भूख से बेबस होकर खाई मिट्टी, मौत के मुंह में समाए दो मासूम
भूख से बेबस होकर खाई मिट्टी, मौत के मुंह में समाए दो मासूम
अनंतपुर/दक्षिण भारत। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से भुखमरी से जुड़ी दिल दहला देने वाली एक घटना सामने आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां दो बच्चे भूख के आगे इस कदर लाचार थे कि जब उन्हें रोटी नहीं मिली तो मिट्टी खा ली और दम तोड़ दिया। इन बच्चों के नाम संतोष (3) और उसकी चचेरी बहन वेन्नेला (2) हैं।
यह खबर सोशल मीडिया में आने के बाद हजारों लोगों ने इस पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं हृदयविदारक हैं, क्योंकि एक ओर जहां शादी-पार्टियों में बड़ी मात्रा में भोजन का अपव्यय होता है, वहीं ऐसे बच्चे भी हैं जो अन्न न मिलने से मौत के मुंह में समा जाते हैं।भुखमरी से हारी ज़िंदगी
जानकारी के अनुसार, वेन्नेला ने रविवार को दम तोड़ा था। वह अपनी मौसी नागमणि के पास रहती थी। उसका आवास कुमारावंदलापल्ले गांव में है। रिपोर्ट के अनुसार, दंपती करीब एक दशक पहले रोजगार के सिलसिले में कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले से कादिरी आया था। दोनों के पांच बच्चे थे। दंपती दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।
बताया गया है कि बालक संतोष ने भुखमरी और कुपोषण के कारण दम तोड़ दिया। पड़ोसी कहते हैं कि बच्चे से भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो उसने मिट्टी खा ली। बाद में पड़ोसियों ने ही पुलिस को जानकारी दी।
माता-पिता ने नहीं रखा ध्यान
वहीं पुलिस ने बताया कि परिवार के पास अपना घर नहीं है। उसने एक अस्थायी झोपड़ी बना रखी है। बच्चों की मौत के बाद उनके शवों को झोपड़ी के पास ही दफना दिया गया। दूसरी ओर, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी केवीएनएस अनिल कुमार ने कहा कि दोनों बच्चों के माता-पिता काम की तलाश में जाते थे और बच्चों को उनकी दादी के पास छोड़ देते। पूर्व में बच्चों का टीकाकरण हुआ था लेकिन माता-पिता ने उनका ध्यान नहीं रखा। बच्चों की मौत भूख और कुपोषण से हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, अनंतपुर जिला कलेक्टर के निर्देश पर कादिरी के राजस्व विभाग के अधिकारी टी अजय कुमार ने घटना की जांच की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महेश की पत्नी और उसकी मां को शराब की लत है। उन्होंने बच्चों की देखभाल पर ध्यान नहीं दिया। वे बच्चों के लिए नियमित रूप से खाना भी नहीं बनाती थीं। इससे बच्चों की सेहत खराब होती गई और आखिर में दम तोड़ दिया।
बच्चों को भेजा बाल गृह
बच्चों की मौत का यह मामला सामने आने के बाद एक समाजिक संगठन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा और बच्चों को इंसाफ दिलाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। परिवार के सभी बच्चों को सरकारी बाल गृह भेजा गया है। शराब की लत छुड़ाने के लिए दंपती को भी एक केंद्र में भेजा है। उन्हें आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे ये कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकें। स्थानीय लोग कहते हैं कि इन बच्चों को पड़ोसी के लोग कभी-कभी खाने के लिए कुछ दे देते थे।
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