रोहिंग्या निर्वासन की पृष्ठभूमि जानना जरूरी : आरएसएस
रोहिंग्या निर्वासन की पृष्ठभूमि जानना जरूरी : आरएसएस
भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शनिवार को कहा कि केंद्र को अर्थव्यवस्था के संबंध में उचित कदम उठाने चाहिए और उसके लिए उचित उपाय करने चाहिए। आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक समाप्त होने के बाद शनिवार को यहां मीडिया से चर्चा करते हुए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वे समझते हैं कि अर्थव्यवस्था सुधार से जु़डे हर मुद्दे पर पूरे देश में चर्चा की गई है। इन्हीं चर्चाओं के आधार पर सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और अन्य मुद्दों पर कदम उठाए हैं। जोशी ने इन बदलावों को जनता के लिए सही बताते हुए कहा कि उनके अनुसार यह सरकार के लिए उचित होगा कि वह जनता के सुझावों पर ध्यान दे। उन्होंने कहा कि सत्ता को अनावश्यक रूप से कठोर नहीं होना चाहिए और उन सुझावों के आधार पर उचित कार्रवाई करनी चाहिए। म्यांमार में सेना की कार्रवाई के बाद भागे रोहिंग्या को गंभीर मुद्दा मानते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शनिवार को इस बात पर जोर दिया कि उन्हें निकालने के पीछे के कारण को समझने की जरूरत है। आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक समाप्त होने के बाद आज यहां मीडिया से चर्चा के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी सरकार द्वेष के कारण कोई अनावश्यक कार्रवाई नहीं करती। म्यांमार की सरकार को लगता है कि रोहिंग्या की उपस्थिति से समस्याएं ख़डी हो रही हैं, इसलिए उसने उन्हें निकाल दिया।जोशी ने कहा कि उल्लेखनीय है कि निर्वासित रोहिंग्या को चीन, इंडोनेशिया और उसके पास के अन्य देशों में शरण नहीं मिली। इसलिए उनके निर्वासन के पीछे की वजह की समीक्षा जरूरी है। आरएसएस सरकार्यवाह ने दावा किया कि रोहिंग्या जम्मू और हैदराबाद में बसना पसंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो भी रोहिंग्या आए हैं उनके आधार कार्ड और पैन कार्ड बन गए है और उनके नाम मतदाता सूची में शामिल हैं।उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि वे शरण लेने नहीं, बल्कि एक साजिश के तहत आए हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इसकी जांच के लिए कोई उचित तरीका नहीं है। हमने कभी शरणार्थियों या निर्वासित लोगों को शरण देने से इनकार नहीं किया है। फिर भी जरूरी है कि हम उनकी पृष्ठभूमि को जानें या फिर वो हमारे देश के लिए घातक हो सकते हैं।जोशी ने दूसरे देशों में शरणार्थियों के संबंध में नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि शरणार्थियों के लिए सीमा के नजदीक व्यवस्था की जाती है, उनका पंजीयन होता है और उन्हें निश्चित समय के बाद जाने के लिए कहा जाता है। उन्होंने कहा कि मानवीय आधार पर एक सीमा तक शरण दी जा सकती है। निर्धारित समय के बाद किसी विदेशी को देश में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वे यहां आए हैं तो कुछ समय के लिए उनकी व्यवस्था की जानी चाहिए, इसके बाद उन्हें वापस जाना चाहिए।