‘बीज बोए बिना वृक्ष नहीं बनता’

‘बीज बोए बिना वृक्ष नहीं बनता’

चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां के किलपॉक में विराजित आचार्यश्री तीर्थभद्र सूरीश्‍वरजी ने जम्बू स्वामी का चारित्र वर्णन करते हुए कहा कि जम्बू कुमार की माता धारिणी देवी ने उन्हें 108 आयम्बिल की तपस्या कर प्राप्त किया। जम्बू कुमार के आठ श्रेष्ठिकन्याओं से सगाई फिक्स हो गई। उसी दरम्यान सुधर्मा स्वामी का पदार्पण राजगृही नगरी में हुआ जहां जम्बू कुमार भी देशना सुनने गए और एक देशना सुनने पर ही उनमें वैराग्य का बीज अंकुरित हो गया, इसका कारण पूर्व जन्म के संस्कार है। उन्होंने कहा कि पूर्व जन्म में साधना, तप किए लेकिन चारित्र ग्रहण नहीं कर सके। आज किसी बालक को चारित्र की भावना आ जाए तो समझना पूर्व जन्म के संस्कार हैं। एक निमित्त मात्र मिलने से वैराग्य व चारित्र की भावना पैदा हो जाती है। ऐसी आत्माएं पूर्व भव में बीजादान करके आती है। यदि बीजादान नहीं है तो वैराग्य प्रकट नहीं हो सकता, बीज बोए बिना वृक्ष नहीं बनता है।
यदि सम्यक दर्शन का बीजारोपण करना है तो देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धा भाव रखना जरूरी है। उन्होंने कहा प्रतिदिन दो समय पडिलेहना करने से जीवन में पॉजिटिव एनर्जी आ जाती है। धर्म की प्रशंसा, अनुमोदना करेंगे तो आपको सम्यक दर्शन की प्राप्ति हो जाएगी। चारित्रवान आत्मा के प्रति बहुमान, वैयावच्च व भक्ति के भाव होंगे तब चारित्र के भाव अंकुरित होंगे। अपने परिवार की चिंता तो आप बहुत करते हो लेकिन मेरी आत्मा का क्या होगा यह कभी सोचा है आपने। जम्बू कुमार ने सुधर्मा स्वामी से आजीवन ब्रह्मचार्य का नियम ग्रहण कर लिया। वे उसी समय विरति लेना चाहते थे। यदि रास्ते में आयुष्य की समाप्ति हो गई तो व्रत में ही होगी। माता पिता को चारित्र अंगीकार करने की बात बताई तो उन्होंने अनुमति देने से इंकार कर दिया। चारित्र की कठिनाइयों व प्रतिकुलताओं के बारे में बताया। लेकिन जिसके हृदय में संसार का वैराग्य है उसके हृदय में कोई कष्ट नहीं होता है।
जम्बू कुमार अपने निर्णय पर अटल थे। माता पिता ने महसूस किया कि जम्बू कुमार अपने निर्णय से विचलित होने वाले नहीं है। उन्होंने आठ कन्याओं से सगाई का वास्ता दिया और वे विवाह के लिए एक शर्त पर मान गए कि विवाह के दूसरे दिन चारित्र अंगीकार कर लूंगा। आठों श्रेष्ठियों को जम्बू कुमार के इस निर्णय का संदेश भेजा गया। उन्होंने कहा, हम बाहर से धर्मनिष्ठ दिखाई देते हैं लेकिन हमारे अन्दर कितना धर्म है इसका आत्ममंथन करना चाहिए।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

'छद्म युद्ध' की चुनौतियां 'छद्म युद्ध' की चुनौतियां
आर्थिक दृष्टि से अधिक शक्तिशाली भारत अपने दुश्मनों पर और ज्यादा शक्ति के साथ प्रहार कर सकेगा
दपरे: कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में सेंट्रल हॉस्पिटल ने रक्तदान शिविर लगाया
कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण करने का फैसला किया
मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर ने कारगिल युद्ध विजय की 25वीं वर्षगांठ मनाई
एमयूडीए मामला: प्रह्लाद जोशी ने सिद्दरामैया पर आरोप लगाया, सीबीआई जांच की मांग की
भोजनालयों पर नाम प्रदर्शित करने संबंधी निर्देश पर योगी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में क्या दलील दी?
'विपक्षी दल के रूप में काम नहीं कर रही भाजपा, कुछ भी गलत या घोटाला नहीं हुआ'