बिहार में क्या रहे कांग्रेस की हार के कारण?

बिहार में क्या रहे कांग्रेस की हार के कारण?

नई दिल्ली/भाषा। कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर आत्मचिंतन करने की जरूरत पर जोर देते हुए रविवार को कहा कि राज्य में गठबंधन को अंतिम रूप देने में विलंब से नुकसान हुआ और अब इससे सबक लेते हुए पार्टी को दूसरे राज्यों में समय रहते सीटों के तालमेल की औपचारिकताओं को पूरा करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के चुनावी प्रदर्शन पर आत्मचिंतन करने को लेकर कांग्रेस आलाकमान गंभीर है और आने वाले समय में कारणों का पता लगाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की घटक कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई, जबकि उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के सत्ता से दूर रह जाने का एक प्रमुख कारण कांग्रेस के इस निराशाजनक प्रदर्शन को भी माना जा रहा है।

कटिहार से कई बार लोकसभा सदस्य रह चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री अनवर ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘बिहार में बदलाव का माहौल बन चुका था। हम इसका पूरा लाभ नहीं उठा पाए। हमें उम्मीद थी कि कांग्रेस 70 सीट पर लड़ी है तो कम से कम 50 फीसदी सीटें जीतेगी। लेकिन हम 19 पर रुक गए। इससे थोड़ा झटका लगा। अगर महागठबंधन की सरकार नहीं बनी तो थोड़ी जिम्मेदारी हम लोगों की है।’

अनवर ने इस बात पर जोर दिया, ‘आलाकमान और राहुल गांधी का पूरा सहयोग मिला। लेकिन कहीं न कहीं हमारी कमजोर रही है। अगर कमजोरी नहीं होती तो 35-40 सीटें मिलतीं। आगे इसका विश्लेषण होगा कि क्या वजह रही है कि प्रदर्शन ऐसा रहा।’ उन्होंने कहा, ‘आत्मचिंतन होना चाहिए। हमने भी अपनी तरफ से मांग की है। मुझे लगता है कि आलाकमान भी इसको लेकर गंभीर है।’

इस प्रदर्शन के कारणों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘अभी इतना जल्दी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते। कहीं न कहीं विफलता है। उसी की हमें पहचान करनी है ताकि आने वाले साल में होने जा रहे चुनाव में इनको दोहराने से बचा जाए। हम चाहते हैं कि चुनाव में शामिल लोगों, उम्मीदवारों और जिला कांग्रेस कमेटी के लोगों से बातचीत करके पता किया जाए कि कहां गलती हुई।’

यह पूछे जाने पर कि इस प्रदर्शन के पीछे का मुख्य कारण गठबंधन में विलंब है तो उन्होंने कहा, ‘राहुलजी ने जुलाई के महीने में ही कहा था कि गठबंधन की प्रक्रिया जल्द पूरी कर लेनी चाहिए। यह कहना बिल्कुल सही है कि गठबंधन में बहुत विलंब हुआ। अगर यह समय से हो जाता तो शायद चुनाव प्रचार में फायदा मिलता।’

अनवर ने कहा, ‘अगले साल पांच राज्यों में चुनाव होने वाला है। यह बात बिल्कुल सही है कि इस चुनाव में बिहार में जो कमियां रही हैं उनसे सीख लेने की जरूरत है। हमें पहले से तैयार रहना चाहिए। अगर हमें गठबंधन में जाना है तो हमें इसकी औपचारिकताओं को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए।’

क्या बिहार में कांग्रेस की क्षमता 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की थी, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के हिस्से में 70 सीटें आईं और कांग्रेस की क्षमता 70 सीट लड़ने की थी। यह कह सकते हैं कि हमारी रणनीति या प्रचार अभियान में कहीं न कहीं कमी रह गई और कुछ और भी कारण रहे होंगे जिससे जो परिणाम अपेक्षित था वो नहीं आया।’

जवाबदेही तय करने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि जब चर्चा होगी और जायजा लिया जाएगा तब पूरी बात सामने आएगी। इसके बाद आलाकमान निर्णय लेगा।’ महागठबंधन को एआईएमआईएम के नुकसान पहुंचाने को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे निपटने के लिए कांग्रेस को रणनीति बनानी होगी।

उन्होंने कहा, ‘हम किसी राजनीतिक दल को चुनाव लड़ने से रोक नहीं सकते। लेकिन सभी लोग समझते हैं कि एआईएमआईएम कहीं न कहीं भाजपा की मदद करने का काम कर रही है। एआईएमआईएम ने पांच सीटें भले ही जीते हैं, लेकिन 15 सीटों का नुकसान किया। हमें ऐसी स्थिति को रोकने के लिए सीमांचल में इसकी तैयारी करनी चाहिए थी।’

मुस्लिम मतों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की सेंध के कारणों पर अनवर ने कहा, ‘यह देश भावुक है। लोग जल्द भावना में आ जाते हैं। ऐसी पार्टी से निपटने के लिए हमें रणनीति बनानी होगी। लोगों को यह समझना होगा कि हिंदू सांप्रदायिकता और मुस्लिम सांप्रदायिकता दोनों देश के लिए खतरनाक हैं।’

नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मेरा खयाल है कि प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। हम लोग कोरोना के दौर से गुजर रहे हैं और ऐसे में एआईसीसी की बैठक बुलाना ठीक नहीं है। जैसे ही हालात ठीक होंगे तो अगले साल इस काम को पूरा कर लेंगे।’

राहुल गांधी के फिर से अध्यक्ष बनने के सवाल पर कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘राहुलजी को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्हें तैयार होना है। हमें राहुलजी की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने हार की जिम्मेदारी ली। ऐसे नेता कम होते हैं जो हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देते हैं और उस पर अडिग रहते हैं। यह सब हम सबके लिए एक सीख है।’

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