किसी भी नए मेडिकल कॉलेज को मंजूरी नहीं
किसी भी नए मेडिकल कॉलेज को मंजूरी नहीं
चेन्नई। राज्य को इस वर्ष न तो कोई नया मेडिकल कॉलेज मिला है और न ही मौजूदा कॉलेजों में से किसी को भी अतिरिक्त सीटें मिली हैं। हालांकि इस वर्ष राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा लिखने वाले एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के इच्छुक विद्यार्थियों की संख्या २५,००० से अधिक हो गई है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में मुश्किलें और बढ सकती हैं क्योंकि शिक्षाविदों ने कटऑफ में ५ अंक की ब़ढोत्तरी होने की बात कही है।विद्यार्थियों के अनुसार इस वर्ष नीट परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थी वर्ष २०१७ की तुलना में इस वर्ष इस प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार थे। शिक्षाविदें का भी मानना है कि इस वर्ष नीट परिक्षार्थियों को गत वर्ष के तुलना में बेहतर अंक प्राप्त होंगे और उत्तीर्णता प्रतिशत भी बेहतर रहने की संभावना है। हालांकि यह थो़डी निराश करने वाली बात है कि जहां अधिक विद्यार्थियों के सफल होने की संभावना है लेकिन उनके लिए कोई अतिरिक्त सीट होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।विद्यार्थियों के लिए थो़डी राहत की बात यह है कि क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज ने इस वर्ष प्रवेश के लिए राज्य सरकार को सीटों को सरेंडर करने का निर्णय लिया है। पिछले वर्ष नीट का विरोध करते हुए इस कॉलेज मंे सामान्य की तुलना में काफी कम विद्यार्थियों ने प्रेवेश लिया था। पिछले वर्ष राज्य सरकार द्वारा नियमों में किए गए संशोधन का भी विरोध किया जिसके तहत राज्य सरकार की चयन समिति और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय द्वारा किए गए सभी दाखिलों को अनिवार्य कर दिया गया था।वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों और राज्य के सभी कॉलेजों में प्रवेश के प्रभारी राज्य चयन समिति के सचिव जी सेल्वराजन ने इस सप्ताह के शुरुआत में निजी कॉलेज प्रशासन के साथ बैठक की थी। इस बैठक में गैर-अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों को ५० प्रतिशत सीटें और अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों को ३५ प्रतिशत सीटें राज्य कोटा के लिए सरेंडर करने के लिए कहा था। अधिकिारयों के अनुसार सभी कॉलेजों ने इस पर अपनी सहमति दी है और सीटें सरेंडर करने का आश्वासन दिया है।तमिलनाडु डॉ एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ टी बालासुब्रमण्यम ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी तक निर्धारित सीटों की संख्याओं को कम करने या बढाने के बारे में हमें एमसीआई की ओर से कोई और जानकारी नहीं मिली है।उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा निदेशालय की ओर से यदि कोई निर्देश मिलता है तो सीटें बढाने या घटाने के बारे में कोई निर्णय लिया जा सकता है।उल्लेखनीय है कि इस वर्ष २१ सरकारी कॉलेजों और कोयंबटूर में एकमात्र ईएसआईसी कॉलेज तथा राज्य प्रशासित राजा मुथैया कॉलेज में १५० सीटों और १२ स्व वित्त पोषित में १,४५० सीटों सहित कुल मिलाकर २,९०० एमबीबीएस सीटों की पेशकश की जाएगी। २,९०० सीटों में से राज्य स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के निदेशक द्वारा अखिल भारतीय कोटा के तहत प्रवेश के लिए १५ प्रतिशत सीटें केन्द्र के लिए सरेंडर की जाएगी।