वाडोर के आठ खिलाड़ियों को हारने के लिए 7.4 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी है।ताहा को यह 'सूचना' कैसे मिली? इस पर वे कहते हैं कि उन्हें कतर और इक्वाडोर कैंप के सूत्रों ने यह बताया है। उन्होंने दुनिया से आह्वान किया है कि वह फीफा भ्रष्टाचार से लड़े।
ट्वीट में क्या?
ताहा ट्वीट करते हैं, 'एक्सक्लूसिव: कतर ने आठ इक्वाडोरियन खिलाड़ियों को 7.4 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी, जिससे वे ओपनर (1-0 दूसरा हाफ) हार जाएं।'
उनके ट्वीट के अनुसार, 'पांच कतरी और इक्वाडोर के अंदरूनी सूत्रों ने इसकी पुष्टि की। हम आशा करते हैं कि यह ख़बर ग़लत हो। हमें आशा है कि इसे साझा करने से परिणाम प्रभावित होंगे। दुनिया को फीफा भ्रष्टाचार का विरोध करना चाहिए।'
उल्लेखनीय है कि इन आरोपों के बाद भी कतर और फीफा की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। यह देश उस समय भी ट्विटर ट्रेंड में आ गया था, जब इसने अपने स्टेडियमों में बीयर पर प्रतिबंध लगा दिया था।
जाकिर नाइक देगा उपदेश
इतना ही नहीं, कतर ने विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को भी फीफा विश्वकप में उपदेश देने के लिए आमंत्रित किया है। नाइक पर भारत में धन शोधन और नफरती भाषण जैसे आरोप लगे हैं। वह 2017 से मलेशिया में एक भगोड़े के रूप में निर्वासन में रह रहा है।
कतर के सरकारी स्पोर्ट्स चैनल अलकास के फैसल अल्हाजरी ने ट्वीट किया, 'उपदेशक शेख जाकिर नाइक विश्वकप के दौरान कतर में मौजूद हैं और पूरे टूर्नामेंट के दौरान कई धार्मिक व्याख्यान देंगे।'
ऐसे शुरू हुआ था विवाद
भारत ने 2016 के आखिर में नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को समूह के अनुयायियों को 'विभिन्न धार्मिक समुदायों और समूहों के बीच दुश्मनी, घृणा, या दुर्भावना की भावनाओं को बढ़ावा देने या बढ़ावा देने का प्रयास करने' के लिए प्रोत्साहित करने और सहायता करने के आरोप में गैर-कानूनी घोषित कर दिया था।
इस साल मार्च में, गृह मंत्रालय ने आईआरएफ को एक गैर-कानूनी संगठन घोषित किया और इसे पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
चमक-दमक के पीछे क्या है?
विश्वकप आयोजन की चमक-दमक के बीच सोशल मीडिया पर कुछ आंकड़े भी चर्चा में हैं। इनके मुताबिक, 10 साल पहले विश्वकप की मेजबानी का अधिकार मिलने के बाद कतर में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 6,500 से अधिक प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। गार्डिअन ने कतर में मजदूरों के कामकाज के खराब हालात समेत दिवंगतों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है।
हर हफ्ते मौतें!
उसका कहना है कि सरकारी स्रोतों से संकलित निष्कर्षों का अर्थ है कि दिसंबर 2010 की रात से हर हफ्ते इन पांच दक्षिण एशियाई देशों के औसतन 12 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है, जब दोहा की सड़कों पर कतर की जीत का जश्न मनाने वाली उन्मादी भीड़ भरी हुई थी।
भारत, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के आंकड़ों से पता चला है कि 2011-2020 की अवधि में प्रवासी श्रमिकों की 5,927 मौतें हुईं। कतर में पाकिस्तान के दूतावास के आंकड़ों ने 2010 और 2020 के बीच पाकिस्तानी श्रमिकों की 824 और मौतों की सूचना दी।
असल आंकड़ा इससे ज़्यादा
हालांकि वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा बताई जा रही है। इन आंकड़ों में फिलीपींस और केन्या सहित बड़ी संख्या में मजदूरों को कतर भेजने वाले देशों के नागरिकों की मौतों को शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा 2020 के आखिरी महीनों में हुई मौतें भी शामिल नहीं हैं।
बड़े स्तर पर निर्माण कार्य
पिछले 10 वर्षों में क़तर ने फ़ुटबॉल टूर्नामेंट की तैयारी के लिए बड़े स्तर पर निर्माण कार्य शुरू किए थे। इनमें सात नए स्टेडियमों के अलावा दर्जनों परियोजनाएं, नया हवाईअड्डा, सड़कें, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था, होटल और नया शहर भी शामिल है।
चर्चा में ग्राफ
गार्डिअन का एक ग्राफ बहुत शेयर किया जा रहा है, जिसके मुताबिक, इनमें भारत के दिवंगत मजदूर 2,711; नेपाल के 1,641; बांग्लादेश के 1,018; पाकिस्तान के 824 और श्रीलंका के दिवंगत मजदूर 557 हैं।
आरोप है कि तय समयावधि में ज्यादा से ज्यादा काम कराने के लिए प्रवासी मजदूरों पर बहुत दबाव डाला गया। इसके अलावा उनके रहने, खाने-पीने और अन्य जरूरी सुविधाओं का भी उचित प्रबंध नहीं किया गया।