बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन?
बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन?
जब भी किसी संस्थान में कोई दुर्घटना होती है जिसमंे किसी की जान चली जाए तो तुरंत प्रशासन संस्थान के व्यवस्थापक और मालिक पर कारवाही करने के लिए उत्सुक ऩजर आने लगता है। परंतु जब किसी सार्वजानिक क्षेत्र में ऐसा होता हो तो क्या ऐसे हादसों में जिम्मेदारी किसी की भी नहीं होती है? मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर हुए हादसे के बाद सरकार आगे की रणनीति बनाने में जुट गयी है। कुछ राजनैतिक दल अपने फायदे के लिए इस घटना पर टिप्पणियां भी दी हैं। चिंता की बात यह है कि हादसे के कारण को ऩजर अंदा़ज किया जा रहा है। एक तरह सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना को क्रियान्वित करने की तैयारियों में जुटी है वहीं दूसरी ओर भारतीय रेल के मूलभूत ढांचे की बदहाल स्थिति बार-बार हो रहे रेल हादसों से सामने आ रही है। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने महाप्रबंधकों का अधिकार क्षेत्र ब़ढाते हुए उन्हें आवश्यक फैसले लेने का मौका दिया है परंतु जब तक सरकार द्वारा सार्वजनिक सेवाओं और सुविधाओं के लिए जिम्मेदारियां नहीं सौंपी जाएँगी तब तक ऐसे हादसों को रोकना कठिन है। राजनीतिक दल इस हादसे के बाद जिस तरह से अपनी रोटियों को सेकने की कोशिश में जुट गए वह भी निंदनीय है। कांग्रेस के अनेक नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की बुलेट ट्रेन परियोजनाओं पर सवाल उठाए। कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय रेल की खस्ता हालत के लिए काफी हद तक वह खुद ि़जम्मेदार है। कांग्रेस के पास अनेक दशकों का समय था भारतीय रेल को आधुनिक बनाने और उसकी स्थिति को सुधरने के लिए। कांग्रेस के कार्यकाल में जिस धीमी गति से रेल विभागों में काम होता रहा उसी का अंजाम है कि आज हमारा रेल तंत्र पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। पीयूष गोयल या उनसे पहले सुरेश प्रभु इतने कम समय में विश्व के अग्रणी रेल तंत्र को नहीं सुधर सकते हैं। रेल सुधारों के लिए समय देना होगा। साथ ही जनता को भी समझना होगा कि भारतीय रेल हमारी संपत्ति है और इसके रख रखाव की जिम्मेदारी हमारी भी है। बेहतर सुविधाओं की मांग जायज भी है और आवश्यक भी। प्लेटफार्म, यात्री पुल और अन्य आवश्यक सुविधाओं के आधुनिकीकरण में सुरक्षा को सर्वाधिक महत्व देने की भी जरूरत है। महाप्रबंधकों की जिम्मेदारी बनती है की वह रेल मंत्री को अपने अधीन आने वाले मंडलों की जरूरतों से अवगत कराएं। अनेक सांसद भी विकास कार्यों में समर्थन देने के लिए आगे आरहे हैं, ऐसे में प्रलेखन कार्यों को भी गति देने की आवश्यकता है। भारतीय रेल के बेहतर विकास के लिए कर्मचारियों के कौशल विकास और साथ ही उनकी सक्षमता को ब़ढाने के लिए उन्हें विश्वस्तरीय तंत्र, औ़जार और सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी जरूरत है।