चीन का बदला रुख
चीन का बदला रुख
अपनी मजबूती की बात स्वयं की जाए तो स्वाभाविक रुप से उस पर संदेह हो सकता है, लेकिन जब यही बात कोई दूसरा करता है तो उस पर विश्वास करना ही प़डता है। वर्तमान में भारत एक नई शक्ति के साथ उभरकर सामने आ रहा है, यह बात भारत सरकार नहीं, चीन ने कही है। चीनी विदेश मंत्रालय से संबद्ध थिंक टैंक चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के उपाध्यक्ष रोंग यिंग ने कहा है कि जब से नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भारत शक्ति संपन्न होने की दिशा में ब़ढता जा रहा है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण ही भारत की विदेश नीति में व्यापक परिवर्तन आया है। विदेशों में भारत की साख ने बहुत ब़डी छलांग लगाई है। विश्व के कई देश भारत को एक शक्तिशाली देश मानने लगे हैं। यिंग की मानें तो यह सब मोदी के संकल्पों के कारण ही हुआ है। हम यह भी जानते हैं कि प्रधानमंत्री जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उनका पूरा संबोधन भारत की समुच्चय शक्ति को प्रकट करता है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था। पूर्ववर्ती सरकारों के समय भारत अंतिम छोर पर ख़डा दिखता था। मोदी जब भी विदेश गए, तब कई देशों ने अपने नियमों और परंपराओं में परिवर्तन कर उनका स्वागत किया। अमेरिका का मेडीसन स्क्वेयर हो या अन्य देश, मोदी हर बार कुछ न कुछ अलग ही करके आए हैं्। सच यही है कि मोदी ने विश्व में भारत को एक नई और सशक्त पहचान दिलाई है।मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने जोखिम उठाकर भी कई निर्णय लिए हैं लेकिन इन्हीं खतरों के बीच भारत सामर्थ्यवान बनकर सामने आया है। उनके अभी तक के कार्यकाल के बारे में आसानी से कहा जा सकता है कि मोदी देश का भविष्य सुधारना चाहते हैं। आज चीन की ओर से भारत की ब़ढती ताकत का गुणगान किया जा रहा है। चीन ने भारत की ब़ढती शक्ति को मोदी सिद्धांत का नाम दिया है। भारत में राजनयिक रह चुके रोंग यिंग ने यह भी माना है कि चीन भारत के लिए बाधा नहीं, बल्कि एक अवसर है। चीन की ओर से रोंग द्वारा लिखा गया लेख भारत के प्रति चीन के रवैये में हो रहे परिवर्तन का भी संकेत देता है। अब चीन को यह लगने लगा है कि भारत से दुश्मनी का भाव रखते हुए वह अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सकता। रोंग यिंग ने यह भी स्वीकार किया है कि डोकलाम विवाद के दौरान भारत-चीन के संबंधों में तनाव ब़ढा था। चीन ने डोकलाम के मामले में भारत से मुंह की खाई है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अब भारत और चीन को एक-दूसरे के विकास के लिए समर्थन और आम सहमति की रणनीति बनानी चाहिए। भारत में चीन के लिए भी कई अवसर हैं्। चीन के इस बदले हुए रुख का एक कारण यह भी हो सकता है कि भारतीय बाजार में चीनी उत्पादों के प्रति अविश्वसनीयता का वातावरण बन रहा है और चीनी माल की बिक्री घटी है। चीन इससे चिंतित है। बहरहाल, चीन पहले भी ऐसे संकेत देकर भारत को छल चुका है, इसलिए चीन का रुख सकारात्मक होने के बावजूद भारत को सतर्क रहना होगा।