चेन्नई/दक्षिण भारत रिश्वत लेकर विद्यार्थियों के अंक में बढोत्तरी करने के मामले में राज्य के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक अन्ना विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल और कई शीर्ष अधिकारियों को शुक्रवार को निलंबित कर दिया गया। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय के पूर्व परीक्षा नियंत्रक जीवी उमा को प्रोफेसर के पद से निलंबित करने के साथ ही अन्य आठ अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया। निगरानी एवं भ्रष्टाचार रोधी निदेशालय(डीवीएसी)ने उमा और अन्य आठ अधिकारियों पर वर्ष २०१७ में पैसे लेकर अंक बढाने के के आरोप में मामला दर्ज किया था। ऐसा सामने आया है कि कथित तौर पर पिछले दो वर्ष के दौरान अंकों को बढाने के लिए लगभग ४०० करो़ड रुपए का घोटाला किया गया है।द्ब्रख़य्र् ·र्ष्ठैंझ्र् ृद्मद्धध्ख्द्म द्मष्ठ ख्रर् ्यद्मध्ैं्यद्धत्र ·र्ैंद्यद्मष्ठ ·र्ैंर् ज्य्द्म·र्ैंय्द्यर्शुक्रवार की सुबह डीवीएसी के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय स्थित उमा के कार्यालय में छापेमारी की और पैसे लेकर अंक बढाने के मामले में इनकी संलिप्तता से जु़डे साक्ष्य जुटाने की कोशिश की। जिस समय उमा के कार्यालय में छापेमारी की जा रही थी ठीक उसी समय उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री केपी अनबलगन ने पत्रकारों से बातचीत में इस बात की जानकारी दी कि उमा को उनके पद से निलंबित कर दिया गया है और डीवीएसी द्वारा की जा रही जांच में विभाग पूर्ण मदद करेगी। इसके साथ ही इस मामले में अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता उजागर करने के लिए विभागीय जांच शुरु करने का भी निर्णय लिया गया है और इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की एक कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया गया है।्यप्प्रप्यप्श्रय्ध्द्भ ·द्द ू्रु ृ्यथ्·र्ैंय्यद्यद्भह्र फ्ष्ठ ब्रुंश्च झ्रूच्णत्रय्च्णशुक्रवार को डीवीएसी के अधिकारियों ने अन्ना विश्वविद्यालय के ५० ऐेसे विद्यार्थियों से पूछताछ की जिनके अंक में पुनर्मूल्यांकन के बाद अप्रत्याशित बढोत्तरी पाई गई है। इस पूरे मामले को डीवीएसी द्वारा उजागर किया गया है और बुधवार को डीवीएसी ने इस अनियिमितता का खुलासा किया था। इस संबंध में डीवीएसी की ओर से बताया गया है कि वर्ष २०१७ से अब तक अन्ना विश्वविद्यालय से संबद्ध विभिन्न कॉलेजों मंें पढने वाले १६,६३६ विद्यार्थियों के अंक में बढोत्तरी की गई है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत से यह पूरी अनियमितता होती थी और कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन देने के लिए कहा जाता था और उसके बाद विश्वविद्यालय के रेकार्ड रुम से उनकी उत्तर पुस्तिकाएं ढूंढ कर इसमें फेरबदल किया जाता था।र्žय्द्य झ्रु्यडत्र·र्ैंय् ·द्द ्यध्ॅ र्ीं्रु ब्ज्य्द्य त्र्ष्ठ ्यद्मथ्य्श्च्यद्यत्र डीवीएसी ने अपनी जांच के दौरान पाया है कि प्रत्येक उत्तरपुस्तिका के अंकों में बढोत्तरी करने के लिए १० हजार रुपए तक की रिश्वत ली जाती थी। अधिकारियों ने अपनी जांच के दौरान पाया है कि पुनर्मूल्यांकन के बाद उत्तरपुस्तिकाओं में प्रश्नों का मूल्यांकन किया जाता था। प्रश्नों के उत्तर सही नहीं होने के बाद भी अंकों में फेरबदल किया जाता था। उत्तर पुस्तिकाओं में कुछ अतिरिक्त पृष्ठों को जो़डकर भी अंक बढाया जाता था। रिश्वत के रुप में जो भी रकम प्राप्त होती थी उसे पुनर्मूल्यांकन करने की प्रक्रिया में शामिल सभी कर्मचारियों को कुछ न कुछ हिस्सा दिया जाता था। अधिकारियों को उस समय शक हुआ जब मात्र २४ अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी का अंक पुनर्मूल्यांकन के बढ कर ९४ अंक हो गया। इसकी शिकायत मिलने के बाद जब डीवीएसी के अधिकारियों ने उक्त विद्यार्थी की उत्तर पुस्तिका की जांच की तो यह सारी अनियमितता व्यापक स्तर पर होने की बात सामने आई।र्द्बय् द्मष्ठ ·र्ैंब्य् ऱ्ब्ष्ठ्र ड्डैंर्ैंफ्य्द्भय् ज्य् द्यब्य् ब्स्इसी क्रम में शुक्रवार को उमा को डीवीएसी ने हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने के बाद उमा ने कहा कि वह विश्वविद्यालय में सुधारात्मक उपायों को लागू कर रही थी और उन्हें एक साजिश के तहत इसमें फंसाया गया है। इस मामले में डीवीएसी ने अन्ना विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल पी विजयकुमार और प्रोफेसर आर शिवकुमार भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि जब वर्ष २०१७ में विश्वविद्यालय द्वारा सेमेस्टर परीक्षा ली गई थी उस समय परीक्षा नियंत्रक का पद उमा संभाल रही थी और इसी अवधि के दौरान मौजूदा आर प्रिसिंपल पी विजयकुमार विश्वविद्यालय के तिंडिवनम क्षेत्र के प्रभारी प्रिंसिपल थे। डीवीएसी ने विश्वविद्यालयों के इन तीनों अधिकारियों के आवास पर भी छापेमारी की गई है। डीवीएसी के अधिकारियों ने दावा किया है कि छापेमारी के दौरान इन अधिकारियों के कार्यालय और आवासेों से कुछ ऐसे दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं जिससे इस मामले में इन अधिकारियों की संलिप्तता होने की बात सामने आ रही है।