धनशोधन मामले में जम्मू-कश्मीर में ईडी के ताबड़तोड़ छापे, इतनी बड़ी है रकम!
इसमें ‘जम्मू-कश्मीर स्टेट कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड’ के पूर्व अध्यक्ष के परिसर पर छापे भी शामिल हैं

काल्पनिक आवासीय सोसाइटी ‘रिवर झेलम कॉपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी’ के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ था
श्रीनगर/भाषा। प्रवर्तन निदेशालय ने 250 करोड़ रुपये के धनशोधन मामले में बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर में छह स्थानों में छापे मारे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इसमें ‘जम्मू-कश्मीर स्टेट कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड’ के पूर्व अध्यक्ष के परिसर पर छापे भी शामिल हैं। इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि यह मामला जम्मू-कश्मीर बैंक से जुड़ा है।उन्होंने बताया कि काल्पनिक आवासीय सोसाइटी ‘रिवर झेलम कॉपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी’ के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ था।
अधिकारियों ने बताया कि ईडी के श्रीनगर कार्यालय ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत छापे मारे।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में काल्पनिक आवासीय सोसाइटी के अध्यक्ष हिलाल ए मीर, जे-के राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के तत्कालीन अध्यक्ष मोहम्मद शफी डार और अन्य के खिलाफ अगस्त 2020 में आरोप-पत्र दाखिल किया था।
एसीबी की जांच के अनुसार मीर ने सहकारी समितियों के प्रशासन विभाग के सचिव सहकारिता को एक आवेदन दिया था और श्रीनगर के बाहरी इलाके में सैटेलाइट टाउनशिप के निर्माण के लिए 37.5 एकड़ भूमि का कब्जा लेने के वास्ते 300 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने के निर्देश जे-के सहकारी बैंक लिमिटेड को देने का अनुरोध किया था।
श्रीनगर में जे-के सहकारी बैंक ने औपचारिकताओं को दरकिनार करते हुए 223 करोड़ रुपए का ऋण मंजूर कर लिया।
जांच में पता चला कि ‘रिवर झेलम कॉपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी’ जम्मू-कश्मीर सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत ही नहीं है और मीर ने डार और अन्य के साथ मिलकर कर सोसाइटी के नाम पर एक नकली और काल्पनिक पंजीकरण प्रमाणपत्र तैयार कराया और उसके आधार पर ऋण मंजूर करा लिया।
ऋण की राशि भूमि मालिकों के खातों में चली गई लेकिन भूमि बैंक के पास गिरवी ही नहीं रखी गई।
एसीबी की जांच में 223 करोड़ रुपए की हेराफेरी का भी पता लगा और ब्यूरो ने 187 करोड़ रुपए जब्त किए।
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