मरते दम तक कैद

मरते दम तक कैद

अपने ही आश्रम की एक नाबालिग शिष्या के साथ बलात्कार के आरोपी आसाराम को जोधपुर की अदालत ने मरते दम तक कैद की सजा सुनाकर पीि़डता के साथ पूर्ण न्याय किया है। स्वयंभू संत आसाराम के साथ छिंदवा़डा गुरुकुल की वार्डन शिल्पी और डायरेक्टर शरतचन्द्र को २०-२० साल की सजा दी गई है। दो आरोपी सेवादार शिवा और रसोइया प्रकाश को सबूतों के अभाव में बरी किया गया है। करीब पौने पांच साल से जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद आसाराम की सुनवाई शुरू होने के साथ ही एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने आसाराम को दोषी करार दे दिया था लेकिन सजा कम कराने की दलीलों की सुनवाई की कार्रवाई लगभग चार घंटे तक चली और बाद में फैसला सुनाया गया। आसाराम के वकीलों ने अधिक उम्र का हवाला देकर कम सजा की मांग की। जज ने कहा कि आरोपी ने घिनौना अपराध किया है, जो पीि़डत ही नहीं बल्कि पूरे समाज के खिलाफ है। यह सच है, क्योंकि संत का रूप धारण करके आसाराम ने लाखों लोगों से मक्कारी की और अरबों की संपत्ति जुटाकर अय्याश बन गया। फिर उसने अपनी ही शिष्या के साथ बलात्कार कर गुरु-शिष्य संबंधों को तार-तार कर दिया। न अपनी ७२ साल की उम्र का ख्याल रखा न अबोध बच्ची की उम्र का। जो अपनी उम्र का ध्यान नहीं रख सका, वह उम्र की दलील देकर जज से दया और रहम की भीख मांगने लगा। अभी आसाराम पर यह अकेला मामला नहीं है। बलात्कार के एक अन्य मामले में गुजरात में भी सुनवाई चल रही है, जिसका फैसला जल्द आने वाला है। आसाराम पर लगे आरोपों की परतें एक-एक करके खुलने लगीं तो उसकी आंच उसके बेटे नारायण सांई पर भी प़डी। उसके भी कई घिनौने कांड सामने आए और वह भी जेल में बंद प़डा है। बाप-बेटे पर हत्या के भी मामले दर्ज हैं। ऐसा आरोपी किसी अदालत से राहत की उम्मीद कैसे कर सकता है? ,छद्म वेषधारियों, गुरुओं की कतार में आसाराम कोई अकेला नहीं है। राम रहीम, नित्यानंद, अमृत चैतन्य और प्रेमानंद भी जेलों में बंद हैं। ऐसे कथित संतों की सूची आगे भी ब़ढ सकती है। आसाराम और उन जैसे भे़ड की खाल में भेि़डया बनने वाले संतों ने धर्म, धर्मभीरूता का ऐसा ताना-बाना बुना कि लाखों लोग इनके अंधभक्त बन गए। लोग विवेकहीन हो गए और इनको सजा मिलने के बाद भी आज तक विवेकहीनता का परिचय दे रहे हैं। इन विवेकहीनों की भी़ड में राजनीतिक दलों के नेता और प्रशासनिक अधिकारी व बुद्धिजीवी समुदाय के लोग भी शामिल हैं। ऐसे लोगों की वजह से ही मूर्खों की श्रद्धा-आस्था और गहरी बनी और स्वयंभू संतों का घिनौने कृत्य करने का हौंसला और ब़ढा। राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद पंचकूला में हिंसा का तांडव पूरे देश ने देखा। हिंसा में अनेक लोगों की जानें गईं। सचेत सरकार ने आसाराम की सुनवाई के मद्देनजर जोधपुर में क़डी सुरक्षा व्यवस्था की, लेकिन आसाराम को दोषी करार देने पर उनके अनुयायी आंसू बहाते देखे गए। उनके लिए आसाराम की सजा सबक है।

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