पगड़ी के प्रेम ने रुबेन सिंह को बनाया ‘ब्रिटिश बिल गेट्स’
पगड़ी के प्रेम ने रुबेन सिंह को बनाया ‘ब्रिटिश बिल गेट्स’
नई दिल्ली। नस्लभेदी टिप्पणी हजम करना ऐसे लोगों के लिए मुश्किल होता है, जो जीवन में कुछ कर गुजरने का माद्दा रखते हैं्। भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक रुबेन सिंह की कहानी में भी एक नस्लभेदी टिप्पणी ने ऐसा मो़ड ला दिया कि उनकी जिंदगी ही बदल गई। एक बार एक अंग्रेज ने उन्हें उनकी पग़डी के लिए बेइज्जत किया था। उनकी पग़डी का मजाक उ़डाते हुए एक ब्रिटिश बिजनेसमैन ने कहा था, तुम केवल रंग-बिरंगी पगि़डयां पहन सकते हो। ऑलडे पीए के सीईओ रुबेन सिंह को यह बात बेहद नागवार गुजरी। उन्होंने उसी वक्त ब्रिटिश कारोबारी से कहा कि वह अपने पास मौजूद सभी पगि़डयों के रंग की रोल्स रॉयस कारें खरीद कर दिखाएंगे। इसके बाद उन्होंने हर अलग रंग की कार के साथ मैचिंग पग़डी और ड्रेस में तस्वीरें खिंचवाई और उन्हें ट्विटर पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि पग़डी उनका मुकुट है और उन्हें इस पर गर्व है।र्त्रय्द्य-घ्ढ्ढणक्कय्प्ह्र फ्ष्ठ द्नद्यर् ्यज्ैंख्रख्र् रुबेन सिंह को एक वक्त ब्रिटिश बिल गेट्स’’ कहा जाता था। उन्होंने १७ वर्ष की उम्र में अपनी वस्त्र श्रृंखला मिस एटीट्यूड लांच की थी। उनका कारोबार करीब १० मिलियन पाउंड से अधिक का था, लेकिन एक खराब वक्त में उन्हें केवल १ पाउंड में अपना पूरा रिटेल कारोबार बेचना प़डा। अपनी कंपनी ऑलडे पीए से भी उन्हें हाथ धोना प़डा। वर्ष २००७ में उन्हें दीवालिया घोषित कर दिया गया। उन्होंने धमाकेदार वापसी करते हुए ऑलडे पीए पर वर्ष २०१५ में मालिकाना हक हासिल कर लिया। द्बर््यठ्ठद्भय् झ्द्य च्णय्ॅ र्ङैंद्धष्ठद्म ्यफ्ैंब्इन दिनों रुबेन सिंह मीडिया पर इसीलिए छाए हुए हैं क्योंकि उन्होंने ७ अलग-अलग रंग की रॉल्स रॉयस और लग्जरी कारें खरीदीं, जिनकी कीमत करो़डों रुपए है। ये सभी कारें रुबेन सिंह ने शौक के लिए नहीं, बल्कि एक ब्रिटिश को सबक सिखाने के लिए खरीदी हैं। इस ब्रिटिश बिजनेसमैन ने सिंह की पग़डी का मखौल बनाया था। उन्होंने अपना बिजनेस फिर से ख़डा करने की ठानी और ब्रिटिश बिजनेसमैन को चैलेंज किया, ’’मैं जितने रंग की पगि़डयां पहनता हूं उतने रंग की रोल्स रॉयस खरीदूंगा।’’ आखिरकार रुबेन सिंग ने अपने बिजनेस को फिर ख़डा किया ७ रंगों की रॉल्स रॉयस कारें खरीदीं। उनका कारोबार कई देशों में फैला है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने उन्हें गवर्नमेंट एडवाइजरी कमिटी का सदस्य भी बनाया था।