चंपई सोरेन ने जाहिर की अपनी 'पीड़ा'- पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचा, लेकिन हालात ऐसे बना दिए गए कि ...

उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर बायो से 'झामुमो' को हटा दिया

चंपई सोरेन ने जाहिर की अपनी 'पीड़ा'- पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचा, लेकिन हालात ऐसे बना दिए गए कि ...

photo: @ChampaiSoren X account

रांची/दक्षिण भारत। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने रविवार को झामुमो को लेकर तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर बायो से 'झामुमो' को हटा दिया है। उन्होंने वहां पोस्ट में कहा कि यह मेरा निजी संघर्ष है, इसलिए इसमें पार्टी के किसी सदस्य को शामिल करने अथवा संगठन को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। जिस पार्टी को हमने अपने खून-पसीने से सींचा है, उसका नुकसान करने के बारे में तो कभी सोच भी नहीं सकते, लेकिन हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि ...।

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चंपई सोरेन ने कहा कि हूल दिवस के अगले दिन मुझे पता चला कि दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।

चंपई सोरेन ने कहा कि क्या लोकतंत्र में इससे अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर को विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए उसमें शामिल हो जाऊंगा, लेकिन उधर से साफ इन्कार कर दिया गया।

चंपई सोरेन ने कहा कि पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनीतिक सफर में पहली बार भीतर से टूट गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं? दो दिन तक चुपचाप बैठकर आत्म-मंथन करता रहा। पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा। सत्ता का लोभ रत्तीभर भी नहीं था, लेकिन आत्मसम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता? 

चंपई सोरेन ने कहा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्मसम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था। 

चंपई सोरेन ने कहा कि पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है। जिस पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिनका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया।

चंपई सोरेन ने कहा कि मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से संन्यास लेना। दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना। उस दिन से लेकर आज तक तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। 

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