विश्व कप 2021 की दौड़ से खुद को बाहर नहीं कर रही : मिताली
विश्व कप 2021 की दौड़ से खुद को बाहर नहीं कर रही : मिताली
नई दिल्ली। भारत की प्रेरणादायी महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने २०२१ में अपने पांचवें विश्व कप में खेलने का विकल्प खुला रखा है बशर्ते उनकी फार्म और फिटनेस उन्हें निराश नहीं करे। इस साल जून-जुलाई में इंग्लैंड में हुए विश्व कप में मिताली की अगुआई वाली भारतीय टीम ने फाइनल में जगह बनाई थी और इससे पहले उन्होंने कहा था कि यह उनका अंतिम विश्व कप होगा। लेकिन अब लगता है कि एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाली इस बल्लेबाज ने अपना मन बदल लिया है। मिताली ने सोमवार को कहा, मैंने अगले विश्व कप में खेलने के विचार को खारिज नहीं किया है लेकिन विश्व कप के चौथे साल तक पहुंचने के लिए मुझे पहले अगले तीन साल से गुजरना होगा। उन्होंने कहा, मेरे लिए यह देखना और आकलन करना भी महत्वपूर्ण होगा कि तब तक (२०२१ तक) मेरी फार्म कैसी रहती है, इसलिए अभी मैं अभी विश्व टी२० और २०१८ के अन्य मैचों के बारे में सोच रही हूं। भारतीय टीम ने जुलाई में विश्व कप के बाद से कोई मैच नहीं खेला है और टीम अपनी अगली श्रृंखला फरवरी में ही खेलेगी। मिताली ने कहा कि खिला़डी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आईसीसी एकदिवसीय चैंपियनशिप की अपनी पहली श्रृंखला की तैयारी दिसंबर में शुरू करेगी। इस चैंपियनशिप के हिस्से के तौर पर भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच से १० फरवरी तक तीन मैचों की श्रृंखला खेलनी है। उन्होंने कहा, घरेलू सत्र की शुरुआत दिसंबर में होगी और यह दक्षिण अफ्रीका दौरे की तैयारी का काम करेगा। इसके जरिए खिला़डी तीन महीने के ब्रेक के बाद खेल में दोबारा लय हासिल करने की शुरुआत करेंगी। मिताली बीसीसीआई की महिला क्रिकेट के लिए विशेष समिति का भी हिस्सा है जिसने हाल में घरेलू ढांचे में बदलाव करते हुए अंडर १६ वर्ग को पूरे भारत में लागू किया।समिति ने युवा भारतीय खिलाि़डयों के लिए ए दौरे शुरू करने का फैसला किया। मिताली का मानना है कि ए दौरों से अगले विश्व कप के लिए टीम तैयार करने में काफी मदद मिलेगी।महिला क्रिकेट को ब़ढावा देने के लिए आईसीसी सीमित ओवरों के प्रारूप का इस्तेमाल कर रहा है और इस दौरान काफी कम टेस्ट मैच हो रहे हैं।मिताली ने हालांकि कहा कि टेस्ट क्रिकेट में खिला़डी की सबसे क़डी परीक्षा होती है।उन्होंने कहा, अगर आपको अच्छी बुनियाद की जरूरत है तो टेस्ट प्रारूप प्रत्येक खिला़डी के लिए एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और टी२० मैचों से अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।