आज है 21वीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण, न भूलें ये 4 जरूरी काम

आज है 21वीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण, न भूलें ये 4 जरूरी काम

चंद्रमा

ज्योतिष की मान्यता है कि सूतक शुरू होने के बाद भोजनादि नहीं करना चाहिए। हालांकि बालक, वृद्ध, रोगी आदि को इससे छूट है। सूतक शुरू होने से पहले जलस्रोत आदि में डाब रखी जाती है। इसे रखना शुभ माना गया है।

बेंगलूरु। इक्कीसवीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण शुक्रवार (27 जुलाई) को है। यह ग्रहण इस वजह से ज्यादा चर्चा में है क्योंकि ग्रहणकाल के दौरान चंद्रमा का रंग कई बार बदलेगा। भारत सहित पूरी दुनिया में लोग इसका इंतजार कर रहे हैं। यह एक खगोलीय घटना है। इसका ज्योतिष की दृष्टि से भी महत्व है। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा।

Dakshin Bharat at Google News
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण का सूतक दोपहर 2:54 बजे शुरू होगा। इसके बाद ग्रहणकाल शुक्रवार को रात 11:54 बजे शुरू होगा। यह ग्रहण शनिवार (28 जुलाई) तड़के 3:49 बजे समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण भारत के अलावा कई देशों में दिखाई देगा। ज्योतिष की मान्यता है कि सूतक शुरू होने के बाद भोजनादि नहीं करना चाहिए। हालांकि बालक, वृद्ध, रोगी आदि को इससे छूट है। सूतक शुरू होने से पहले जलस्रोत आदि में डाब रखी जाती है। इसे रखना शुभ माना गया है।

पढ़ें: मोदी के आॅटोग्राफ पाकर मशहूर हुई प. बंगाल की यह लड़की, आने लगे शादी के लिए रिश्ते

1. ग्रहणकाल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है। इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन पर आने वाले संकटों का निवारण होता है। ग्रहण को लेकर आज भी यह मान्यता है कि गर्भवती महिलाओं पर इसका प्रभाव शुभ नहीं होता है। इसलिए यथासंभव उन्हें ग्रहण के प्रकाश से दूर रखा जाता है।

2. ग्रहण के समय कीर्तन, हरिनाम का उच्चारण, सात्विक चर्चा आदि की जाती है। यह शुभफलदायक माना जाता है। हालांकि सूतक लगने से पूर्व ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। भगवान की आरती पहले ही कर दी जाती है और ग्रहणकाल में पट नहीं खोले जाते। जब ग्रहण शुद्ध हो जाता है, तभी पट खुलते हैं और भगवान को स्नान कराया जाता है। तत्पश्चात आरती होती है।

पढ़ें: .. तो इस महिला ने कर दी थी ‘भविष्यवाणी’ – पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनेंगे इमरान!

3. ग्रहणकाल में तामसी प्रवृत्तियों और तामसी भोजन से बचना चाहिए। यूं तो ग्रहण के संबंध में भोजन, यात्रा आदि कई चीजें वर्जित बताई गई हैं, परंतु तामसी प्रवृत्तियों का विशेष निषेध है। इनसे मनुष्य का पतन होता है। ग्रहण में किसी के साथ विवाद, कटुवचन, निंदा आदि नहीं करनी चाहिए। इनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।

4. ग्रहण सूर्य का हो या चंद्रमा का, दान का महत्व दोनों से ही जुड़ा है। आप किसी जरूरतमंद और सत्पात्र को धन, वस्त्र, जूता, तिल, तेल, धातु, कंबल आदि दान कर सकते हैं। तिलों का दान शुभ माना गया है। कहते हैं कि इससे आने वाले संकटों का निवारण हो जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए।

 यहां पढ़िए धर्म, ज्योतिष एवं शास्त्रों से जुड़ी उपयोगी बातें 

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

आईटीआई लि. के पंजीकृत एवं निगमित कार्यालय को 'उत्‍कृष्‍ट राजभाषा कार्यान्‍वयन पुरस्‍कार' मिला आईटीआई लि. के पंजीकृत एवं निगमित कार्यालय को 'उत्‍कृष्‍ट राजभाषा कार्यान्‍वयन पुरस्‍कार' मिला
आईटीआई लि. के अध्‍यक्ष ने संस्‍थान के कार्मिकों को बधाई दी
सत्ता बंटवारे को लेकर शिवकुमार के साथ कोई समझौता नहीं हुआ था: सिद्दरामय्या
कौन है यह रूसी सुंदरी, जिसने जीता मिसेज प्लैनेट यूनिवर्स 2024 का खिताब?
'अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है' - उच्च न्यायालय ने सिद्धू के दावे के खिलाफ याचिका खारिज की
महाराष्ट्र भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए देवेंद्र फडणवीस
'घर जाने का समय': क्या विक्रांत मैसी ने 'पब्लिसिटी स्टंट' के लिए दांव चला?
बांग्लादेश: कैसे होगी शांति स्थापित?