कॉल एग्रिगेटर कंपनियों के चालकों की हड़ताल से परेशान हुए यात्री
कॉल एग्रिगेटर कंपनियों के चालकों की हड़ताल से परेशान हुए यात्री
चेन्नई। विभिन्न कॉल एग्रिगेटर कंपनियों के ड्राइवरों द्वारा बुधवार को एक दिवसीय ह़डताल पर जाने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना प़डा। ओला, ऊबर और फास्टट्रैक कंपनियों के ड्राइवर यूनियनों द्वारा बुधवार को चालकांे को मिलने वाले इंसेंटिव में कटौती, एक दिन में फेरे लगाने के लिए निर्धारित लक्ष्यों को बढाने और किराए के निर्धारण में पारदर्शिता का अभाव जैसे मुद्दों को लेकर राष्ट्रव्यापी ह़डताल पर जाने की घोषणा की गई थी। इस ह़डताल के कारण विभिन्न एप्प आधारित ट्रैक्सी एग्रिगेटर कंपनियों ने बुधवार को पीक अवर्स में मूल किराए में ५० से ६० प्रतिशत तक की बढोत्तरी कर दी। यात्रियों को टैक्सी के लिए आधे घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना प़डा। इससे सबसे अधिक प्रभावित चेन्नई एयरपोर्ट हुआ। एयरपोर्ट पर यात्रियों को टैक्सियों के लिए काफी देर तक इंतजार करना प़डा। इसके साथ ही ओल्ड महाबलीपुरम रोड आर कोयंबेडु बस स्टैंड और चेन्नई सेंट्रल तथा एग्मोर रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों को टैक्सी का इंतजार करते देखा गया। चेन्नई हवाईअड्डे पर यात्रियों को कॉल टैक्सी उपलब्ध नहीं होने के कारण प्रिपेड टैक्सी और अन्य टैक्सी सेवाओं की मदद लेने के लिए बाध्य होना प़डा। कुछ कॉल एग्रिगेटर कंपनियों द्वारा अपने नियमित यात्रियों को संदेश भेज कर यह अनुरोध किया कि वह कैबों के फेरे लगाने की संख्या कम होने के कारण कंपनी के साथ सहयोग करें। एक अनुमान के अनुसार शहर में करीब ३२ हजार ड्राइवर ओला या ऊबर से जु़डे हुए हैं। यह दोनों ही कंपनियां ड्राइवरों को लोन पर कार लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वर्ष २०१५ और वर्ष २०१६ में इन कंपनियों द्वारा ड्राइवरों को अधिक इंसेंटिव दिया जाता था जिससे इनकी मासिक आय ७० हजार से रुपए से ८० हजार रुपए तक हो जाती थी लेकिन मौजूदा समय में इनकी आय घटकर मात्र ५१ हजार रुपए तक हो गई है। इन कार ड्राइवरों का कहना है कि मौजूदा समय में हो रही आय का एक ब़डा हिस्सा उनके वाहन के किश्त और वाहन के ईंधन और रखरखाव में होने वाले खर्च में चला जाता है जिससे उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना प़ड रहा है।