निगम ने शहर में 3,500 आवासहीनों को चिन्हित किया

निगम ने शहर में 3,500 आवासहीनों को चिन्हित किया

चेन्नई। चेन्नई नगर निगम ने शहर में ३,५७४ आवासहीनों को चिन्हित किया है। निगम ने पिछले सप्ताह आवासहीनों को चिन्हित करने के लिए दो दिनों का सर्वेक्षण किया था और इन आवासहीनों का पुनर्वास करने के लिए पिछले सप्ताह शहर के सभी १५ क्षेत्रों में २०४ स्थानों पर सर्वेक्षण किया गया था। इसके द्वारा व्यस्त माने जाने वाले इलाकों में ५० हजार पम्फलेटों का वितरण किया गया था जिसमें फोन नंबर उल्लेखित था। पम्फलेटों के माध्यम से आवासहीन लोगों से अनुरोध किया गया था कि वह निगम से संपर्क करें। काफी संख्या में आवासहीन लोगांें ने निगम से संपर्क भी किया है और अपने रहने के स्थान के बारे में बताया है जहां जाकर निगम ने इस बात की पुष्टि की है कि वह वास्तव में आवासहीन हैं।निगम के सूत्रों के अनुसार जिन ३,५७४ लोगों को चिन्हित किया गया है उनमें से निगम सिर्र्फ ३५ लोगों को रैन बसेरों में आकर रहने के लिए राजी कर पाया है। हालांकि २५२ आवासहीनों ने इन रैन बसेरों में आकर रहने की इच्छा तो जाहिर की है लेकिन वह अभी तक यहां तक नहीं पहुंच पाए हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान निगम ने शहर में रैन बसेरों की संख्या में वृद्धि तो की है लेकिन यह शहर में मौजूद सभी आवासहीन लोगों को रहने की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए अपर्याप्त हैं। निगम के अधिकारियों का कहना है कि उनकी ओर से पिछले कुछ वर्षों में काफी संख्या में आवासहीन लोगों को रैन बसेरों में लाया गया है। इनमें से बहुत सारे लोग थो़डे दिन तो रैन बसेरों में रहते हैं और उसके बाद दूसरे स्थान पर जाकर फिर से आवासहीन के रुप में रहने लगते हैं।निगम के सूत्रों के अनुसार आवासहीनों को रैन बसेरों में निगम के विफल रहने का एक कारण यह भी है कि काफी संख्या मंे ऐसे निराश्रित लोग हैं जो इन रैन बसेरों में आना ही नहीं चाहते हैं। वह ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहां पर आसानी से उन्हें रोजगार मिलता है और निगम द्वारा बनाए गए रैन बसेरों के उनके रोजगार के स्थान से दूर स्थित होने के कारण यह लोग वहां जाना पसंद नहीं करते। इसके साथ ही कई ऐसे परिवार भी हैं जो वर्षों से शहर के फुटपाथों पर कब्जा जमाए बैठे हैं और निगम अधिकारियों के अनुरोध के बावजूद भी रैनबसेरों में नहीं आ रहे हैं। परिवार के साथ स़डकों के किनारे जीवन यापन करने वाले लोगों का कहना है कि रैन बसेरों में परिवार को साथ रहने देने की व्यवस्था नहीं है और उन्हें अलग-अलग रहना होगा इसलिए वह इन रैनबसेेरों में नहीं जाना चाहते।उल्लेखनीय है कि फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना प़डता है। जहां अधिक गर्मी और बारिश जैसे प्रकृतिजन्य कारणों के कारण इन्हें कठिनाइयों का सामना करना प़डता है वहीं स्थानीय दुकानदारों और नागरिकों के साथ ही पुलिस द्वारा भी समय-समय पर इन पर फुटपाथों से हटने के लिए दबाव बनाया जाता है। मौजूदा समय में चेन्नई नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में स्थित रैन बसेरों की संख्या ४७ हो चुकी है लेकिन इन रैनबसेरों में रहने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक एक लाख की आबादी पर एक रैन बसेरा होना चाहिए और इस हिसाब से देखें तो चेन्नई में ७० रैनबसेरे होने चाहिएं लेकिन एक ब़डा प्रश्न यह भी है जब रैनबसेरों में आवासहीन रहने में रुचि ही नहीं दिखा रहे हैं तो क्या यह ढांचे शहरी आवासहीनों के पुनर्वास की योजना को सार्थक कर पाएंगे?

मौजूदा समय में चेन्नई नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में स्थित रैन बसेरों की संख्या 47 हो चुकी है लेकिन इन रैनबसेरों में रहने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। निगम के सूत्रों के अनुसार जिन 3,574 लोगों को चिन्हित किया गया है उनमें से निगम सिर्र्फ 35 लोगों को रैन बसेरों में आकर रहने के लिए मना पाया है।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

दपरे: कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में सेंट्रल हॉस्पिटल ने रक्तदान शिविर लगाया दपरे: कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में सेंट्रल हॉस्पिटल ने रक्तदान शिविर लगाया
अस्पताल दिवस समारोह भी मनाया
कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण करने का फैसला किया
मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर ने कारगिल युद्ध विजय की 25वीं वर्षगांठ मनाई
एमयूडीए मामला: प्रह्लाद जोशी ने सिद्दरामैया पर आरोप लगाया, सीबीआई जांच की मांग की
भोजनालयों पर नाम प्रदर्शित करने संबंधी निर्देश पर योगी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में क्या दलील दी?
'विपक्षी दल के रूप में काम नहीं कर रही भाजपा, कुछ भी गलत या घोटाला नहीं हुआ'
कांग्रेस ने कारगिल के शहीदों को दी श्रद्धांजलि- 'देश सदैव उनका ऋणी रहेगा'