अयोग्य घोषित किए गए विधायक पहुंचे उच्च न्यायालय

अयोग्य घोषित किए गए विधायक पहुंचे उच्च न्यायालय

चेन्नई। टीटीवी दिनाकरण का समर्थन करने वाले १८ विधायकों को सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया। अब इस आदेश के खिलाफ इन विधायकों ने मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) से निष्काषित किए जा चुके टीटीवी दिनाकरण ने सोमवार को कहा कि यह कार्रवाई असंवैधानिक है और यह कार्रवाई विधानसभा में असंवैधानिक ढंग से बहुमत साबित करने के लिए की गई है। मद्रास उच्च न्यायालय में टीटीवी दिनाकरण के समर्थकों की ओर से दायर की गई याचिका पर २० सितम्बर को सुनवाई होगी।विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के बाद राज्य की कई विपक्षी पार्टियों ने इसकी निंदा की है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सोमवार को यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि यह कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या है। अपनी बात को लोकतांत्रिक ढंग से उठाने वाले निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई को जायज ठहराने की कोशिश की जा रही है। उनसे पूछा गया कि राज्य की राजनीति में इस बदले हुए घटनाक्रम के बाद उनकी आगे की कार्रवाई क्या होगी, तो उन्होंने कहा कि वह मंगलवार की शाम अपने विधायकों के साथ एक बैठक बुलाएंगे और इस बैठक में आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में चर्चा करेंगेे। द्रमुक के वरिष्ठ नेता दुरै मुरुगन ने भी पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की यह कार्रवाई सही नहीं है और यह लोकतंत्र के खिलाफ है।तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) के अध्यक्ष जीके वासन ने सोमवार को कहा कि भले ही विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है लेकिन अभी इसे अंतिम निर्णय नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि विधायकों ने अदालत का रुख किया है और इस मामले में न्यायालय द्वारा जो फैसला दिया जाएगा वही अंतिम निर्णय माना जाएगा। विदुतलै चिरुतैगल कच्चि (वीसीके) के महासचिव थोल थिरुमावलावन ने कहा कि राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य में एक स्थायी राज्यपाल की नियुक्ति की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा राज्यपाल को तमिलनाडु के साथ ही महाराष्ट्र का प्रभार भी देखना होता है। राज्य में पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक उठा-पठक का दौर जारी है। यदि पूर्णकालिक राज्यपाल की नियुक्ति होती है तो राज्य के हितों से जु़डे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द निर्णय लिया जा सकेगा।मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) के राज्य सचिव जी रामकृष्णा ने कहा कि विधायकों को अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि सत्तारुढ अन्नाद्रमुक को अपनी सरकार गिरने का डर सता रहा है। इन विधायकों को इसी डर के साथ अयोग्य घोषित किया गया है कि विधानसभा में विश्वासमत पारित होने की स्थिति मंें यह विधायक सत्ता पक्ष के खिलाफ मतदान नहीं कर सकें। यह संविधान के खिलाफ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्य सचिव आर मुतारसन ने कहा है कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह संविधान के अनुरुप नहीं है। नाम तमिझर कच्चि (एनएमके) के अध्यक्ष सीमॉन ने कहा कि है कि यह एक अपेक्षित कदम है। यह खुशखबरी है, मुझे इससे प्रसन्नता हो रही है। सूत्रों के अनुसार विधायकों को अयोग्य घोषित करने के इस निर्णय के बारे में निर्वाचन आयोग को जानकारी दी जाएगी और इसके लिए कागजी कार्रवाई शुरु हो चुकी है।

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