निजी कंपनियों के लिए बनाया जा रहा अनुकूल माहौल: जेटली

निजी कंपनियों के लिए बनाया जा रहा अनुकूल माहौल: जेटली

चेन्नई। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को यहां एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनियों (एआरसी) और प्राइवेट इक्विटी फर्मों (पीई) के साथ चर्चा के दौरान कहा कि गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) अनिवार्य रूप से उत्पादक संपत्तियां हैं, जो अगर बदल जाती हैं तो न केवल अतिरिक्त नौकरियां पैदा करेंगी बल्कि राष्ट्रीय उत्पादन में भी योगदान देंगी। इसके लिए, समय पर हस्तक्षेप, पारदर्शी मूल्य की खोज और सही प्रबंधन की आवश्यकता है।भारतीय रिजर्व बैंक की आंतरिक सलाहकार समिति (आईएसी) ने १३ जून को बैठक के बाद, बैंकिंग प्रणाली के सकल एनपीए की लगभग २५ प्रतिशत राशि को दिवालियापन संहिता के तहत तत्काल संदर्भ के लिए १२ खातों की सिफारिश की थी। इन खातों में ५००० करो़ड रुपए से अधिक का निवेश किया गया है, जिसमें मार्च २०१६ तक बैंकों द्वारा ६० प्रतिशत या उससे अधिक बुरे ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। केवल इन १२ खातों में एक चौथाई एनपीए है जोकि ८ लाख करो़ड रुपए से अधिक है। उन्होंने कहा कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास ६ लाख करो़ड रुपए का एनपीए है। पिछले १८ महीनों में किए गए विभिन्न विधायी और विनियामक परिवर्तनों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, इनके कारण एआरसी कंपनियों के संचालन के लिए अनुकूल वातावरण बना है और पीई कंपनियांें ने विशेष फंडों द्वारा जोरदार परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है।उन्होंने कहा कि बैंकों, एआरसी, पीई, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों और रि़जॉल्यूशन प्रोफेशनल के बीच आपसी सहयोग नए निवेश और नए रोजगार एक अच्छे आर्थिक चक्र का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।इस अवसर पर वित्त मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के प्रयासों से जीएसटी लागू होने के बाद देश की विभिन्न कंपनियों को जागरुक करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को अपनाने में देश की निजी कंपनियों ने काफी सकारात्मक कार्य किया है। देश भर में जीएसटी लागू होने के बाद प्राप्त होने वाले राजस्व से देश की अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से देश में एक बेहतर आर्थिक माहौल तैयार करने की कोशिश की गई है। लोगों की अपनी अर्थव्यवस्था के बारे में समझ बढी है। छोटे दुकानदार हों या ब़डे उद्यमी सभी ने कर प्रणाली को जानने की दिशा में प्रयास किया है इससे पता चलता है कि देश में आर्थिक व्यवस्था के प्रति लोगों में जागरुकता आई है।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

'छद्म युद्ध' की चुनौतियां 'छद्म युद्ध' की चुनौतियां
आर्थिक दृष्टि से अधिक शक्तिशाली भारत अपने दुश्मनों पर और ज्यादा शक्ति के साथ प्रहार कर सकेगा
दपरे: कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में सेंट्रल हॉस्पिटल ने रक्तदान शिविर लगाया
कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण करने का फैसला किया
मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर ने कारगिल युद्ध विजय की 25वीं वर्षगांठ मनाई
एमयूडीए मामला: प्रह्लाद जोशी ने सिद्दरामैया पर आरोप लगाया, सीबीआई जांच की मांग की
भोजनालयों पर नाम प्रदर्शित करने संबंधी निर्देश पर योगी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में क्या दलील दी?
'विपक्षी दल के रूप में काम नहीं कर रही भाजपा, कुछ भी गलत या घोटाला नहीं हुआ'