वीआईपी की पसंदीदा एम्बेसडर कार का डिजिटल कायाकल्प, नए डिज़ाइन में लगती है ऐसी!
वीआईपी की पसंदीदा एम्बेसडर कार का डिजिटल कायाकल्प, नए डिज़ाइन में लगती है ऐसी!
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रतिष्ठित हिंदुस्तान एम्बेसडर कार, जिसे कभी ‘भारतीय सड़कों का राजा’ कहा जाता था, एक बड़े डिजिटल बदलाव के साथ सामने आई है। भारत के सबसे पुराने कस्टम डिज़ाइन हाउस में से एक- डीसी2 डिज़ाइन, ने डिजिटल रूप प्रदान की गई एम्बेसडर कार की कई तस्वीरें साझा की हैं। अगर इस कार का उत्पादन किया जाता है तो यह इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा रफ्तार भरेगी।
लगभग 30 साल पहले दिलीप छाबड़िया द्वारा स्थापित डीसी2 डिज़ाइन ने नए जमाने को देखते हुए एम्बेसडर के डिज़ाइन में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इलेक्ट्रिक एम्बेसडर नए रंग-रूप के साथ अपनी प्रतिष्ठित स्टाइल को बरकरार रखेगी।सामने की हॉरिज़ान्टल ग्रिल को अब क्रोम में गढ़े फ्रेम के साथ फिर से डिजाइन किया गया है। गोल हेडलाइट्स से कोणीय एलईडी हेडलैम्प आकर्षक हैं। यहां तक कि बोनट पर प्रमुख उभार को बरकरार रखते हुए इसकी पुरानी खूबसूरती को कायम रखा गया है। कॉन्सेप्ट इलेक्ट्रिक एम्बेसडर में चार-दरवाजे वाले मूल स्वरूप के विपरीत केवल दो दरवाजे हैं।
स्टील रिम के साथ मेकओवर पाने के लिए पहियों ने कार को एक समकालीन रूप दिया है। यह पहली बार नहीं है जब डीसी डिजाइन ने एम्बेसडर कार को फिर से तैयार करने का प्रयास किया है। बारह साल पहले, कंपनी ने एंबिरॉड नामक अवधारणा प्रस्तुत की थी, जो वी 12 इंजन द्वारा संचालित थी। आधुनिक डिजाइन तत्वों के अलावा, एंबिरॉड की एक अनूठी विशेषता थी- गलविंग दरवाजे।
हिंदुस्तान एम्बेसडर का निर्माण भारत में हिंदुस्तान मोटर्स छह साल पहले तक किया करती थी। इसे पहली बार मॉरिस मोटर्स लिमिटेड द्वारा 1956 से 1959 तक ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड में काउली में बनाया गया था। हिंदुस्तान एम्बेसडर भारत में निर्मित होने वाली पहली कार थी। भारत में एम्बेसडर कारों का उत्पादन 1958 से शुरू हुआ। अपनी 66 साल की यात्रा में, इस प्रतिष्ठित कार ने अपने उत्पादन को 2014 में बंद होने से पहले कुछ सुधार और बदलाव भी देखे।
हालांकि, बाद में विदेशी कंपनियों के बाजार में प्रवेश के साथ यह कार अपनी पकड़ बरकरार नहीं रख पाई। एम्बेसडर कार भारत में वीआईपी, राजनेताओं और नौकरशाहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सबसे पसंदीदा कार रही है।