कोरोना काल में बेसहारा जानवरों के लिए बनीं सहारा, मेजर प्रमिला की मोदी ने की तारीफ
कोरोना काल में बेसहारा जानवरों के लिए बनीं सहारा, मेजर प्रमिला की मोदी ने की तारीफ
राजस्थान के कोटा शहर की बेटी हैं प्रमिला, पिता श्यामवीर सिंह से मिली जीवदया की प्रेरणा
नई दिल्ली/कोटा/दक्षिण भारत। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी एवं राजस्थान के कोटा शहर की बेटी मेजर प्रमिला सिंह (से.नि.) ने कोरोना काल में बेसहारा जानवरों की सेवा की, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की है।
इसके बाद मेजर प्रमिला सिंह का नाम सोशल मीडिया में खूब चर्चा में है। मोदी ने प्रमिला को पत्र लिखकर उनके काम को सराहा और शुभकामनाएं दी हैं। उल्लेखनीय है कि प्रमिला सिंह को इस कार्य की प्रेरणा अपने पिता श्यामवीर सिंह और माता विजेंद्री देवी से मिली।श्यामवीर सिंह जयदाय विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जबकि विजेंद्री देवी आयुर्वेद चिकित्सक हैं। प्रमिला को लिखे पत्र में मोदी ने कहा, ‘आपके एवं आपके पिताजी श्यामवीर द्वारा बेसहारा जानवरों के लिए किए गए कार्यों को जानकर प्रसन्नता हुई। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान आपके कार्य समाज के लिए प्रेरणादायी हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पिछले लगभग डेढ़ वर्षों में हमने अभूतपूर्व परिस्थितियों का सामना मजबूती से किया है। यह एक ऐसा ऐतिहासिक कालखंड है जिसे लोग जीवन भर नहीं भूल सकेंगे। यह न केवल इंसानों के लिए बल्कि मानव के सान्निध्य में रहने वाले अनेक जीवों के लिए भी कठिन दौर है। ऐसे में आपका बेसहारा जानवरों के दुख-दर्द व जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना व उनके कल्याण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर पूरे सामर्थ्य से कार्य करना सराहनीय हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इदं मानुषं सर्वेषां भूतानां मधु’ अर्थात् यह मानवता सभी प्राणियों को मधु के समान प्रिय है। इस मुश्किल समय में ऐसी कई मिसालें देखने को मिली हैं जिन्होंने हमें मानवता पर गर्व करने का अवसर दिया है।’
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि मेजर प्रमिला सिंह और उनके पिताजी इसी प्रकार अपनी पहल से समाज में जागरूकता फैलाते हुए अपने कार्यों से लोगों को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे। प्रधानमंत्री ने मेजर प्रमिला सिंह के लिए अच्छे स्वास्थ्य और सुखद भविष्य की कामना की है।
गौरतलब है कि श्यामवीर सिंह पिछले करीब तीन दशक से ज्यादा समय से बेसहारा जानवरों की सेवा कर रहे हैं। इस सेवाकार्य में प्रमिला बचपन से हाथ बंटाने लगी थीं, जो धीरे-धीरे उनके लिए जीवन का मिशन बन गया।