खतरनाक खेल

सोशल मीडिया के जरिए हनीट्रैप का यह 'खेल' बहुत ही खतरनाक है

खतरनाक खेल

हाल में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को सूचनाएं देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे

उत्तर प्रदेश पुलिस के इंटेलिजेंस मुख्यालय द्वारा पाकिस्तान के इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ) से संबंधित सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी साझा कर अधिकारियों को सतर्क रहने की सलाह देना अत्यधिक प्रासंगिक है। यह जानकारी पुलिस और सुरक्षा बलों के कर्मियों के अलावा आम नागरिकों के लिए भी उपयोगी है। 

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यह बात चौंकाने वाली है कि सोशल मीडिया पर एक दर्जन से ज्यादा ऐसे अकाउंट मिले हैं, जिनके जरिए शत्रु एजेंसियां हनीट्रैप की कोशिशें कर रही हैं। युवतियों के नाम से चल रहे इन अकाउंट्स को देखकर यह विश्वास करना मुश्किल होता है कि ये पाकिस्तान से चल रहे हैं और इन पर लगाई गईं खूबसूरत तस्वीरों के पीछे आईएसआई के एजेंट बैठे हैं! 

आश्चर्य की बात है कि जब इन अकाउंट्स पर कोई तस्वीर पोस्ट की जाती है तो सिर्फ भारतीय किशोर और युवक इनकी खूबसूरती की तारीफें करते नहीं थकते। कहीं ऐसा तो नहीं कि उनमें से किसी को आईएसआई ने हनीट्रैप का शिकार बना लिया हो? एक तस्वीर में तो कई युवतियों को भारतीय सेना की वर्दी में दिखाकर यह बताने की कोशिश की गई है कि वे नर्स हैं और देश की सेवा कर रही हैं। उस तस्वीर पर भारतीय नौजवान उनकी सराहना कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया के जरिए हनीट्रैप का यह 'खेल' बहुत ही खतरनाक है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों में कार्यरत कई लोग पाकिस्तानी एजेंसियों के झांसे में आकर देश को नुकसान पहुंचा चुके हैं। ऐसे में सबकी यह जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें इस बात की पर्याप्त जानकारी हो कि शत्रु एजेंसियां हमारे खिलाफ कैसी साजिशें कर रही हैं। 

यह भी देखने में आया है कि भारतीय सेना के नाम पर बने या उससे संबंधित बातें दर्शाने वाले किसी भी अकाउंट पर लोग खूब लाइक और कमेंट करते हैं। निस्संदेह हमें अपनी सेना से बहुत लगाव है, लेकिन यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि शत्रु एजेंसियों ने ऐसे कई फर्जी अकाउंट बना रखे हैं। उनसे दूर रहने में ही भलाई है।

प्राय: उन अकाउंट्स में किसी महिला को भारतीय सेना की वर्दी में दिखाकर लाइक, शेयर और कमेंट की अपील की जाती है। कहीं तिरंगा लगाकर कहा जाता है कि देश से प्रेम है तो अभी लाइक करें। वास्तव में इस तरह लोगों को 'उकसाया' जाता है, ताकि वे ऐसे अकाउंट से जुड़ें। इसलिए सोशल मीडिया पर सेना के आधिकारिक अकाउंट्स से ही जुड़ना चाहिए। अगर कोई अजनबी मित्रता का प्रस्ताव रखे तो उससे बचें। 

हाल में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को सूचनाएं देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे। ये प्रतिभाशाली वैज्ञानिक मिसाइल प्रणाली के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उन्होंने देश की रक्षा के लिए कई परियोजनाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पाकिस्तानी एजेंट ने महिला के नाम से अकाउंट बनाकर उन्हें जाल में फंसा लिया। 

नौजवानों को तो इस मामले में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि वे शत्रु एजेंसियों का बहुत आसान निशाना हो सकते हैं। अब सोशल मीडिया का वह दौर नहीं रहा, जो दस-बारह साल पहले हुआ करता था। हालांकि इस मंच पर अपराध तब भी होते थे, लेकिन हनीट्रैप के ऐसे मामले सामने नहीं आए थे। तब लोगों को ज्यादा जानकारी भी नहीं होती थी, इसलिए जिसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आई, उसे स्वीकार कर लेते थे। जो पोस्ट सामने आई, उसे लाइक/शेयर कर देते थे। 

अब आम नागरिकों के लिए यह पहचानना लगभग असंभव है कि कौनसा अकाउंट शत्रु एजेंसियां चला रही हैं। प्राय: लोगों में यह धारणा है कि शत्रु एजेंसियां भारत-विरोधी या सनातन-विरोधी सामग्री ही पोस्ट करती हैं। ऐसा कुछ मामलों में हो सकता है, लेकिन इसके अपवाद हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जिस एक अकाउंट की पहचान पीआईओ के तौर पर की गई, उसने सकारात्मक जीवन, स्वामी विवेकानंद, देवी-देवताओं से संबंधित बातें पोस्ट की थीं। 

यही नहीं, उसने कुछ भारतीय उपदेशकों की पोस्ट शेयर की थीं, ताकि उस पर जरा-सा भी शक न हो। सोशल मीडिया की यह डगर बहुत जोखिम भरी हो चुकी है, इसलिए सबका जागरूक होना बहुत जरूरी है। 

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