आंसू और अट्टहास
सिंध के अंदरूनी हिस्सों में हिंदू किशोरियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं बड़े पैमाने पर हो रही हैं
पाकिस्तान के जो नेता, अफसर, जज ... अल्पसंख्यक बच्चियों के आंसुओं को देख अट्टहास कर रहे हैं, वे इंतजार करें
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू, सिक्ख और ईसाई समुदायों पर अत्याचार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इन घटनाओं में कट्टरपंथी तत्त्व तो शामिल हैं ही, अदालतें भी कम दोषी नहीं हैं। पाक के सिंध प्रांत में अपहरण के बाद जबरन धर्मांतरित की गई 14 वर्षीया हिंदू बच्ची ने अनुरोध किया कि उसे उसके माता-पिता के पास भेज दिया जाए, लेकिन अदालत ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया।
धन्य हैं पाक के ऐसे जज! अगर किसी देश की अदालतें ही ऐसे फैसले करने लग जाएं तो उनमें और अपराधियों में अंतर ही क्या रह जाएगा? पाक में अल्पसंख्यकों, खासतौर से हिंदुओं को सताने और डराने के लिए सरकारी मशीनरी का जमकर इस्तेमाल किया जाता है।वहां कट्टरपंथी कितने बेखौफ हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेनजीराबाद जिले में सोहना कुमारी शर्मा को उसके घर से मां के सामने उसके ट्यूटर ने बंदूक के दम पर अपने साथियों के साथ अगवा कर लिया था! अब सोहना के पिता थानों और अदालत के चक्कर लगा रहे हैं, जहां कोई उनकी पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है। सुनवाई तो दूर, अदालत में बैठे जज उनके घाव पर नमक छिड़क रहे हैं।
भला ये अल्पसंख्यकों को क्या इंसाफ देंगे? पहले खुद तो जुल्म करना बंद करें। सोहना ने एक वीडियो में स्पष्ट कहा कि उस पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला गया, लिहाजा उसने डरकर मजहब कबूल कर लिया। बाद में उस मजहब के एक व्यक्ति के साथ उसकी शादी करा दी गई। इस वीडियो से पाकिस्तानी पुलिस की चौतरफा निंदा हुई तो उसने दिखावे के नाम पर कार्रवाई करते हुए सोहना को लरकाना की जिला अदालत में पेश कर दिया। हालांकि इसमें भी उसे पांच दिन लग गए थे।
सोहना शर्मा ने जज से कहा कि उसका अपहरण कर जबरदस्ती मजहब कबूल करवाया गया और अब वह अपने माता-पिता के पास जाना चाहती है। उधर, 'विद्वान' जज साहब को लगता है कि यह बच्ची दबाव में ऐसा बयान दे रही है। स्पष्ट है कि जज का झुकाव अपहर्ताओं की ओर है।
एक मासूम बच्ची, जिसकी उम्र पढ़ने और खेलने की है, क्या वह (दूसरे) मजहब और उसके दर्शन की इतनी गूढ़ बातें जानती है कि अपने पूर्वजों का धर्म ही छोड़ दे और अपना 'जीवनसाथी' भी चुन ले? यह साफ-साफ अपहरण, जबरन धर्मांतरण और मर्जी के खिलाफ शादी का मामला है, जिसे सामान्य मनुष्य भी समझ सकता है। बस पाकिस्तान के 'विद्वान' जज ही नहीं समझ पाते।
जिस ट्यूटर की जिम्मेदारी बच्चों को पढ़ाना और सही सीख देना होती है, उसी ने इस हिंदू बालिका का अपहरण किया। निश्चित रूप से इस घटना के पीछे एक साजिश है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को साजिशन खत्म किया जा रहा है। इसके लिए उनकी नाबालिग लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण कर निकाह करा दिया जाता है।
अपहर्ता दिन-दहाड़े इसे अंजाम देते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि थाने से लेकर अदालतों तक जो लोग बैठे हैं, उनका उन्हें आशीर्वाद प्राप्त है। लड़की का बाप चाहे कितना ही धनवान क्यों न हो, उसकी फरियाद कोई सुनने वाला नहीं है।
सिंध के अंदरूनी हिस्सों में हिंदू किशोरियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं बड़े पैमाने पर हो रही हैं, इसलिए वहां हिंदू परिवार उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं और पलायन करने को मजबूर हैं। आज पाकिस्तान के जो नेता, अफसर, पुलिसकर्मी और जज ... इन अल्पसंख्यक बच्चियों के आंसुओं को देख अट्टहास कर रहे हैं, वे इंतजार करें। उनके पाप का घड़ा जल्द फूटेगा।