कावेरी जल विवाद: आज 'बेंगलूरु बंद' का आह्वान
जनजीवन, कारोबार समेत कई कार्यों पर पड़ सकता है असर
मुख्यमंत्री ने शांति व्यवस्था कायम रखने पर जोर दिया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़ने के संबंध में तेज होते विरोध प्रदर्शनों और बंद के आह्वान के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने सोमवार को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार प्रदर्शनकारियों को नहीं रोकेगी। हालांकि उन्होंने शांति व्यवस्था कायम रखने पर जोर दिया।
बता दें कि कावेरी जल मुद्दे को लेकर बेंगलूरु में कई संगठनों ने 26 सितंबर को बंद का आह्वान किया है। इससे शहर में जनजीवन, कारोबार समेत कई कार्यों पर असर पड़ सकता है।वहीं, मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में अगली सुनवाई के दौरान अपने तर्क अधिक मजबूती से रखेगी और वह राज्य के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद काफी समय से चला आ रहा मुद्दा है। दोनों राज्य इस नदी के पानी पर अपने अधिकार का दावा करते हैं। इससे कई बार तनावपूर्ण हालात बन जाते हैं।
कई संगठनों का समर्थन
कुछ किसान संगठनों ने इस मुद्दे पर मंगलवार को 'बेंगलूरु बंद' का आह्वान किया है। इसी तरह कन्नड़ कार्यकर्ता वाटाल नागराज के नेतृत्व में 'कन्नड़ ओक्कुटा' के बैनर तले कई कन्नड़ संगठनों ने भी 29 सितंबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है।
'अपने तर्क और मजबूती से रखेंगे'
ताजा हालात पर सिद्दरामैया ने कहा, 'हमने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और विनियमन समिति के आदेशों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने हमारा, तमिलनाडु का भी बंटवारा खारिज कर दिया। उन्होंने (तमिलनाडु) शुरू में 24,000 क्यूसेक की मांग की, फिर 7,200 क्यूसेक की। हमने कहा कि हम 5,000 क्यूसेक भी नहीं दे सकते, क्योंकि पानी ही नहीं है।'
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, 'शीर्ष न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया और मामला 26 सितंबर को न्यायालय के सामने आ रहा है। हम अपने तर्क और मजबूती से रखेंगे।'
ये सेवाएं हो सकती हैं बाधित
दूसरी ओर गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुरुबुरु शांताकुमार ने कहा कि हम स्कूलों और कॉलेजों से बंद रहने का अनुरोध करते हैं। यह किसी संगठन द्वारा नहीं, बल्कि बेंगलूरु के लोगों द्वारा किया गया बंद का आह्वान है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी कंपनियों और फिल्म चैंबर्स ऑफ कॉमर्स को भी बंद को अपना समर्थन देना चाहिए। दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्वेच्छा से कारोबार बंद रखें।'
ऐप-आधारित ऑटो रिक्शा और कैब का प्रतिनिधित्व करने वालों सहित ड्राइवर यूनियनों ने बंद में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की है। ओला, उबर ड्राइवर्स और ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तनवीर पाशा ने बंद को समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि जमीन, भाषा और पानी की बात आने पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) स्टाफ एंड वर्कर्स फेडरेशन ने भी 'बेंगलूरु बंद' को समर्थन दिया है। इस तरह केएसआरटीसी और बीएमटीसी, दोनों की ही सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
'किसानों के साथ खड़े हैं'
राज्यभर में 175 से अधिक संगठनों ने बंद को समर्थन देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि वे विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ खड़े हैं।
इसी तरह, होटल और रेस्तरां संघों ने बंद को अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि वे मंगलवार को अपने आउटलेट बंद रखेंगे। उन्होंने शहर के सभी रेस्तरां मालिकों से अपने प्रतिष्ठान एक दिन के लिए बंद रखने का आह्वान किया। कई कंपनियां, विशेषकर छोटी और स्थानीय कंपनियां भी बंद रह सकती हैं।
ये सेवाएं जारी रहेंगी
हालांकि बेंगलूरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. मंगलवार को शहरभर में मेट्रो सेवाएं जारी रखेगी। बेंगलूरु में नम्मा मेट्रो की किसी भी लाइन पर कोई व्यवधान नहीं होगा।
आपातकालीन सेवाओं से संबंधित वाहन, जैसे एम्बुलेंस, फार्मा वाहन और अन्य महत्त्वपूर्ण सामान ले जाने वाले वाहन चलेंगे। अस्पताल और मेडिकल स्टोर भी सामान्य रूप से चलेंगे।
अधिकारी हाई अलर्ट पर
बेंगलूरु शहर के पुलिस आयुक्त बी दयानंद ने कहा कि सभी आवश्यक सुरक्षा प्रक्रियाएं और उपाय लागू किए जा रहे हैं। तमिलनाडु में रजिस्टर्ड किसी भी बस या निजी वाहन पर पथराव जैसी घटनाओं को लेकर अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं, खासकर सीमा के पास।
विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा, 'लोकतंत्र में हम (सरकार) विरोध प्रदर्शनों को नहीं रोकेंगे, लेकिन भाजपा और जद (एस) इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं।'
भाजपा और जद (एस) द्वारा सरकार से इस्तीफा देने और चले जाने के लिए कहने के सवाल पर उन्होंने कहा, '...वे राजनीति कर रहे हैं, वे और क्या कहेंगे? उन्होंने सर्वदलीय बैठक के दौरान यह नहीं कहा।'