तकनीक को बनाएं ताकत

कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य मानव जीवन के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं

तकनीक को बनाएं ताकत

इनमें नवाचारों और सुधारों की हमेशा जरूरत रहेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत के दौरान जिन बिंदुओं का उल्लेख किया, वे आज अत्यंत प्रासंगिक हैं। भारत में जिस तरह से तकनीक का उपयोग बढ़ता जा रहा है और हर घर तक इंटरनेट सेवाएं पहुंच रही हैं, उनके मद्देनजर यह कहना ज्यादा उचित होगा कि ये मुद्दे कई दशकों तक प्रासंगिक बने रहेंगे। इनमें से कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य तो मानव जीवन के साथ इतनी गहराई से जुड़े हुए हैं कि इनमें नवाचारों और सुधारों की हमेशा जरूरत रहेगी। जब तक धरती पर मानव का अस्तित्व रहेगा, भोजन की आवश्यकता बनी रहेगी। शिक्षा का महत्त्व भी हमेशा बरकरार रहेगा। हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी संतान का भविष्य उज्ज्वल हो। इसके लिए वह उसे अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता है। बदलते जमाने के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में इन्हें घर-घर तक पहुंचाना बहुत चुनौतीपूर्ण है। निस्संदेह इन क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल दशकभर में ही क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। कृषि में ड्रोन तकनीक अपनाने से किसानों के लिए कई काम आसान हो जाएंगे। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी। साथ ही उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकेगी। शिक्षा के क्षेत्र में नई तकनीक को अपनाने में भारत उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। कोरोना काल में ऑनलाइन माध्यम से कई विद्यार्थियों ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। पहले गांवों और कस्बों के बच्चों को प्रवेश परीक्षाओं या सरकारी नौकरी की परीक्षा की तैयारी के लिए शहर जाना पड़ता था। इन सब पर बहुत रुपए खर्च होते थे। कई गरीब परिवारों को तो गहने, जमीन और मकान तक गिरवी रखने पड़ते थे।

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अब उसी परीक्षा की तैयारी ऑनलाइन माध्यम से घर बैठकर की जा सकती है। इसके लिए बच्चे बहुत अनुशासन के साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर होने के बावजूद उनमें सुधार के लिए काफी गुंजाइश मौजूद है। प्राय: कई लोग तब तक अस्पताल नहीं जाते, जब तक कि रोग गंभीर न हो जाए। अगर उन्हें रोग के प्रारंभिक चरण में ही परामर्श मिल जाए तो ऐसी स्थिति से काफी हद तक बचा जा सकता है। हालांकि डॉक्टर के सामने बैठकर जांच कराने और परामर्श लेने का महत्त्व अपनी जगह है और कई परिस्थितियों में तो यह अनिवार्य है, लेकिन जब रोग की गंभीरता उस स्तर की न हो और उसे सामान्य परामर्श से ठीक किया जा सकता है या गंभीर होने से रोका जा सकता है, तो वहां ऑनलाइन माध्यम को जरूर अपनाना चाहिए। देश के दूर-दराज के इलाकों, गांवों, ढाणियों में लोगों को घर बैठे परामर्श मिलने लग जाए तो उन्हें शहर नहीं जाना होगा। एक और बड़ी जरूरत दिनचर्या और खानपान संबंधी परामर्श की है। प्राय: जांच करने और दवाइयां देकर इलाज करने को ही स्वास्थ्य सुविधाएं मान लिया जाता है, जबकि यह विषय इससे कहीं ज्यादा विशाल है। आज लोगों को स्वस्थ दिनचर्या, सात्विक खानपान और शारीरिक-मानसिक स्थिति के अनुसार पौष्टिक तत्त्वों के बारे में अधिक जानकारी देने की जरूरत है। कई रोगों की शुरुआत ही गलत दिनचर्या से होती है। गरिष्ठ, असंतुलित, तीखा और अत्यधिक चटपटा खानपान भी कई तरह के रोग लेकर आता है। इस संबंध में लोगों, खासकर युवाओं को विशेषज्ञों द्वारा दिए गए परामर्श कई तरह के रोगों से बचा सकते हैं। इस कार्य में तकनीक बहुत बड़ी ताकत बन सकती है।

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