कृषि कानून निरस्त करने संबंधी विधेयक दोनों सदनों से पारित, सालभर ऐसे चला घटनाक्रम

कृषि कानून निरस्त करने संबंधी विधेयक दोनों सदनों से पारित, सालभर ऐसे चला घटनाक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी


नई दिल्ली/दक्षिण भारत/भाषा। केंद्र सरकार ने सोमवार को तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कर दिया। ​कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 पहले लोकसभा में पेश किया गया, जहां से इसे बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। इस दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भारी हंगामा किया। 

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इससे पहले, लोकसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 पेश किया। इसके फौरन बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक जैसे विपक्षी दलों ने विधेयक पर चर्चा कराने की मांग शुरू कर दी। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है।

इस विधेयक में तीन खंड हैं जिसमें से प्रथम खंड में अधिनियम का संक्षिप्त नाम है। इसके दूसरे खंड में कहा गया है कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 का निरसन किया जाता है।

विधेयक के तीसरे खंड में कहा गया है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 की उपधारा (1क) का लोप किया जाता है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इन कानूनों का किसानों का एक समूह ही विरोध कर रहा था। सरकार ने कृषि कानूनों के महत्व पर किसानों को समझाने और विभिन्न बैठकों और अन्य मंचों के माध्यम से कृषि कानूनों के गुणों को स्पष्ट करने का प्रयास किया।

इसमें कहा गया है कि किसानों को उपलब्ध मौजूदा तंत्र को हटाये बिना ही उनकी उपज के व्यापार के लिए नए आयाम उपलब्ध कराये गए थे। इसके अतिरिक्त, किसान अपनी पसंद के स्थानों का चयन करने के लिए स्वतंत्र थे जहां उन्हें किसी विवशता के बिना अपनी उपज के लिए अधिक कीमतें मिल सकती थी।

विधेयक के कारणों में कहा गया है कि तथापि पूर्वोक्त कृषि कानूनों के परिचालन पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई।

इसमें कहा गया है कि कोविड की अवधि के दौरान किसानों ने उत्पादन बढ़ाने के लिए एवं देश की आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम किया। जब देश की स्वतंत्रता का ‘अमृत महोत्सव’ मनाया जाता रहा है, इस समय प्रत्येक को वृद्धि एवं विकास के पथ पर एक साथ ले चलने की जरूरत है।

इसमें कहा गया है कि उपर्युक्त विषयों को ध्यान में रखते हुए उक्त कृषि कानूनों का निरसन प्रस्तावित है। इसके साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उपधारा (1क) का भी लोप करने का प्रस्ताव है जिसे आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 (2020 का 22) द्वारा अंत:स्थापित किया गया था।

इसके बाद, विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया, जहां उसे मंजूरी मिल गई। विपक्ष ने यहां भी हंगामा किया। दो बार के स्थगन के बाद बैठक जब दोपहर दो बजे शुरू हुई तो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को सदन में पेश किया। 

तोमर ने कहा कि सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद किसानों के कल्याण के लिए इन कानूनों को लेकर आई थी। उन्होंने कहा, ‘लेकिन दुख की बात है कि कई बार प्रयत्न करने के बावजूद वह किसानों को समझा नहीं सकी।’

तोमर ने कांग्रेस पर दोहरा रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल ने अपने घोषणापत्र में कृषि सुधारों का वादा किया था। उन्होंने कहा कि अब ये विधेयक वापस लिए जा रहे हैं। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई जिसके बाद दो बज कर करीब दस मिनट पर उपसभापति हरिवंश ने बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच इन तीन कृषि कानूनों को लाई थी। कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को उक्त तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के उद्देश्य से लाया गया।

इनके विरोध में करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कानूनों को रद्द करना है। सरकार ने जहां इन कानूनों को किसानों की आय बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया था वहीं किसानों ने कहा कि ये कानून उन्हें कॉरपोरेट घरानों के आश्रित कर देंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी। इसके कुछ ही दिन बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी।

ऐसे चला घटनाक्रम
5 जून, 2020 : सरकार ने तीन कृषि विधेयकों की घोषणा की।

14 सितंबर, 2020 : तीन कृषि कानूनों के विधेयक संसद में लाए गए।

17 सितंबर, 2020 : लोकसभा में विधेयक पारित।

20 सितंबर, 2020 : राज्यसभा में ध्वनि मत से विधेयक पारित।

24 सितंबर, 2020 : पंजाब में किसानों ने तीन दिन के रेल रोको आंदोलन की घोषणा की।

25 सितंबर, 2020 : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के आह्वान पर देशभर के किसान प्रदर्शन में जुटे।

26 सितंबर, 2020 : शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कृषि विधेयकों पर भाजपा नीत राजग छोड़ा।

27 सितंबर, 2020 : कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और भारत के गजट में अधिसूचित करने के साथ ये कृषि कानून बने।

3 दिसंबर, 2020 : सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले चरण की वार्ता की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही।

5 दिसंबर, 2020 : किसानों और केंद्र के बीच दूसरे चरण की वार्ता भी बेनतीजा रही।

8 दिसंबर, 2020 : किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। अन्य राज्यों के किसानों ने भी उन्हें समर्थन दिया।

11 दिसंबर, 2020 : भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने कृषि कानूनों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

12 जनवरी, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई, कानूनों पर सिफारिशें देने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की।

26 जनवरी, 2021 : गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा बुलाई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई। लाल किले पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

29 जनवरी 2021 : सरकार ने डेढ़ वर्षों के लिए कृषि कानूनों को स्थगित करने और कानून पर चर्चा के लिए संयुक्त समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया। किसानों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।

5 फरवरी 2021 : दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने किसान प्रदर्शनों पर एक ‘टूलकिट’ बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे युवा पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था।

5 जून, 2021 : प्रदर्शनरत किसानों ने कृषि कानूनों की घोषणा के एक साल होने पर संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस मनाया।

22 अक्टूबर, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह उसके विचाराधीन मामलों पर भी प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रदर्शनकारी अनिश्चितकाल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते।

29 अक्टूबर, 2021 : दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से अवरोधक हटाने शुरू किए, जहां केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

19 नवंबर, 2021 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।

29 नवंबर, 2021 : संसद के दोनों सदनों ने कृषि कानून को निरस्त करने वाले कृषि विधि निरसन विधेयक, 2021 को बिना चर्चा के मंजूरी मंजूरी दी।

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