कबाड़ का बेहतरीन इस्तेमाल करने वाले ‘कबाड़ीजी’

कबाड़ का बेहतरीन इस्तेमाल करने वाले ‘कबाड़ीजी’

कबाड़ का बेहतरीन इस्तेमाल करने वाले ‘कबाड़ीजी’

जतिन गौड़

हरियाणा के हिसार निवासी जतिन गौड़ का कमाल

.. राजीव शर्मा ..

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हिसार/दक्षिण भारत। इंटरनेट एक ऐसा जरिया है जिसका सही इस्तेमाल किया जाए तो यह सकारात्मक बदलाव की दिशा में बहुत मददगार साबित हो सकता है। हरियाणा के हिसार निवासी जतिन गौड़ को इंजीनियरिंग के दौरान इंटरनेट से एक ऐसा आइडिया मिला जिससे वे पर्यावरण की सुरक्षा में जुटे हैं।

इंजीनियरिंग का छात्र होने से जतिन इस बात की काफी समझ रखते हैं कि पर्यावरण के लिए प्लास्टिक कितना हानिकारक है। खासतौर से प्लास्टिक की बोतलें, जिन्हें खाली होने के बाद अनुपयोगी समझा जाता है।

जतिन ने इंटरनेट के जरिए ए​क वीडियो देखा जिसमें कुछ लोग प्लास्टिक की खाली बोतलों का उपयोग दीवार, टंकी और घर बनाने के लिए कर रहे थे। यहीं से जतिन के मन में यह विचार आया कि अपने शहर में भी प्लास्टिक का ऐसा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने इंटरनेट से और जानकारी इकट्ठी की।

उपयोग के बाद खाली हुईं इन बोतलों में प्लास्टिक की थैली और मिट्टी व छोटे पत्थरों का मिश्रण भी भरा जा सकता है। इस तरह बोतलों को नया स्वरूप मिल जाता है और एक नया नाम ‘इको ब्रिक्स’।

जतिन ने एक स्थानीय स्कूल के प्रिंसिपल से संपर्क किया और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को रोकने पर चर्चा की। उन्होंने स्कूली बच्चों को भी प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया और खाली बोतल लाने की अपील की।

देखते ही देखते जतिन को स्कूली बच्चों और शिक्षकों से करीब 700 बोतलें मिल गईं जिनसे इको ब्रिक्स बनाई गईं। अब इन बोतलोंं का सकारात्मक इस्तेमाल करने की बारी थी। जतिन ने इनसे गमले, दीवार, डॉग शेल्टर और पेड़ के नीचे बैठने के लिए जगह बनाई।

कबाड़ का बेहतरीन इस्तेमाल करने वाले ‘कबाड़ीजी’
प्लास्टिक की बोतलों से किया गया निर्माण कार्य

अब तक इस काम की चर्चा सोशल मीडिया पर भी होने लगी, तो जतिन से अन्य स्कूलों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने संपर्क किया। पहले ये बोतलें कचरे के ढेर में पड़ी रहतीं या किसी नाली को अवरुद्ध कर देतीं, लेकिन अब इनका बेहतरीन इस्तेमाल होने लगा है।

जतिन इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए फेसबुक पर ‘कबाड़ीजी’ नाम से पेज भी चलाते हैं। इसके जरिए शहर में लोग सीधे इनसे संपर्क कर सकते हैं। कोरोना महामारी के दौरान जब देश में लॉकडाउन की घोषणा हुई तो जतिन सोशल मीडिया के जरिए लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जागरूक करते रहे। इससे पहले, एक कॉलेज ने उन्हें कैफेटेरिया बनाने का प्रस्ताव दिया जो जल्द तैयार होने वाला है।

जतिन इस मुहिम के लिए जरूरी आर्थिक संसाधनों के प्रबंध के लिए ट्यूशन पढ़ाते हैं। वे अब तक हजारों बोतलों का उपयोग नवनिर्माण के लिए कर चुके हैं। उन्हें विश्वास है कि पर्यावरण के समक्ष उपस्थित होने वाली चुनौतियां वैज्ञानिक दृष्टिकोण व रचनात्मक कार्यों से दूर की जा सकती हैं और यह धरती हम सबके प्रयासों से अधिक सुंदर जगह बनाई जा सकती है।

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