अमेरिका में उनके वक्तव्यों को देशहित का तो नहीं मान सकते
जब उनका कार्यक्रम पहले से तय था तो उन्हें क्या बोलना है, इनका निर्धारण भी पहले हो गया होगा
Photo: rahulgandhi FB Page
अवधेश कुमार
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जब उनका कार्यक्रम पहले से तय था तो उन्हें क्या बोलना है इनका निर्धारण भी पहले हो गया होगा| वर्ष 2017 से उनकी राजनीतिक विदेश यात्राएं हो रही हैं और अभी तक के उनके वक्तव्य को देखें तो आपको हैरत नहीं होगी| हर यात्रा में उन्होंने विश्व समुदाय के समक्ष भारत की एक झूठी डरावनी तस्वीर पेश की है| वे लगातार कहते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद आरएसएस का सारी संस्थाओं पर कब्जा है, हम विविधता को मानते हैं वे एकरूपता के लिए सत्ता की ताकत का उपयोग कर रहे हैं| इसी में वे जोड़ते रहे हैं कि समाज में दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और उनके विचार से असहमत होने वालों को हिंसा, प्रताड़ना और अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है| सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधी नेताओं को जेल में डाला जा रहा है| संपूर्ण मीडिया पर कब्जा है और हमारे पास अपनी बात रखने के मंच नहीं हैं| लगभग ये ही बातें थोड़ी अलग या समान शब्दावलियों में उन्होंने इस बार भी बोला है| पिछले चुनाव में मोदी सरकार संविधान खत्म कर देगी आरक्षण समाप्त कर देगी का असर उन्हें दिखा इसलिए ये विषय भी प्रमुखता से उठाया| पिछले वर्ष की अमेरिका यात्रा में उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के बारे में कहा था कि जब हमारे पास अपनी बात रखने या जनसंवाद करने का कोई माध्यम नहीं बचा तो हम जनता के बीच यात्रा पर निकल पड़े| इस बार भी उन्होंने इसकी चर्चा की| इस बार अंतर इतना था कि उन्होंने बताया कि लोगों ने समझा है और चुनाव परिणाम ने इसे साबित किया है| अब नरेंद्र मोदी से लोग डर नहीं रहे, सवाल पूछ रहे हैं और उनका आत्मविश्वास विश्वास खत्म गया है| वैसे यह बात भारत में वह बोल चुके थे|
राहुल गांधी के रणनीतिकार, सलाहकार, थिंक टैंक सब प्रफुल्लित होंगे क्योंकि जैसा वे चाहते थे राहुल गांधी पूरी तरह तैयार होकर देश के साथ विदेश में भी उतर चुके हैं| किंतु यह भूल गए कि एक बार आपने देश की छवि विदेशों में खराब कर दी तो यह केवल मोदी सरकार के लिए नहीं संपूर्ण भारत के लिए समस्या और चुनौती बनेगा| कल्पना करिए, जो संस्थाएं उभरते और खड़ा होते हुए भारत को रोकने के लिए झूठी रिपोर्ट के आधार पर विश्व के निरंकुश, अभिव्यक्ति और धार्मिक स्वतंत्रता का दमन करने वाले देशों की सूची में डालने की वकालत कर रहे हैं उनके लिए तो राहुल गांधी को उद्धृत कर अपनी बात की पुष्टि करना ज्यादा आसान हो जाएगा| उनकी मुलाकातों की सूची में हमने भारत विरोधी और यहां तक कि भारत के विरुद्ध अमेरिकी कांग्रेस में मतदान करने वाली इलाहान उमर की चर्चा है किंतु पूरी सूची में ऐसे ही लोग थे जो अल्पसंख्यकों, मुसलमानों, मानवाधिकारों आदि के नाम पर भारत विरुद्ध अभियान चलाते रहे हैं| इनमें पाकिस्तान समर्थक हैं| जरा सोचिए, कोई विदेशी नेता पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का भाग नहीं मानता, कश्मीर में जनमत संग्रह की आवाज उठाता है तथा अमेरिका में भारतीयों के लिए वीजा नियमों को आसान करने वाले विधायक के विरुद्ध मतदान करता है उसका हमारे देश के किसी नेता के साथ खड़ा होने का अर्थ क्या है? यह मोदी सरकार का विरोध है या भारत का?
यह कल्पना नहीं की जा सकती कि कोई नेता अपने कार्यक्रम में इस सीमा तक चला जाएगा कि एक सम्मानित सिक्ख को उठाकर बोलेगा कि लड़ाई इस बात की है कि एक सिख पगड़ी या कड़ा पहनकर कहीं आ जा सकते हैं या नहीं| यह सिर्फ एक रिलिजन के लिए नहीं बल्कि सभी रिलिजन के लिए है| हालांकि जिस सिख व्यक्ति का नाम पूछ कर उन्होंने यह टिप्पणी की उन भालेंदर सिंह वीरमानी ने कहा कि मैं इसे पहनकर बेझिझक भारत जा सकता हूं| वहां आज तक ऐसा नहीं हुआ कि उसे पगड़ी और कड़ा पहनने का हक नहीं मिला हो| भालेंदर सिंह ने कहा कि राहुल गांधी 15–20 मिनट बोलने के बाद बाहर चले गए और हमें उनसे प्रश्न करने का मौका नहीं मिला अन्यथा मैं पूछना चाहता था कि आखिर आपसे किसने कहा है कि ऐसी आजादी नहीं है| क्या वजह, कोई खास एजेंसी है या खास लोग हैं जिन्होंने बातें बताई है? तो जिस अमेरिकी सिख बंधु से उन्होंने सवाल किया वहीं असहज हो गया| सिख सामुदाय के कुछ मुट्ठी भर अलगाववादी अराजक तत्व इस समय दुनिया भर में यही बात फैला रहे हैं| खालिस्तान की मांग सिखों की धार्मिक आजादी की मांग से जोड़ कर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम जैसे देशों में सिख फॉर जस्टिस या ऐसे दूसरे समूह बीच-बीच भारत को परेशान करने वाली गतिविधियां करते हैं| क्या राहुल गांधी को पता नहीं कि इन तत्वों ने ही भारतीय दुतावास आदि पर हमले किए और महात्मा गांधी तक की मूर्ति को अपमानित किया? लंदन स्थित उच्चायोग में भारतीय तिरंगे को अपमानित किया| सिख फॉर जस्टिस का संचालक और भारत में वांछित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल गांधी के बयानों को हाथों-हाथ लिया और कहा कि यही तो हम कह रहे थे, आज राहुल गांधी ने इसकी पुष्टि कर दी| दुनिया भर के सिख अलगाववादी समूह राहुल के इस वक्तव्य का उपयोग कर उन देशों से अपनी बात को सही साबित करने की कोशिश करेंगे| भारत सरकार सभी देशों के साथ कड़ाई से इन तत्वों पर अंकुश लगाने की बात करती रही है| राहुल गांधी ने भारत का पक्ष इस कमजोर किया| इसका डरावना पहलू यह है कि इसका किंचित भी लाभ उठाकर इन तत्वों ने पंजाब में कोई गड़बड़ी पैदा कर दी तो क्या होगा? हाल के समय में पंजाब के अंदर अलगाववादी गतिविधियों के साथ हिंसा फैलाने के प्रमाण मिले हैं, उग्रवादी गिरफ्तार हुए हैं|
भारत की एकता -अखंडता तथा विश्व में इसके प्रभाव बढ़ने, सम्मान मिलने के प्रति समर्पित कोई नेता विदेशी भूमि पर इस तरह की बातें नहीं कर सकता| आपको आरएसएस, बीजेपी से मतभेद है तो देश के अंदर प्रकट कर सकते हैं| उसमें भी राहुल गांधी जी अतिवाद की सीमा तक जा रहे हैं जो हमारे अंदर ही तनाव और हिंसा बढ़ाने तथा उथल-पुथल मचाने की पर्याप्त क्षमता रखता है| साफ है कि राहुल गांधी का एजेंडा देश की सामान्य राजनीति में कांग्रेस को मजबूत करना या स्वयं सरकार बनाने तक सीमित नहीं है| अपने देश के बारे में ऐसे दुष्प्रचार पुराने समय में उथल-पुथल और हिंसा के द्वारा सत्ता पर कब्जा करने वाले वामपंथी किया करते थे| राहुल गांधी संसदीय लोकतंत्र के अंदर क्या लक्ष्य चाहते हैं इसे समझने के लिए शोध की आवश्यकता है|