सीडीएस के लिए चुनौतियां
देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर सके थे
यह एक अनूठा संयोग है कि उरी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के ठीक छह साल बाद देश के सीडीएस पद के लिए लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) अनिल चौहान की नियुक्ति हुई है, जो ऐसे अभियानों के महारथी माने जाते हैं। वे बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना बनाने वाले सैन्य अधिकारियों में से एक रहे हैं।
ले. जनरल चौहान ऐसे समय में यह पद ग्रहण करने जा रहे हैं, जब देश के सामने गंभीर रक्षा चुनौतियां हैं। निस्संदेह सेना के अधिकारी और जवान ऐसी चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम हैं। वे वीरता और शौर्य की बड़ी से बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं। उनका नेतृत्व करने के लिए केंद्र सरकार ने ले. जनरल चौहान के रूप में ऐसे अधिकारी को चुना है, जिनके पास सैन्य जीवन का चालीस साल से भी ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने सुदीर्घ सेवाकाल में जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में आतंकवाद को कुचलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।यह दुर्भाग्य ही रहा कि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर सके। देश ने पिछले साल 8 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल रावत समेत दर्जनभर वीर सैनिकों को गंवा दिया था। जनरल रावत सैन्य सुधारों के लिए जाने जाते थे। निश्चित रूप से भारत-विरोधी ताकतें तो यही चाहेंगी कि सैन्य सुधारों में रुकावटें आती रहें।
जनरल रावत ने पाकिस्तान और चीन के अलावा आंतरिक चुनौतियों की ओर भी संकेत किया था। अब ले. जनरल चौहान उनके मिशन को आगे बढ़ाएं। जो सैन्य सुधार आवश्यक हों, उन्हें समयबद्ध ढंग से लागू किया जाए। साथ ही जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्व और जिन इलाकों में देश-विरोधी ताकतें हमारी अखंडता और संप्रभुता को चुनौती दें, उनका उचित समाधान किया जाए।
ले. जनरल चौहान भी जनरल रावत की तरह 11 गोरखा राइफल्स से हैं, जो जबरदस्त बहादुरी और दुश्मन के दिल को दहला देनेवाली मानी जाती है। आज देश को इस सैन्य भावना की सर्वाधिक आवश्यकता है। जो कोई भारत से मित्रता एवं शांतिपूर्ण संबंध रखें, हमें भी उनसे मैत्री एवं शांति रखनी चाहिए, चूंकि यही तो हमारे ऋषि-मुनियों का दर्शन है। लेकिन जो देश आतंकवाद, उग्रवाद, अशांति, व्यर्थ विवाद भड़काएं, उनके साथ खूब सख्ती से पेश आना चाहिए। खासतौर से चीन और पाकिस्तान की जो नीति रही है, उनसे निपटने के लिए भारत को अपने रुख में और आक्रामकता लानी होगी।
यूं तो चीन प्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं होता, लेकिन वह अपने मोहरे पाकिस्तान को आगे कर देता है। कश्मीर में घुसपैठ की कोशिशें लगातार हो रही हैं। सेना के जवान उनका मुहंतोड़ जवाब दे रहे हैं। ले. जनरल चौहान को ऐसे विकल्प तलाशने होंगे कि हमारे जवानों का नुकसान न्यूनतम हो, जबकि दुश्मन को इसका भारी-भरकम खामियाजा भुगतना पड़े। इसके लिए आतंकवाद की फैक्ट्री पाकिस्तानी फौज पर चोट करनी होगी, उस पर दबाव बनाए रखना होगा।
यह सुखद है कि अब देश की आम जनता रक्षा क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों को लेकर पहले से ज्यादा गंभीर है। फिर चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो या राफेल का मुद्दा, जनता अपनी सेना के साथ खड़ी रही है। ले. जनरल चौहान पर जिम्मेदारी होगी कि वे सेना के प्रति जनता के इस प्रेम को और मजबूत करें। चूंकि अग्निवीर भर्ती की घोषणा के बाद जिस तरह युवाओं का आक्रोश सामने आया, उसने कहीं न कहीं आशंकाओं और सवालों को जन्म दिया है। ले. जनरल चौहान इन युवाओं का हौसला बढ़ाएं, उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए पुख्ता कदम उठाएं।