'वीबी-जी राम जी': विपक्ष ने बिल पास होने के विरोध में संसद में रातभर धरना दिया
तृणमूल कांग्रेस ने बिल को जबरदस्ती पास कराने का आरोप लगाया
Photo: IndianNationalCongress FB Page
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। विपक्षी नेताओं ने गुरुवार रात संसद परिसर में 12 घंटे का रातभर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने मनरेगा की जगह लेने वाले वीबी-जी राम जी बिल के पास होने का विरोध किया और कहा कि वे पूरे देश में सड़कों पर उतरेंगे।
तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा उप-नेता सागरिका घोष ने केंद्र सरकार पर बिल को जबरदस्ती पास कराने का आरोप लगाया।विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल पास कर दिया। राज्यसभा ने आधी रात के बाद इसे मंज़ूरी दी।
घोष ने कहा कि मोदी सरकार पूरी तरह से 'गरीब विरोधी, जनता विरोधी, किसान विरोधी, ग्रामीण गरीब विरोधी' बिल लाई है और मनरेगा को खत्म कर दिया है।
घोष ने कहा, 'यह भारत के गरीबों का अपमान है, यह महात्मा गांधी का अपमान है, यह रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान है। सिर्फ पांच घंटे पहले हमें यह बिल दिया गया। हमें ठीक से बहस करने की इजाज़त नहीं दी गई।'
उन्होंने कहा, 'हमारी मांग थी कि इतने ज़रूरी बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए और विपक्षी पार्टियां इसकी जांच करें, इस पर चर्चा करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।'
उन्होंने कहा, 'हम अब 12 घंटे के धरने पर बैठने जा रहे हैं, 12 घंटे का धरना उस तरीके के खिलाफ है जिस तरह से मोदी सरकार भारत के लोगों, भारत के गरीबों, भारत के ग्रामीण गरीबों के खिलाफ यह काला कानून लाई है।'
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस दिन को 'देश के मज़दूरों के लिए दुखद दिन' बताया और मोदी सरकार पर किसान विरोधी और गरीब विरोधी होने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया, 'यह शायद भारत के मज़दूरों के लिए सबसे दुखद दिन है। भाजपा सरकार ने मनरेगा को खत्म कर 12 करोड़ लोगों की रोज़ी-रोटी पर हमला किया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार किसान विरोधी और गरीब विरोधी है।'
कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा, 'जब मनरेगा का ड्राफ्ट बनाया गया था, तो 14 महीने तक बातचीत हुई थी। इसे संसद में सबकी सहमति से पास किया गया था। यह योजना राज्यों पर बहुत ज़्यादा बोझ डालेगी। नतीजतन, यह फेल हो जाएगी।'
द्रमुक नेता तिरुचि शिवा ने कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी और अंबेडकर की मूर्तियों को संसद के पिछले हिस्से में शिफ्ट कर दिया है, जहां लोग उन्हें देख नहीं सकते।
उन्होंने दावा किया, 'इसी तरह उन्होंने महात्मा गांधी का नाम ही हटा दिया है। गांधी के बिना आज़ादी नहीं है, यह इस देश में सबकी दृढ़ मान्यता है। ब्रिटेन की संसद में भी गांधी की मूर्ति है, लेकिन यहां भारतीय संसद में उनकी मूर्ति कहीं छिपी हुई है और अब जिस योजना का नाम उनके नाम पर था, उस योजना से भी उनका नाम हटा दिया गया है।'


